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Manali Tour: कुदरत की खूबसूरत बेटी मनाली घूमने का है प्लान तो जानें कब जाना होगा खास

रात को मनाली पहुंचो, तो होटल ही दिखते हैं. सुबह बाहर निकलो, तो कुदरत की खूबसूरत बेटी मनाली दिलकश अंदाज में नजर आती है. मनाली आते हुए दिमाग में नीला आसमान, बर्फ से ढके पहाड़, देवदार के खूबसूरत वृक्ष, सुंदर पत्थरों के पड़ोस में बहता व्यास नदी का साफ ठंडा नीला पानी, इठलाते झरने, पुराने मंदिर होते हैं.

मक्कड़ी के दीवानों को हालांकि नयी जगहों ने लुभाया है, लेकिन मनाली का आकर्षण कम नहीं हुआ है. इस विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर गाड़ियों की खूब भीड़ है, जिसे लगभग 29 किलोमीटर दूर बनी दुनिया की सबसे ऊंची ‘अटल टनल’ ने और बढ़ाया है. रात को मनाली पहुंचो, तो होटल ही दिखते हैं. सुबह बाहर निकलो, तो कुदरत की खूबसूरत बेटी मनाली दिलकश अंदाज में नजर आती है. मनाली आते हुए दिमाग में नीला आसमान, बर्फ से ढके पहाड़, देवदार के खूबसूरत वृक्ष, सुंदर पत्थरों के पड़ोस में बहता व्यास नदी का साफ ठंडा नीला पानी, इठलाते झरने, पुराने मंदिर होते हैं. मनाली रूककर, घूमकर आप यह सब कुछ देख सकते हैं. जलवायु अनुसार खिलने वाले फूल, पौधे, जड़ी बूटियां, हरियाली, कितने ही रंग में खिले गुलाब खूब लुभाते हैं.

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

मनाली पहुंचकर हर पर्यटक, ‘अटल टनल’ के उस पार बसी दुनिया को देखना चाहता है. ‘ठंडा रेगिस्तान’ कहा जाने वाला यह क्षेत्र अब दुनियाभर के पर्यटकों का आकर्षण बन गया है. यहां छह महीने तक बर्फ पड़ी रहती है. आजकल बर्फ तो नहीं है, लेकिन नीला आसमान, टहलते बादल, चमकते पत्थर, रंग-बिरंगे जंगली फूल, बहता पानी, झीलें, भेड़ें आदि आनंदित करते हैं. इस क्षेत्र का सफेद लुत्फ लेना हो, तो ठंड के मौसम में जाना चाहिए. तब चारों तरफ बिछी बर्फ आपका स्वागत करेगी. सर्दियों में मनाली जाएं, तो रोहतांग जरूर जाना चाहिए और सुबह जितना जल्दी हो सके, निकलना चाहिए ताकि बर्फीले आनंद के लिए ज्यादा समय मिले. वहां जाना ही एक यादगार अनुभव है.

रोहतांग के लिए दिे जाते हैं ऑनलाइन पास

मनाली से लगभग 51 किलोमीटर दूर रोहतांग के लिए ऑनलाइन पास दिये जाते हैं. मनाली से चार किलोमीटर दूर वशिष्ठ गांव में गंधक युक्त पानी के चश्मों में नहाना स्मरणीय रहेगा. इस जगह से चार किलोमीटर आगे देवदार के ऊंचे बलिष्ठ वृक्षों के साये में लगभग एक घंटा ट्रैकिंग करते हुए जाना, काफी उंचाई से गिरता जोगनी झरना निहारना नहीं भूलेगा. यहां से मनाली का दृश्य भी खूब दिखता है. बरोड़ परशा भी काफी लोग जा रहे हैं. झरने के सामने बनाये पुल ने जगह को और निखार दिया है. यहां कैमरा अपनी जिम्मेवारी खूब निभाता है. शाम को मॉल रोड पर टहलते हैं. सड़क के इस छोटे से हिस्से पर गाड़ी लाना मना है. यहां पैदल घूमते, खरीदते, बैठते, खाते और फोटो लेते नया सा लगेगा. सोलंग वैली जाकर काफी मजा ले सकते हैं. दिलकश नजारों वाली जगह पर रोमांच से भरपूर अनेक सुविधाएं हैं. यहां हजारों पर्यटक दिखते हैं. गर्मियों के सुहावने मौसम में माउंटेन बाइकिंग, गंडोला राइड कैंपिंग, पैराग्लाइडिंग और सर्दी के मौसम में स्कीइंग, स्केटिंग, बाइकिंग. यहां से लगभग तीन किलोमीटर शांति के मध्य अंजनी महादेव मंदिर है, जहां ट्रेकिंग करते हुए या घुड़सवारी करते हुए जाते हैं.

