Paramahansa Yogananda Jayanti 2023:परमहंस योगानंद की जयंती आज,जानें उन्हें क्यों कहा जाता है फादर ऑफ योगा
Paramahansa Yogananda Jayanti 2023: परमहंस योगानंद का जन्म आज ही के दिन पांच जनवरी 1893 को उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में हुआ था.परमहंस योगानन्द के गुरु श्रीयुक्तेश्वर गिरी जी ने तो बहुत पहले ही इनके बारे में भविष्यवाणी कर दी थी.
Paramahansa Yogananda Jayanti 2023: आज हम परमहंस योगानंद का जन्मदिन मना रहे है. उनके चाहने वाले बड़े ही धूम-धाम से पूरे विश्व में उनकी जयंती मना रहे हैं. परमहंस योगानंद का जन्म पांच जनवरी, 1893 को भारत के गोरखपुर में, एक समृद्ध और धर्मपरायण बंगाली परिवार में हुआ था. उनका नाम मुकुंद लाल घोष था. उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं. आज का दिन खास कर के किसी भी योगदा संन्यासी व भक्त के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि आज उनके गुरु परमहंस योगानंद का प्रादुर्भाव हुआ था. ये परमहंस योगानंद ही थे, जिन्होंने भारत के क्रिया योग को विश्व पटल पर स्थापित किया.
यहां देखें परमहंस योगानंद की जयंती पर लाइव कार्यक्रम
योगानंद की लिखी पुस्तक ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी (योगी कथामृत) सर्वाधिक बिकनेवाली आध्यात्मिक पुस्तकों में से एक है. इसके बारे में कई आध्यात्मिक चिन्तकों, राजनीतिज्ञों, फिल्म अभिनेता व अभिनेत्रियों, खेल से जुड़े खिलाड़ियों व अन्य प्रसद्धि लोगों ने कहा है कि एक बार भी इसे पढ़ने पर वे परमहंस योगानंद से अत्यंय प्रभावित हुए. परमहंस योगानंद द्वारा लिखित यह पुस्तक को पढ़ने के बाद किसी भी व्यक्ति की आध्यात्मिक भूख बढ़ती चली जाती है.
सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप की स्थापना की
परमहंस योगानंद पहली बार 1920 में बॉस्टन में आयोजित धार्मिक उदारवादियों के एक अंतरराष्ट्रीय सभा में एक प्रतिनिधि के रूप में भारत से अमेरिका पहुंचे. उसी साल उन्होंने भारत के प्राचीन दर्शन और ध्यान के विज्ञान पर अपनी शिक्षाओं को प्रसारित करने के लिए सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (एसआरएफ) की स्थापना की.
कई प्रमुख हस्तियां उनके शिष्य बनें
1925 में श्री योगानंद ने लॉस एंजेलिस में निवास किया, जहां उन्होंने अपने संगठन के लिए एक अंतरर्राष्ट्रीय मुख्यालय स्थापित किया. विज्ञान, व्यवसाय और कला क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियां उनके शिष्य बन गये.
योग प्रशिक्षण और आध्यात्मिक आदर्श में निर्देश को जोड़ा गया
योगानंद ने 1917 में एक आदर्श-जीवन विद्यालय की स्थापना के साथ अपने कार्य की शुरुआत की, जिसमें आधुनिक शैक्षणिक तरीकों के साथ योग प्रशिक्षण और आध्यात्मिक आदर्श में निर्देश को जोड़ा गया था.
अपने अध्यक्ष स्वामी चिदानंद के मार्गदर्शन में, योगदा सत्संग सोसाइटी परमहंस योगानंद तथा उनके निकट शिष्यों के लेखनों, व्याख्यानों तथा अनौपचारिक वार्ता को प्रकाशित करती है. श्री योगानंद की शिक्षाओं पर ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग निकलती है. परमहंस योगानंद का निधन लॉस एंजेलिस में सात मार्च 1952 को अमेरिका में भारत के राजदूत डॉ बिनय आर सेन के सम्मान में आयोजित एक भोज में उनके भाषण की समाप्ति पर हुआ.
क्यों कहा जाता है योगानंद जी को फादर ऑफ योगा
योगानंद जी को पश्चिमी देशों में ‘फादर ऑफ योगा’ कहा जाता है. उनके प्रयासों और कार्यों से आज ‘क्रिया योग’ पूरे संसार में फैल चुका है और उसका विस्तार लगातार हो रहा है. योगानंदजी और उनकी संस्था के सम्मान में भारत सरकार ने सबसे पहले सन् 1977 में और दूसरी बार 7 मार्च, 2017 को डाक टिकट जारी किए.
ऐसे हुई थी मृत्यु
1952 में योगानन्द जी के महासमाधि लेने के बाद उनके पार्थिव शरीर में अनेक दिन बाद भी कोई विकृति देखने को नहीं मिली थी, जिससे ‘फारेस्ट लान मैमोरियल’ (जहां उनका पार्थिव शरीर रखा गया था) के अधिकारी चकित रह गए थे.
भगवद् गीता में श्री कृष्ण ने जिस ‘क्रिया योग’ की दीक्षा अर्जुन को दी थी, अमरगुरु महावतार बाबा जी की योजना के अनुसार भारत के इस ज्ञान का पाश्चात्य देशों में प्रचार-प्रसार करने के लिए परमहंस योगानंद जी को चुना गया था.
सभी मानव आनंद और शांति को प्राप्त करें. विश्व मानव को यह ज्ञात हो जाए कि सारे मानवीय दुखों को मिटा देने के लिए आत्म ज्ञान की निश्चित वैज्ञानिक विधि अस्तित्व में है – वह है ‘क्रिया योग’.