Rabindranath Tagore Jayanti 2022: रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर जाने उनके जीवन के बारे में खास बातें

Rabindranath Tagore Jayanti 2022: नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था. 1915 में ब्रिटिश सत्ता ने रवींद्रनाथ टैगोर को नाइटहुड (सर) की उपाधि से सम्मानित किया था. हालांकि 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद टैगोर ने यह उपाधि लौटा दी थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2022 4:45 AM
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Rabindranath Tagore Jayanti 2022: नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की गिनती देश के बड़े साहित्यकार और कलाकारों में होती है. साहित्य और कला में बचपन से ही रुचि होने के कारण उन्हें यह सम्मान मिला था. उनका जन्म 7 मई 1861 को हुआ था. साहित्यिक संस्थानों में उनका जन्मदिन तस्वीर पर माल्यार्पण करके मनाया जाता है.

नौकरों ने किया लालनपालन

गुरूदेव रवींद्रनाथ का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था. उनकी मां शारदा देवी का बचपन में ही निधन हो गया था. पिता देवेंद्रनाथ एक ब्रह्मसमाजी थे और व्यापक यात्राओं में रहा करते थे. बालक रवींद्रनाथ का लालन पालन नौकरों ने ही किया था.

रवींद्रनाथ टैगोर को मिली थी नाइटहुड की उपाधि

1915 में ब्रिटिश सत्ता ने रवींद्रनाथ टैगोर को नाइटहुड (सर) की उपाधि से सम्मानित किया था. हालांकि 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद टैगोर ने यह उपाधि लौटा दी थी. हालांकि ब्रिटिश सरकार ने उनको ‘सर’ की उपाधि वापस लेने के लिए मनाया था, मगर वह राजी नहीं हुए.

बने थे नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय

रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे. उन्हें 1913 में उनकी कृति गीतांजली के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. टैगोर की कविताओं की पांडुलिपि को सबसे पहले विलियम रोथेनस्टाइन ने पढ़ा था और वे इतने मुग्ध हो गए कि उन्होंने अंग्रेजी कवि यीट्स से संपर्क किया और पश्चिमी जगत् के लेखकों, कवियों, चित्रकारों और चिंतकों से टैगोर का परिचय कराया. रबींद्रनाथ टैगोर पहले गैर यूरोपीय थे जिनको साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला. नोबेल पुरस्कार गुरुदेव ने सीधे स्वीकार नहीं किया. उनकी ओर से ब्रिटेन के एक राजदूत ने पुरस्कार लिया था और फिर उनको दिया था.

भारत के अलावा इस देश का लिखा है राष्‍ट्रगान

टैगोर ने भारत के अतिरिक्‍त बांग्लादेश के राष्‍ट्रगान की भी रचना की है. इनका यह अनूठा गौरव विश्व के कई देशों में याद किया जाता है.

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