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पहाड़ी क्षेत्रों में ही ज्यादा क्यों फटते हैं बादल

अभी पूरे देश में मॉनसून सक्रिय हो है. चाहे मैदान हो या पहाड़, हर जगह मूसलाधार बारिश हो रही है. इस दौरान कई जगहों पर बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है. वहीं, पहाड़ों में कुछ जगहों पर बादल फटने की भी घटना हुई है. जानो आखिर क्यों फटते हैं बादल.

मझिम बारिश में भीगना और बारिश के पानी में कागज की नावें तैराना किसे अच्छा नहीं लगता. बारिश हमारी धरती और पर्यावरण को पानी की आपूर्ति ही नहीं करती, यह मानव, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के लिए फायदेमंद भी है, लेकिन कभी-कभी यही बारिश विकराल रूप धारण कर लेती है और चारों ओर तबाही का कारण बन जाती है.

क्या है बादल का फटना

जब बूंद-बूंद करके गिरने वाली यही बारिश का पानी इकट्ठा धरती पर बहुत तेजी से आ गिरता है, तो उसे बादल फटना कहते हैं. इसे तुम आसान भाषा में इस तरह समझ सकते हो कि अगर एक बाल्टी या बैलून के तले में छोटे-छोटे कई छेद किये जाएं, तो उसमें पानी भरने पर पानी बरसात की बूंदों की तरह धीरे-धीरे नीचे गिरेगा, लेकिन अगर इनके बेस को ही तोड़ दिया जाये तो एकदम से सारा पानी पूरे वेग के साथ नीचे आ जायेगा. यही स्थिति बादलों के साथ भी होती है. बादल फटने की वैज्ञानिक मुख्य रूप से दो वजहें मानते हैं.

पहली, जब एक ही आवेश (पॉजिटिव और नेगेटिव) के बादल आसमान में किसी ऐसी जगह इकट्ठे होते हैं, जहां गर्म और ठंडी हवाएं दोनों तरफ से उन पर दबाव डालती हैं. जब कोई गर्म हवा का झोंका नमी से भरे इन बादलों से टकराता है, तो ये बादल फट जाते हैं. इस दौरान बिजली चमकने और तेज आंधी के साथ भारी बारिश होती है. ऐसे में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ धरती पर गिरता है. बादल फटने से बारिश इतनी तेज होती है कि उसे मापना मुश्किल हो जाता है. धरती पर पानी गिरने की रफ्तार तकरीबन 36 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. कुछ मिनटों में ही दो सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, मानो आसमान से पूरी की पूरी नदी धरती पर उतर आयी हो.

पहाड़ी इलाकों में ज्यादा असर

ऐसा पहाड़ी और नदी वाले इलाकों में ज्यादा होता है, क्योंकि वहां गर्म और ठंडी हवाएं-दोनों चलती हैं और वहां से गुजरने वाले बादल इनकी चपेट में आ जाते हैं. वहां कुछ देर की भारी बरसात के चलते पहाड़ या ग्लेशियर टूट कर गिरने लगते हैं, जमीन खिसकने लगती है और उस क्षेत्र में बने घर देखते ही देखते टूटने लगते हैं. इसके साथ ही पहाड़ों में ज्यादा बादल फटने की दूसरी वजह यह है कि ये बादल काफी मात्रा में पानी लेकर आसमान में चलते हैं. जब उनके रास्ते में कोई बड़ी बाधा आती है, तब उससे टकराकर ये अचानक फट पड़ते हैं. हमारे देश में मॉनसून के दौरान बादल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं, हिमालय पर्वत उनके रास्ते में बाधा डालता है. हिमालय से टकराकर बादल फट जाते हैं और 75 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से मूसलाधार बारिश करते हैं.

कैसे होती है बारिश

यह तो तुम जानते होगे कि बारिश कैसे होती है. सूर्य की गर्मी के कारण झीलों, तालाबों, नदियों और समुद्रों का पानी वाष्पित होता रहता है. पानी के छोटे-छोटे कण धूल के कणों के साथ आसमान में इकट्ठे होकर बादल का रूप ले लेते हैं. ये धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर इकट्ठे होते हैं. ये मूलत: पॉजिटिव व नेगेटिव आवेश वाले होते हैं. जब ये बादल आपस में टकराते हैं तो एक तो इनमें बिजली चमकती है और दूसरा इनमें रुका पानी बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर गिरता है. इस तरह जल चक्र बना रहता है.

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