Premanand Ji Maharaj: किसी के साथ रिश्ते में आना वर्तमान समय में आसान है. लेकिन उसे लंबे समय तक बनाए रखना कठिन हो गया है. फायदे की इस दुनिया में लोग रिश्ता भी फायदा देखकर बनाने लगे हैं. जब तक रिश्ते में फायदा रहता है तब तक लोग साथ रहते हैं. जिस दिन फायदा खत्म हो जाता है रिश्ता भी खत्म हो जाता है. शादीशुदा जिंदगी का भी यही हाल है. आए दिन पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर लड़ाइयां होने से रिश्ता तलाक तक पहुंच जाता है. ऐसे में प्रेमानंद जी महाराज ने शादीशुदा जिंदगी में खुश रहने का मूल मंत्र बताए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये मूल मंत्र कौन से हैं.
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ये है दो मूल मंत्र
शादीशुदा जिंदगी का तलाक तक पहुंचने के कई कारण जैसे पति-पत्नी का एक दूसरे पर शक करना या भरोसा नहीं कर पाना हो सकते हैं. लेकिन रिश्ते में मजबूती होती है तो रिश्ते को खत्म होने से बचाया जा सकता है. प्रेमानंद जी महाराज ने अपने भक्तों को जवाब देते हुए कहते हैं कि परस्पर एक-दूसरे पर प्रेम और इन्द्रियों की पवित्रता शादीशुदा जिंदगी को खुश रखती है.
परस्पर एक-दूसरे पर प्रेम रखना
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक, शादीशुदा जिंदगी में खुश रहने में पैसे की कोई अहमियत नहीं होती है. किसी बात की अगर अहमियत होती है तो वह प्रेम है. साथ ही पवित्रता की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा है कि एक-दूसरे पर कोई दाग नहीं लगना चाहिए.
इन्द्रियों की पवित्रता
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा है कि शादीशुदा जिंदगी में खुश रहने के लिए इन्द्रियों की पवित्रता होना जरूरी है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर पति-पत्नी परस्पर एक-दूसरे से प्रेम करते हैं तो उन्हें किसी दूसरे इंसान की जरूरत नहीं होती है. अगर आप व्यभिचार में पड़ जाते हैं तो आपको दुनिया में कहीं भी शांति नहीं मिलेगी.
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