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हेमलता जाखड़ बनी अपने गांव की पहली पुलिस अधिकारी, आसान नहीं रहा यहां तक का सफर, पढ़ें पूरी स्टोरी

तमाम सामाजिक बाधाओं को पार कर बाड़मेर की हेमलता जाखड़ आज एक पुलसी अधिकारी बन चुकी हैं. सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास से जूझते हुए बाड़मेर के किसान परिवार की एक लड़की ने मिसाल पेश की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2022 5:20 PM

बाड़मेर और जैसलमेर के पिछड़े सीमावर्ती जिलों में लड़कियों को पढ़ने और करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है. आज भी यहां की लड़कियों को हर छोटी-छोटी चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन ऐसी तमाम सामाजिक बाधाओं को पार कर बाड़मेर की हेमलता जाखड़ आज एक पुलसी अधिकारी बन चुकी हैं. सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास से जूझते हुए बाड़मेर के किसान परिवार की एक लड़की ने मिसाल पेश की है. उनकी शादी बचपन में ही हो गई थी. लेकिन, सभी बाधाओं के खिलाफ जाते हुए, उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ था करियर

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ इनका सफर आज सब इंस्पेक्टर के पद तक पहुंच चुका है. पद हासिल करने के बाद जब वह पहली बार अपने गांव पहुंची ग्रामीण उसे अपने कंधों पर उठाकर गांव में घुमाने ले गए. उनके स्वागत में गांव की महिलाओं ने मंगल गीत गाए. उन्होंने अपनी सफलता पर कहा, “जीवन में समस्याएं आपको रोक सकती हैं, लेकिन आपको तोड़ नहीं सकती हैं.”

पिता ने कहा बेटी पर है गर्व

बाड़मेर जिले के सरनू गांव निवासी उसके पिता दुर्गाराम जाखड़ को अपनी बेटी पर बहुत गर्व है. वह कहते हैं “पढ़ना हेमलता का जुनून था. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनने के बाद भी, उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी और राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के रूप में चुनी गई. उसने सरनू चिमनजी गांव के सरकारी स्कूल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की. वह रोजाना 14 किमी पैदल चलकर पढ़ाई करती थी.” एक सरकारी स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई उसने एक निजी छात्र के रूप में जारी रखी. उसे 2021 की परीक्षा में सब-इंस्पेक्टर के रूप में चुना गया था.

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गांव में कोई महिला या पुरुष अब तक नहीं बना सब- इंस्पेक्टर

सरनू और सरनू चिमनजी गांव का कोई भी पुरुष या महिला अब तक सब-इंस्पेक्टर नहीं बना है. वह सब-इंस्पेक्टर बनने वाली गांव की पहली महिला है. उसे हमेशा पुलिस में शामिल होने का शौक था. उसे खेल खेलना भी पसंद है. यही वजह है कि वह एक राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी भी हैं. हेमलता अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, दादी, भाई, बहन और पूरे परिवार को देती हैं.

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