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Plastic Waste Research: पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है प्लास्टिक कचरा, महाराष्ट्र पहले पायदान पर

आजकल हमारा पर्यावरण काफी ज्यादा दूषित हो गया है. इसकी वजह है प्लास्टिक का जगह-जगह मिलना. इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है. कचरे के इतने रूप होते हैं कि इसे पहचान पाना मुमकिन नहीं होता है. ऐसे में किस प्रकार के कचरे से अधिक नुकसान होता है और किससे कम, यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2022 4:20 PM

पर्यावरण के लिए कचरा एक बड़ी समस्या रहा है. समुद्रों, नदियों से लेकर छोटे-छोटे तालाबों तक में कचरा मिलना आम बात है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है. कचरा पैदा होने और इसके फैलने के विभिन्न कारण हो सकते हैं. इससे निपटने के लिए भी कई गंभीर प्रयास किए गए हैं, लेकिन उनके कोई ठोस परिणाम अब भी हासिल नहीं हुए हैं. व्यापक शब्दों में कचरे में पर्यावरण में मौजूद कोई भी ठोस सामग्री शामिल है, जो लोगों की वजह से पैदा हुई है या जिसे उन्होंने इस्तेमाल किया है. कचरे के इतने रूप होते हैं कि इसे पहचान पाना मुमकिन नहीं होता है. ऐसे में किस प्रकार के कचरे से अधिक नुकसान होता है और किससे कम, यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए खतरनाक

कचरे की पहचान के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए गए हैं. सामुदायिक हितों पर काम करने वाली कंपनी ‘प्लैनेट पेट्रोल’ ने लोगों के लिए एक ऐप तैयार किया, जिसके जरिए वे उन्हें मिले कचरे का रिकॉर्ड रख सकते हैं और फिर उसे नष्ट कर सकते हैं. हमने साल 2020 में ब्रिटेन में कचरे की 43,187 वस्तुओं को एकत्र किया और फिर इस ऐप के जरिए कचरे के स्थान, सामग्री, प्रकार आदि के बारे में शोध किया. हमारा शोध हाल में ‘जनरल ऑफ हैजार्डस मेटिरियल’ में प्रकाशित हुआ है.

इन कंपनियों के प्लास्टिक खतरनाक

शोध में पता चला है कि कचरे में सबसे अधिक 63.1 प्रतिशत प्लास्टिक सामग्री मिली. इसके बाद धातु (14.3 प्रतिशत) और फिर मिश्रित सामग्री 11.6 प्रतिशत रही. पेय पदार्थ की बोतलों, ढक्कनों, पुआल और अन्य सामग्रियों का हिस्सा 33.6 प्रतिशत रहा, जिनमें धातु के डिब्बे सबसे आम थे. हमारे वैज्ञानिकों ने 16,751 वस्तुओं के ब्रांड की पहचान की, जिनमें से 50 प्रतिशत वस्तुएं सिर्फ दस ब्रांड से संबंधित थीं. इन 50 प्रतिशत में से सबसे अधिक 11.9 प्रतिशत सामग्री कोका-कोला कंपनी की मिली. दूसरे नंबर पर ‘एनह्यूजर-बुश इनबेव’ (7.6 प्रतिशत) और पेप्सिको (6.9 प्रतिशत) की सामग्री रही.

प्लास्टिक बैन करने के लिए कानून बनाना जरूरी

ये शीर्ष तीन ब्रांड पेय पदार्थ से संबंधित हैं. इस पूरे दशक के दौरान ब्रिटेन सरकार कचरे की समस्या से निपटने के लिए कई कानून पेश करेगी या उसमें सुधार करेगी. इनमें अप्रैल 2022 में पेश किया गया प्लास्टिक कर प्रस्ताव शामिल है, जिसके तहत उस प्लास्टिक में सामान पैक करने पर कर लगाया जाएगा, जिसके दोबारा इस्तेमाल की संभावना 30 प्रतिशत से कम होगी. इसके अलावा भी सरकार ने कई और कदम उठाने का इरादा जाहिर किया है. इसी दशक में शीर्ष दस कंपनियां जिनकी हमारे शोध में पहचान की गई है, वे भी अपने सामान की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली सामग्री को बदलने की योजना पर काम करेंगी.

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कचरे को कैसे कम किया जाए

इन कॉरपोरेट और विधायी नीतियों से संबंधित हमारे विश्लेषण में निष्कर्ष निकला है कि ये कंपनियां पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) पर आधारित समाधान की पक्षधर हैं. हालांकि वे इस बात को लेकर कम चिंतित नजर आ रही हैं कि कचरे को कम कैसे किया जाए और किस प्रकार लोगों को इन सामग्रियों का दोबारा इस्तेमाल करने दिया जाएगा. कंपनियों का यह दृष्टिकोण प्लास्टिक की समस्या से निपटने को लेकर उनकी चिंता को कम जबकि लोगों को अपने उत्पाद बेचने की चिंता को अधिक दर्शाता है. ऐसे में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे कचरे और खासतौर पर प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है. (भाषा)

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