Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने बताया ऐसे लोगों को नहीं जाना चाहिए मंदिर
Premanand Ji Maharaj: महात्मा जी ने अपने एक सत्संग के दौरान लोगों को यह समझाने का प्रयास किया है कि मंदिर जाने और भगवान को तरह-तरह की सामग्री चढ़ने से कुछ नहीं होगा, अगर आपके विचार इस प्रकार के हैं.
Premanand Ji Maharaj: कई लोग ऐसे होते हैं, जिनके मन में भगवान से जुड़े कई सवाल चलते रहते हैं और लोग उन सवालों का जवाब खोज पाना उनके लिए आसान नहीं होता है, ऐसे में लोग हमेशा ऐसे संत-महात्मा की संगति चाहते हैं, जो उनके सवालों का ऐसा जवाब दे पाए, जिससे उनको संतोष की प्राप्ति हो. कई सारे भक्त प्रेमानंद महाराज जी से मिलकर अपने इन्हीं सवालों का जवाब खोजना चाहते हैं. महाराज जी भी भक्तों के सवालों का उत्तर बहुत गंभीरता और सहजता के साथ देते हैं. महात्मा जी ने अपने एक सत्संग के दौरान लोगों को यह समझाने का प्रयास किया है कि मंदिर जाने और भगवान को तरह-तरह की सामग्री चढ़ने से कुछ नहीं होगा, अगर आपके विचार इस प्रकार के हैं.
क्या मंदिर जाने से सारे पाप धुल जाते हैं?
कई लोग प्रेमानंद महाराज जी के पास आकर अपने सवालों का उत्तर जानना चाहते हैं और उनसे मिलकर अपने आध्यात्मिक जीवन के पथ में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन भी लेते हैं. महाराज जी भी भक्तों की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उनके सवालों का उत्तर पूरी सहजता से देने का प्रयास करते हैं. महाराज जी के एक प्रवचन के दौरान एक भक्त ने उनसे सवाल किया कि क्या मंदिर जाने से भक्त के सारे पाप धुल जाते हैं?
ऐसे लोगों का मंदिर जाना है व्यर्थ
प्रेमानंद महाराज जी ने भक्त के सवालों का उत्तर देते हुए यह कहा कि ऐसे लोग जो अपने माता-पिता को कष्ट देते हैं, उनकी इज्जत नहीं करते हैं और उनको खाने तक के लिए नहीं पूछते हैं, ऐसे लोगों का मंदिर जाना और भगवान के सामने तरह-तरह की सामग्री चढ़ना व्यर्थ होता है, क्योंकि माता-पिता की पूजा ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा समझी जाती है.
Also read: Premanand Ji Maharaj: प्रेमानन्द महाराज ने बताया कोई जादू-टोना कर दे तो क्या करें
Also read: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया शादी से पहले हुई गलती से ऐसे पाएं छुटकारा
ये है सबसे बड़ी पूजा
प्रेमानंद जी महाराज का यह मानना है कि अगर आप भगवान की सच में आराधना करना चाहते हैं, तो आपको हर व्यक्ति को भगवान का रूप मानना चाहिए, सभी में भगवान का अंश देखना चाहिए. सभी प्राणियों की इज्जत करनी चाहिए. अगर आप के मन में ऐसे विचार नहीं हैं, तो आपका मंदिर जाना उसी समान है, जैसे-राख में हवन करना.
Also read: Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया भक्तों के मन में हमेशा होना चाहिए ऐसा भाव