पुरानी मनाली में है कुल्लू के राजा

पुरानी मनाली में है कुल्लू के राजा बहादुर सिंह द्वारा 1553 में बनवाया गया हिमाचल के प्राचीन मंदिरों में से एक महाप्रसिद्ध, ऐतिहासिक, पौराणिक पैगोडा शैली में बना हिडिम्बा मंदिर. हिडिम्बा भीम की पत्नी और घटोत्कच की माता थीं. यहां मनु मंदिर भी है. जिन पर्यटकों को प्राचीन वास्तुकला और काठशिल्प में दिलचस्पी है, उन्हें हिडिम्बा मंदिर पर स्थानीय कारीगरों द्वारा की गयी उत्कृष्ट नक्काशी जरूर देखनी चाहिए. मनु मंदिर का मुख्य द्वार भी देखने लायक है. सेठन गांव, जो तेरह किलोमीटर दूर है, को इग्लू विलेज भी कहते हैं. यहां का इग्लू होटल बहुत प्रसिद्ध है, जहां जाना अदभुत अनुभव है. शहर में माउंटेन बाइकिंग शबाब पर है. युवा दंपत्ति, नव विवाहित या सोलो पर्यटक जहां देखो बाइक पर सवार दिखते हैं.

मनाली का काफी हिस्सा घूमे पैदल

मनाली का काफी हिस्सा पैदल घूमना चाहिए. यह निर्भर है पर्यटकों पर कि कितना पैदल चल सकते हैं. कितना समय और बजट है मनाली यात्रा के लिए. यह दोनों आपकी जेब में हों, तो कई और जगह भी जा सकते हैं. व्यास नदी के किनारे दर्जनों जगह उचित समय पर रिवर राफ्टिंग व दूसरी जल क्रीडाएं उपलब्ध हैं. मनाली से वापस आते हुए भी इन्हें कर सकते हैं. पानी में पांव रखकर बैठने का सहज आनंद भी ले सकते हैं. कितनी ही जगह कुछ देर यूं ही रुक सकते हैं और मां कुदरत का शुक्रिया अदा कर सकते हैं.

कब जाएं

आपके मन और शरीर पर निर्भर है. मनाली में हर मौसम का अपना मजा है. जुलाई-अगस्त में बारिश और खराब सड़कों के कारण ऑफ सीजन रहता है, तो होटल सस्ते मिलते हैं. सितंबर सुहावना रहता है. दिसंबर से जनवरी बर्फ का रोमांच मिल सकता है. मार्च से जून तक जलवायु सौम्य ग्रीष्म रहता है. वैसे अब सर्दी कम होने लगी है मनाली में.

कैसे जाएं

दिल्ली से वाया चंडीगढ़ मनानी की दूरी लगभग 550 किलोमीटर है. रेल से चंडीगढ़ तक आना बेहतर रहेगा. वहां से मनाली 310 किलोमीटर है. दिल्ली और चंडीगढ़ से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं. अपनी गाड़ी से जाएं, तो ज्यादा मजा आयेगा.

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