Premanand Ji Maharaj: भगवान की भक्ति तो कई लोग करते हैं और कई लोग खुद को भगवान का बहुत बड़ा भक्त बोल के भी संबोधित करते हैं, लेकिन लोगों को इस बात की सही जानकारी नहीं होती है कि भगवान की सच्ची भक्ति होती कैसे है? या जब भक्त भगवान की भक्ति करते हैं, तो उन्हें किस प्रकार की निष्ठा रखनी चाहिए, इस जानकारी का भी लोगों के पास अभाव पाया जाता है. इसमें भक्त को यह समझ नहीं आता है की भगवान की भक्ति करते वक्त मन में किस प्रकार का भाव रखना चाहिए. प्रेमानंद जी महाराज के पास भक्त अपने कई सारे प्रश्न लेकर पहुंचते हैं, जिसका महाराज जी बहुत सरल तरीके से उत्तर देते हैं. इस लेख में आप आपको यह बताया जा रहा है कि प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार एक भक्त के मन में हमेशा कैसा भाव होना चाहिए.
महाराज जी से किया गया यह प्रश्न
भक्तों को हमेशा ऐसे संतों और महात्माओं का संगत चाहिए होता है, जो उनके ऐसे सवालों का जवाब दे सके, जिसका जवाब उनके लिए खोज पाना संभव नहीं है. कई भक्त जब भी प्रेमानंद जी महाराज से मिलते हैं तो अपने मन में चल रहे इन्हीं जटिल सवालों का उत्तर प्राप्त करना चाहते हैं और महाराज जी भी अपने प्रवचन के दौरान भक्तों के सवालों को सुनते हैं और बहुत ही सरलता के साथ भक्त के सवालों का जवाब भी देते हैं.
प्रेमानंद महाराज जी से उनके के एक प्रवचन के दौरान एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि जब भक्त भगवान की पूजा करते हैं, तो उनके मन में किस प्रकार की निष्ठा होनी चाहिए और भगवान की भक्ति करते वक्त भक्त के मन में कैसा भाव होना चाहिए?
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ऐसी होनी चाहिए भक्त की निष्ठा
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान बताया कि जब भी भक्त भगवान की भक्ति करते हैं, तो उन्हें अपने मन में यही भाव रखना चाहिए कि हे प्रभु, आपके कई भक्त हैं और आपको कई लोग दिन रात पुकारते हैं, उनमें से मैं भी एक हूं. आप चाहे तो मुझे नजरअंदाज कर सकते हैं प्रभु , लेकिन मैं हमेशा आपके ही नाम का जाप करूंगा, मैं सिर्फ आपका हूं, ये मेरा वचन है आपसे.
भगवान को भक्त होते हैं बहुत प्रिय
अपने प्रवचन के दौरान महाराज जी ने यह बताया कि भक्त कई बार अपनी खुशी और अपने व्यस्त जीवन में भगवान का स्मरण करना भूल जाते हैं, लेकिन भगवान अपने भक्तों से बहुत प्यार करते हैं, वो अपने भक्तों को कभी- भी अकेला नहीं छोड़ते हैं.
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