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Raksha Bandhan 2023: सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है इस मंदिर का कपाट, जानें क्या है परंपरा

Raksha Bandhan 2023: साल 2023 में 30 और 31 अगस्त दोनों दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. आज हम आपको बताने वाले हैं ऐसे मंदिर के बारे में जिसके कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं.आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में.

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन का सबसे बड़ा पर्व है. इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर प्यार का बंधन राखी बांधती हैं. भाई इस मौके पर बहन को ये वचन देता है कि वो जिंदगी भर उसकी रक्षा करेगा. हर साल इस त्योहार का भाई बहनों को बेसर्बी से इंतजार रहता है. इस तरह साल 2023 में 30 और 31 अगस्त दोनों दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. आज हम आपको बताने वाले हैं ऐसे मंदिर के बारे में जिसके कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं.आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में. 

कहां मौजूद है ये अनोखा मंदिर

इस मंदिर का नाम बंशीनारायण/वंशीनारायण मंदिर है और ये उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम घाटी में मौजूद है. इस मंदिर तक पहुंचने का अनुभव बेहद खास है, क्योंकि यहां लोग ट्रेकिंग करके पहुंचते हैं. ये मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसका धार्मिक महत्व तो है, साथ ही इसका टूरिज्म से भी गहरा संबंध है. मंदिर की लोकेशन उर्गम घाटी को यहां बुगयाल भी पुकारा जाता है और ये घनी वादियों से घिरी हुई है.

सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं यहां के कपाट

कहते हैं कि इस मंदिर के कपाट पूरे साल बंद रहते हैं, लेकिन केवल एक दिन यानी रक्षाबंधन के दिन ही खोले जाते हैं. रीती रिवाजों के अनुसार, यहां की महिलाएं और लड़कियां भाईयों को राखी बांधने से पहले भगवान की पूजा करती हैं. कहते हैं कि यहां भगवान श्री कृष्ण और शिव जी की प्रतिमा स्थापित हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कहानी है, विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले यही प्रकट हुए थे। इसके बाद से ही यहां देव ऋषि नारद भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इसी वजह से यहां पर लोगों को सिर्फ एक दिन ही पूजा करने का अधिकार मिला हुआ है.

मंदिर से जुड़ी दूसरी रोचक बातें

  • इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है और इस मंदिर की अंदर से ऊंचाई महत 10 फुट है. इसके पुजारी राजपूत हैं, जो हर साल रक्षाबंधन पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं.

  • इस मंदिर के पास एक भालू गुफा मौजूद है, जहां भक्त प्रसाद बनाते हैं. कहा जाता है कि हर घर से मक्खन आता है और इस मक्खन को प्रसाद में मिलाकर भगवान को परोसा जाता है.

  • आप यहां पहुंचना चाहते हैं, तो पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में पहुंचे और फिर यहांउर्गम घाटीपहुंच जाए. इसके बाद आपको करीब 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा और फिर रास्ते में मंदिर नजर आएगा.

बंसी नारायण मंदिर कैसे पहुंचे?

  • उत्तराखंड के चमोली जिले में उर्गम घाटी में स्थित बंसी नारायण मंदिर तक केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है. 

  • सबसे पहले आपको जोशीमठ जाना होगा जो देहरादून से लगभग 293 किमी दूर है. 

  • उसके बाद जोशीमठ से हेलंग की तरफ जाना होगा जो 22 किमी दूर है, उसके बाद देवग्राम की तरफ हेलंग की तरफ जाना होगा जो 22 किमी दूर है, उसके बाद देवग्राम की तरफ हेलंग से 15 किमी दूर जाना होता है. 

  • बता दें कि बंसी नारायण मंदिर का ट्रेक लगभग 12 से  15 किमी लंबा है और ये देवग्राम से शुरू होता है .

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