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प्रेमानन्द जी महाराज ने बतलाया व्रत में कब और क्या खाना चाहिए, समझे व्रत का सही अर्थ

Premanand Maharaj on Fasting Rules: अगर आप भी व्रत करते हैं और आपकी समझ में यह नहीं आ रहा है कि व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और कितना खाना चाहिए, तो इस लेख में आपको प्रेमानंद जी महाराज ने इस विषय में क्या कहा है यह बतलाया जा रहा है.

By Tanvi | October 5, 2024 2:03 PM

Premanand Maharaj on Fasting Rules: जो भी व्यक्ति व्रत करते हैं, उन्हें व्रत के दौरान क्या खाया जाए और व्रत कैसे किया जाए इस बारे में सही जानकारी नहीं होती है. कुछ व्रत ऐसे होते हैं, जिसमें लोग फलाहारी भोजन कर सकते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें फलाहारी भोजन करने के सही तरीके के बारे में पता नहीं होता है और वह पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहते हैं. व्रत कैसे किया जाए और व्रत के दौरान क्या खाया जाए, इस दुविधा को दूर करने के लिए प्रेमानन्द जी महाराज ने लोगों को कुछ सुझाव दिये हैं. अगर आप भी व्रत करते हैं और आपकी समझ में यह नहीं आ रहा है कि व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और कितना खाना चाहिए, तो इस लेख में आपको प्रेमानंद जी महाराज ने इस विषय में क्या कहा है यह बतलाया जा रहा है.

व्रत को मनोरंजन ना समझें

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प्रेमानन्द जी महाराज ने अपने एक प्रवचन में यह कहा है कि आज कल लोगों ने व्रत को मनोरंजन समझ लिया है, व्रत को व्रत की तरह गंभीरता से लेना चाहिए. व्रत में भक्त के अंदर त्याग की भावना होनी चाहिए. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो फलाहार के नाम पर कुट्टू के आटे की पूरी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खाते हैं. इन आदतों को महाराज जी ने अच्छा नहीं माना है और उनका यह मानना है कि जो लोग व्रत के दौरान कुट्टू का आटा और महंगे फल खाते हैं, उन्हें ऐसा फलाहार नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह त्याग का प्रतीक नहीं माना जा सकता है.

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ऐसे करें व्रत

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प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार अगर आप व्रत कर रहे हैं तो आपको फलाहारी के नाम पर दिनभर कुछ भी खाते नहीं रहना चाहिए. व्रत का नियम यह होता है कि अगर आप व्रत कर रहे हैं तो आपको सुबह कुछ नहीं खाना चाहिए, लेकिन अगर दोपहर को आपको ऐसा महसूस हो कि आपको कुछ खाना है तो आप 12 बजे के आस-पास पानी पी सकते हैं और अगर आपसे ज्यादा देर भूखे नहीं रहा जाता है तो आप शाम के समय 4 बजे के आस-पास कुछ फल या थोड़ा दूध पी सकते हैं. इसके बाद आपको रात के समय कुछ नहीं खाना चाहिए फिर आप सुबह उठ कर भगवान को भोग चढ़ने के बाद अपना व्रत तोड़ सकते हैं.

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