Premanand Ji Maharaj: प्रेमानन्द जी महाराज से मिलकर भक्त अपने मन में चल रहे प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं और महाराज जी भी अपने अनुभव और धार्मिक योग्यता के अनुसार भक्तों के मन में चल रहे प्रश्नों के सागर को शांत करने का प्रयास करते हैं. प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में रहते हैं और वहां जो भी भक्त जाते हैं, वह यही चाहते हैं कि एक महाराज जी के दर्शन उन्हें हो जाएं और वो अपने मन में चल रहे सवाल का उत्तर महाराज जी से पूछ लें. इस लेख में आपको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि अपने एक सत्संग के दौरान महाराज जी ने दिवाली के दिन भक्त का आचरण कैसा होना चाहिए इस विषय में क्या बतलाया.
ये चीजें न करें
अपने एक प्रवचन के दौरान प्रेमानन्द महाराज जी ने कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दिवाली में देर रात तक जुआ खेलते हैं और इसे दिवाली का एक रिवाज कहते हैं. प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार ऐसा करना बिल्कुल गलत है, किसी भी गलत और बुरे आचरण को रिवाज की संज्ञा नहीं दी जा सकती है.
ऐसा होना चाहिए भक्त का आचरण
प्रेमानन्द जी के अनुसार दिवाली एक धार्मिक त्योहार है और इस त्योहार में भक्त को भगवान की भक्ति में लीन होना चाहिए. रात में जुआ खेल कर समय बर्बाद करने की जगह भगवान के नाम का जाप अधिक से अधिक करना चाहिए, भगवान का श्रृंगार करना चाहिए और भगवान की भक्ति में ही त्योहार के इस शुभ दिन को समर्पित कर देना चाहिए.
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ऐसा होना चाहिए भक्त का भाव
प्रेमानन्द जी महाराज यह मानते हैं कि दिवाली के दिन भक्त को भगवान के साथ अपनी भक्ति को जुआ के भाव से देखना चाहिए. दिवाली के शुभ दिन में भक्तों को यह प्रयास करना चाहिए कि वो भगवान को अपना सब कुछ समर्पित कर दें और इसके बदले में भगवान से बस उनकी कृपा की मांग करें.
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