International Day for eradication of poverty: अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाता है. ये दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में विशेष रूप से विकासशील देशों में गरीबी और गरीबी उन्मूलन की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में उनकी मदद करने के लिए उनकी चिंताओं और संघर्षों को सुनने का एक प्रयास है. यह दिन दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न स्तरों पर सभी प्रयासों को मान्यता देने का भी एक अवसर है.
जब COVID-19 महामारी ने कई देशों को बुरी तरह प्रभावित किया, तब दुनिया भर में आर्थिक स्थिति बहुत कम हो गई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी के प्रभाव के कारण लगभग 88-115 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिए गए हैं.
17 अक्टूबर 1987 को अत्यधिक भूख, हिंसा और गरीबी के शिकार लोगों को सम्मानित करने के लिए पेरिस के ट्रोकाडेरो में एक सभा बुलाई गई थी. सभा में एकत्र हुए नेताओं ने घोषणा की थी कि गरीबी उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है. सभी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है. मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पर 1948 में हस्ताक्षर किए गए थे. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया और 22 दिसंबर, 1992 को एक प्रस्ताव पारित किया.
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विश्व की जनसंख्या का एक बड़ा भाग गरीबी रेखा के नीचे आता है. आंकड़े दुनिया भर में जाने जाते हैं, लेकिन कुछ ही गरीबों के प्रतिदिन दो वक्त के भोजन की व्यवस्था करने के संघर्ष को देखते हैं। इसलिए, इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए, गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह दिन गरीबों के संघर्षों और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों द्वारा किए गए प्रयासों को पहचानने का एक अवसर है. गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस भी उनकी चिंताओं को सुनाने और उन्हें गरीबी से बाहर आने में मदद करने का एक अवसर है.