15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Pitru Paksha: पितृ पक्ष में कौवे को भोजन देने की परंपरा क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

Pitru Paksha: पितृ पक्ष में कौवे को भोजन देने की परंपरा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह परंपरा पूर्वजों की आत्मा की शांति और सम्मान के लिए की जाती है. जानिए इस परंपरा के पीछे का धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक तर्क, और इसे सही ढंग से निभाने के तरीके.

Pitru Paksha: पितृ पक्ष में कौवे को भोजन देने की परंपरा क्यों है इतना महत्वपूर्ण? पितृ पक्ष एक ऐसा समय होता है जो हिन्दू धर्म में अपने पितरों के लिए के एक महत्वपूर्ण पर्वकाल के रूप में मनाया जाता है. यह 15 दिन का एक विशेष समय होता है जिसमें लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष के नियमों के अनुसार पिंडदान जैसे कार्य करते हैं. इस दौरान कौवे को भोजन देने की परंपरा भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इस परंपरा का महत्व क्या है और इसके पीछे का तर्क क्या है?

धार्मिक मान्यता

यह हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और अमावस्या तक रहता है. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलेगा भारतीय संस्कृति में कौवे का एक विशेष स्थान दिया गया है. कई पुरानी मान्यताओं के अनुसार, कौवे पूर्वजों की आत्मा का प्रतीक माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरानपूरे 15 दिन हमारे पूर्वज हमारे साथ समय बिताने आते हैं. कौवा को यम का प्रतीक माना जाता है. और ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पूरे 15 दिन इनको भोजन कराना चाहिए इससे पितृ प्रसन्न होते हैं.

Also Read: Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष के दौरान गया जंक्शन पर दोगुनी होगी भीड़, LED स्क्रीन से दी जाएगी जानकारी

Also Read: Pitru Paksha: गया में पिंडदान की परंपरा और पितृपक्ष के धार्मिक महत्व की पूरी जानकारी

पूर्वजों की आत्मा को शांति

हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि कौवा पितरों का प्रतिनिधि होता है. इसलिए, जब हम कौवे को भोजन देते हैं, तो वास्तव में हम अपने पूर्वजों को भोजन अर्पित कर रहे होते हैं. इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

कौवा पितरों का प्रतिनिधि होता है

यह मान्यता है कि पितृ पक्ष में कौवे को भोजन देने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. कौवा को भोजन देने से यह संदेश जाता है कि परिवार ने अपने पूर्वजों को नहीं भुलाया है और उन्हें याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है.

कौवे को भोजन देने की परंपरा

कौवे को भोजन देने की परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं. हिन्दू धर्म में कौवे को एक महत्वपूर्ण और शुभ पक्षी माना जाता है. इसे पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है और इसका भोजन पूर्वजों को अर्पित किया जाता है.

कैसे करें कौवे को भोजन अर्पित

कौवे को भोजन अर्पित करने की प्रक्रिया भी एक विशेष विधि के अनुसार की जाती है. इस दौरान विशेष रूप से उड़द की दाल, चावल, और गुड़ का प्रसाद तैयार किया जाता है. इसे तर्पण स्थल पर रखा जाता है और कौवे को यह भोजन दिया जाता है. कई परिवार इस प्रक्रिया को धूमधाम से निभाते हैं और इसे धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा मानते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें