Raja Ram Mohan Roy Jayanti 2024: राजा राम मोहन रॉय के बारे में शायद ही ऐसा कोई ऐसा हो जो कि न जानता हो. इन्हें हम सभी आधुनिक भारत की नीव रखने वाले के रूप में भी जानते हैं. राजा राम मोहन रॉय का जन्म 22 मई 1772 में हुआ था. इनका जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गांव में हुआ था. दिमाग के मामले में राजा राम मोहन रॉय इतने तेज थे कि उन्होंने महज 15 साल की उम्र में अरबी, संस्कृत, बांगला और पारसी जैसी कई भाषाएं सीख ली थी. आपकी जानकारी के लिए बता दें रॉय ने अपनी शुरूआती दौर की पढ़ाई अपने गांव में ही हासिल की जबकि, आगे की पढाई पूरी करने के लिए उन्हें पटना भेज दिया गया.
काफी कम उम्र में सीखी कई भाषाएं
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि राजा राम मोहन रॉय ने महज 15 साल की उम्र में पारसी, अरबी, बांगला और संस्कृत भाषा सीख ली थी. आप इस बात से काफी आसानी से उनकी बुद्धि का अंदाजा लगा सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें राजा राम मोहन रॉय एकेश्वरवाद के एक सशक्त समर्थक थे और इन्होने रूढ़िवादी हिंदू अनुष्ठानों और मूर्ती पूजा का त्याग बचपन से ही कर दिया था. वहीं, रॉय के पिता एक हिंदू ब्राह्मण थे.
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इस कारण से छोड़ा अपना घर
यह बात हमने आपको पहले भी बताई कि राजा राम मोहन रॉय मूर्ति पूजा और रूढ़िवादी हिंदू परंपराओं के खिलाफ थे. केवल यहीं नहीं, वे सभी तरह के सामाजिक धर्मांधता और अंधविश्वास के भी विरुद्ध थे. रॉय के पिता एक कट्टर हिंदू ब्राह्मण थे और उनके विचारों की वजह से रॉय का उनके साथ हमेशा से मतभेद होता रहा था. यही एक कारण था जिस वजह से रॉय काफी छोटी से उम्र में अपना घर छोड़ हिमालय और तिब्बत की यात्रा करने निकल पड़े थे.
सोसाइटी में चल रहे कुरीतियों का किया विरोध
राजा राम यहां रॉय ईस्ट इंडिया कंपनी के रिवेन्यू डिपार्टमेंट में काम कर रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने जैन और मुस्लिम धर्म पर भी कई रिसर्च किये. अपने जीवनकाल में उन्होंने सोसाइटी में चल रहे कई कुरीतियों का काफी जमकर विरोध किया था. उन्होंने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का जमकर विरोध किया. राम मोहन रॉय ने गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बेंटिक के जरिए सती प्रथा के खिलाफ कानून भी बनवा दिया था. उन्होंने यह माना कि जब वेदों में सती प्रथा की बात नहीं की गयी है तो सोसाइटी में भी यह नियम नहीं होने चाहिए.
महिलाओं के हक के लिए की लड़ाई
राजा राम मोहन रॉय ने हमेशा महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए कई लड़ाई लड़ी. उन्होंने महिलाओं को प्रॉपर्टी में अधिकार दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी थी. वह एक ऐसा दौर था जब पूरी सोसाइटी कुरीतियों से जकड़ी हुई थी और रॉय एक ऐसे इंसान थे जो मॉडर्न थिंकिंग के मालिक थे. वे हमेशा से इस सोसाइटी को कुरीतियों से आजादी दिलाना चाहते थे.