Premanand Ji Maharaj: हमारे समाज में कई सालों से ऐसी कुछ परम्पराएं चली आ रही हैं, जिसे कई लोग अंधविश्वास की भी संज्ञा देते हैं, लेकिन कई लोग विश्वास और अंधविश्वास के बीच के इस अंतर को समझ नहीं पाते हैं और हमेशा ऐसे प्रश्नों से घीरे होते हैं, जिनका उत्तर खोज पाना उनके लिए भी संभव नहीं होता है. ऐसे लोग हमेशा ऐसे संतों का साथ चाहते हैं, जो इनके प्रश्नों को सावधानी से सुनकर, प्रश्नों का ऐसा उत्तर दे, जिससे व्यक्ति को संतोष की प्राप्ति हो और वो अपने जीवन और भक्ति की राह में आगे बढ़ सके. प्रेमानंद जी महाराज से मिलकर भक्त, ऐसे ही कुछ प्रश्न करते हैं, जिनका उत्तर दे पाना सभी के लिए संभव नहीं है. इस लेख में आपको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि महाराज जी के सत्संग के दौरान जब एक भक्त ने उनसे नजर लगने से संबंधित प्रश्न किया तो, महाराज जी ने क्या उत्तर दिया.
पूछा गया यह प्रश्न
जिस भी भक्त को प्रेमानंद जी महाराज से मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है, वो उनसे मिलकर अपने मन में चल रहे हर प्रश्न का उत्तर जाना चाहते हैं. महाराज जी भी पूरी शांति और अपने आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार, भक्त के मन में चल रही दुविधा को शांत करने का प्रयास करते हैं. महाराज जी के सत्संग के दौरान एक भक्त ने उनसे ऐसा ही कुछ प्रश्न किया, जिसका उत्तर शायद सभी व्यक्ति जानना चाहते हैं. व्यक्ति ने महाराज जी से पूछा कि यशोदा मईया भी भगवान श्री कृष्ण की नजर उतारती थी, बच्चों को नजर क्यों लगती है?
महाराज जी ने दिया यह उत्तर
भक्त के प्रश्न को सुनकर महाराज जी कहा कि जो व्यक्ति हमें बहुत प्रिय होता है, उसे लेकर हमारे मन में यह डर हमेशा बना रहता है कि कहीं उस व्यक्ति के साथ कोई अमंगल ना हो जाए और उसे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसलिए लोग उस अमंगल के डर से और उस व्यक्ति के प्यार में उसकी नजर उतार देते हैं, ऐसा लोग भगवान के साथ भी करते हैं और भगवान की भी नजर उतार देते हैं, ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है, क्योंकि भगवान सबके प्रिय होते हैं और लोग प्यार में उनकी नजर भी उतार लेते हैं. भगवान के नजर से ही सूर्य और चंद्रमा प्रकाशित हैं, ऐसे परम शक्तिशाली सत्ता को कभी किसी की नजर नहीं लग सकती है.
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मन का भ्रम है
महाराज जी ने व्यक्ति के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह भी कहा कि यह सब मन का भ्रम है, अगर हमने यह अपने मन में सोच रखा है कि उस व्यक्ति की नजर बहुत खराब है और अगर वो हमें देख ले तो, हमारा अमंगल हो जाएगा. ये बात हमारे दिमाग में घर कर जाएगी और हमारे साथ कुछ भी होगा तो हम सोचेंगे कि वह उस व्यक्ति के ही कारण हुआ है, जिसकी नजर खराब है, लेकिन महाराज जी का यह मनना है कि किसी भी व्यक्ति के नजर में इतनी ताकत नहीं होती है कि वह किसी का अमंगल कर सके.
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