Premanand Ji Maharaj: भक्तों के मन में भगवान और समाज से जुड़े कई सारे ऐसे प्रश्न चलते रहते हैं, जिनका उत्तर खोज पाना भक्तों के लिए आसान नहीं होता है, ऐसी स्थिति में भक्त हमेशा ऐसे संत-महात्मा का साथ चाहते हैं, जो उनको प्रश्नों और दुविधाओं के माया जाल से निकालने में मदद कर सके. प्रेमानन्द जी महाराज भक्तों के इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करते हैं और भक्त भी महाराज जी के जवाब को सुनकर बहुत संतुष्ट महसूस करते हैं. इस लेख में आपको यह बताया जा रहा है कि जब महाराज जी से एक भक्त ने पूछा की जादू-टोने के प्रभाव को कैसे कम किया जाए, तो महाराज जी ने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया.
क्या कोई हम पर जादू-टोना कर सकता है?
महाराज जी अपने सत्संग के दौरान धर्म पर बहुत विस्तार से चर्चा करते हैं और फिर जितना हो सके लोगों के प्रश्नों को सुनकर, उनका उत्तर देने का भी प्रयास करते हैं. महाराज जी के जवाब को सुनकर कई लोगों के मन की उलझन समाप्त हो जाती है.
महाराज जी के एक प्रवचन के दौरान उनसे ऐसा ही कुछ प्रश्न किया गया, जिसका उत्तर देना या उपाय बता पाना सभी व्यक्ति के लिए संभव नहीं हैं. महाराज जी से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि क्या कोई हम पर जादू-टोना कर सकता है ? और अगर कोई जादू-टोना कर भी दे तो, क्या उसके प्रभाव को भगवान का नाम लेने से दूर किया जा सकता है ?
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महाराज जी ने दिया यह उत्तर
भक्त के प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि उनका यह मानना है कि जब व्यक्ति को दुख भोगना होता है तो उसकी बुद्धि स्वयं ही नष्ट हो जाती है और उन्हें ऐसा लगने लगता है कि किसी ने उन पर जादू-टोना कर दिया है, जिस कारण उन्हें बहुत परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, लेकिन ऐसा नहीं होता है, जब व्यक्ति के जीवन में दुख लिखा होता है, तो उसे उस समय, उस दुख से गुजरना ही पड़ता है, इसमें किसी तीसरे का कोई हाथ नहीं होता है.
समाज निभाता है अहम भूमिका
भक्त के प्रश्नों का जवाब देते हुए, महाराज जी ने यह कहा कि लोगों के अंदर जादू-टोने जैसे अंधविश्वास में भरोसा करने में समाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. समाज के लोग ही व्यक्ति के दिमाग में यह डालते हैं कि उस पर किसी ने जादू टोना किया होगा, तभी उसके जीवन में इतनी दुख और परेशानी आ रही है, ऐसे में किसी और की बातों में आने से अच्छा है कि अपने दिमाग को अच्छे कामों में और अच्छे विचारों में लगाया जाए.
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