Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में मृत पूर्वजों को देवताओं की तरह पूजा जाता है, खास तौर पर पितृ पक्ष के दौरान. यह 16 दिनों तक चलता है, इस दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं. लोग दिवंगत लोगों को शांति और मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करते हैं. भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि यानी 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है. इसका समापन 2 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या पर होगा.
पूर्वजों की तस्वीरें लगाने के फायदें
कई लोग अपने मृत पूर्वजों की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीरें घर में लगाते हैं. घर में कहीं भी तस्वीरें लगाना कई कारणों से अशुभ माना जा सकता है. ऐसे घर में सही दिशा में मृत पूर्वजों की तस्वीरें लगाने के फायदों ते बारे में विस्तार से जानें. ज्योतिषी ने बताया कि पूर्वजों की फोटो लगाने से घर में सुख-शांति आती है. गलत दिशा में फोटो लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है.
also read: Stretch Marks Remove: प्रेगनेंसी के बाद कैसे हटाएं स्ट्रेच मार्क्स, इन घरेलू चीजों से मिलेगा फायदा
पूर्वजों की तस्वीर लगाने के नियम
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में अपने मृत पूर्वजों की फोटो लगाने के नियम बताए गए हैं. हिंदू श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने पूर्वजों की फोटो को किसी जीवित व्यक्ति की तस्वीर के साथ न रखें. अपने पूर्वजों की फोटो कभी भी बेडरूम, मंदिर या किचन में न लगाएं. यहां फोटो लगाने से घर में अशांति का माहौल बन सकता है. ऐसा करने से हमारे पूर्वज नाराज होते हैं.
पूर्वजों का मिलता है आशीर्वाद
शास्त्रों के अनुसार जहां भी पूर्वजों की फोटो लगाई जाती है, वहां हर शाम सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए. इसके अलावा अमावस्या के दिन भी तेल का दीपक जलाना चाहिए. इससे हमें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीर दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए. यह दिशा भगवान यम और हमारे पूर्वजों की मानी जाती है. घर के मंदिर में पूर्वजों की तस्वीर लगाना वर्जित है क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है.
also read: Vastu Tips: अमीर लोग बाथरूम में कभी नहीं रखते ये चीजें, इसलिए आती है सुख-समृद्धि
कैसे मिलती है पूर्वजों को शांति और तर्पण
पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कई अनुष्ठान करते हैं. आमतौर पर यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं और वंशज उन्हें संतुष्ट करने के लिए ये अनुष्ठान करते हैं.