Parakram Diwas: उग्रवादी विंग का हिस्सा थे नेता जी, समाजवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे

सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस को आज पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जा रहा है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और उन लोगों में से थे जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2022 12:17 PM

सुभाष चंद्र बोस असहयोग आंदोलन के भागीदार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे. वह अत्यधिक उग्रवादी विंग का हिस्सा थे और अपनी वकालत और समाजवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे. उन्हें नेताजी भी कहा जाता था और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है. वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. वह 1938 से 1939 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन से छुटकारा पाने का प्रयास किया. बता दें कि आज पूरे देश में सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पराक्रम दिवस मनाया जा रहा है.

उनकी देशभक्ति और संकल्प कई लोगों को प्रेरित करते हैं. भारत को स्वतंत्र बनाने और लोगों को प्रेरित करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध वाक्य था ‘तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आजादी दूंगा’.

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: Date

स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन हर साल 23 जनवरी को देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है.

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: History

उनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था. उनके पिता, जानकी नाथ बोस, एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी मां, प्रभाती बोस, एक धर्मपरायण और धार्मिक महिला थीं. उनके 13 अन्य भाई-बहन थे और वह अपने माता-पिता की 9वीं संतान थे. वे बचपन से ही मेधावी छात्र थे.

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: Quotes

  • ‘आजादी दी नहीं जाती, ली जाती है.’

  • ‘चर्चा से इतिहास में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं हुआ’

  • ‘जिंदगी आधी दिलचस्पी खो देती है अगर कोई संघर्ष नहीं है- अगर कोई जोखिम नहीं उठाना है’

  • ‘एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार, उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार जन्मों में अवतरित होगा’

  • अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ, कि जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है.

  • मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है.

  • निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अतिआवश्यक है.

  • मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता.

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