शिखर चंद जैन
कुत्तों के सूंघने की शक्ति के बारे में जरूर सुना होगा. वे इसके दम पर अपराधियों को पकड़ने में पुलिस या सेना की मदद भी करते हैं. बमों या ड्रग्स की मौजूदगी का पता लगाने के लिए भी इनकी मदद ली जाती है. कई बार कुत्ते अपने मालिक की छिपी हुई बीमारियों, जैसे कैंसर या डिमेंशिया आदि का भी पता लगा लेते हैं, लेकिन कुत्तों की यह शक्ति कुछ हद तक विशेष प्रशिक्षण पर निर्भर करती है. वहीं जंगल में ऐसे कई जानवर हैं, जिनमें सूंघने की शक्ति कुत्तों से भी ज्यादा प्रभावशाली होती है. ऐसे ही कुछ जीव-जंतुओं के बारे में जानो.
शक्तिशाली घ्राण क्षमता का क्या है राज
अपने शिकार को खोजने, भोजन की तलाश या खतरे से बचने के लिए ज्यादातर प्राणी या तो अपनी तेज दृष्टि का सहारा लेते हैं या फिर घ्राण क्षमता का. इनमें विशेष सेंट डिटेक्टिंग जींस होते हैं, जो ओल्फेक्ट्री रिसेप्टर्स कहलाते हैं. जानवरों में ये रिसेप्टर्स काफी संख्या में नासिका के पिछले भाग में स्थित होते हैं. इनकी मदद से ये काफी दूरी पर मौजूद हल्की-से-हल्की गंध को भी सूंघ लेते हैं. वहीं, मनुष्यों में इन रिसेप्टर्स की संख्या मात्र 396 होती है.
हाथी : 12 मील दूर तक सूंघे पानी
अफ्रीकी हाथियों में 1948 ओल्फेक्ट्री रिसेप्टर्स होते हैं. यह अपनी पसंदीदा घास की सुगंध को 1 मील दूर से सूंघकर उस तक पहुंच सकते हैं. वहीं पानी को 12 मील दूर से सूंघ सकते हैं. हाथी की सूंड में कई रिसेप्टर्स होते हैं. ये अपनी सूंड से ही चीजों को सूंघते हैं. शोध में यहां तक सामने आया है कि हाथी अपनी सूंड से सूंघ कर चीजों को गिन सकता है. हाथी कम और अधिक संख्या में रखी चीजों को पहचान पाने में समर्थ हैं. हाथियों की याददाश्त भी बहुत बेहतर होती है.
सांप : जीभ से करते हैं सूंघने का काम
सांपों में सूंघने की प्रबल शक्ति होती है, लेकिन इसके लिए यह नाक का इस्तेमाल नहीं करते. इसके बदले ये अपनी जीभ से हवा को टेस्ट करते रहते हैं. फिर जीभ की गीली सतह से सेंट पार्टिकल्स का अनुभव करते हैं. इन्हें ये अपने मुंह में उपस्थित विशेष अंग जैकब्सन ऑर्गन में ले जाते हैं. यहीं इन्हें पता चलता है कि बाहर खतरा है या भोजन है. यह अंग भालुओं में भी होता है.
बिल्ली : अपने भोजन को सूंघने में माहिर
बिल्लियों में हम मनुष्यों की तुलना में दोगुना ओल्फेक्ट्री एपीथिलियम (नाक में स्मेल सेंसिटिव सेल्स) होती हैं. जाहिर है इनकी घ्राण शक्ति हमसे कहीं ज्यादा सटीक और तेज होती है. इनके नाक में 200 मिलियन संवेदी सेल्स होते हैं, जबकि मनुष्य में इनकी मात्रा सिर्फ पांच मिलियन होती है. बिल्लियां अपने भोजन को सूंघने में सबसे ज्यादा माहिर होती हैं बजाय दूसरी चीजों के.
मॉथ : कीट जगत में सूंघने का चैंपियन
कीट-पतंगों के जगत में सिल्क नर मॉथ की घ्राण शक्ति सबसे तेज होती है. इसके रोएंदार एंटीना में गंध के रिसेप्टर्स होते हैं. नर कीट 6 मील दूर मौजूद मादा कीट की गंध पाने में सक्षम है. यह बड़ी अदा से इठलाते हुए चलता है. वैज्ञानिक इसकी अद्भुत घ्राणशक्ति से इतने प्रभावित हैं कि वे इसके ओल्फेक्ट्री रिसेप्टर्स जीन पर आधारित कृत्रिम ब्रेन बनाने पर विचार कर रहे हैं. उनकी योजना ऐसा रोबोट बनाने की भी है, जो केमिकल हथियारों या ड्रग्स को दूर से सूंघ कर उनका पता बता दे.
शार्क : खून की एक बूंद भी सूंघ सकती है
शार्क की तमाम प्रजातियों में वाइट शार्क की घ्राण शक्ति सर्वोत्तम होती है. इनकी सूंघने की शक्ति मूल रूप से मस्तिष्क से संचालित व नियंत्रित होती है. जब पानी इनकी नाक से होकर गुजरता है, तो ये पानी में मौजूद रसायन को सूंघकर पहचान लेती हैं. इसका सीधा सिग्नल इनके दिमाग तक पहुंचता है और ये अलर्ट हो जाती हैं. शार्क एक मील दूर से खून की एक बूंद को भी सूंघ सकती है. फिर वह तेजी से वहां शिकार के लिए पहुंच जाती है. गंध सूंघने वाला शार्क के मस्तिष्क का हिस्सा काफी बड़ा होता है.
कीवी : मिट्टी के नीचे से सूंघ निकाले भोजन
जलीय जीवों व मैमल्स के लिए गंध का जितना महत्व होता है, उतना ही महत्व पक्षियों के मामले में भी होता है. कई पक्षी गंध की मदद से नेविगेट करते हैं और अपना भोजन खोजते हैं. कीवी पक्षी उड़ नहीं सकता, इसलिए इसे अपने भोजन के लिए जमीन पर उपलब्ध दानों, कीड़ों, पत्तियों आदि पर निर्भर रहना पड़ता है. कुदरत ने इसका काम आसान बनाने के लिए इसकी नासिका को बाहर यानी चोंच की नोक के पास स्थान दे दिया. इस विशेष नासिका की मदद से यह जमीन के भीतर मौजूद खाली पदार्थों को भी ढूंढ़ लेता है. पक्षियों में इसकी घ्राण शक्ति काफी तेज मानी जाती है.