रमजान के महीने इन बातों को ध्यान में रखना है जरूरी

रमज़ान का पाक महीना शुरू होने वाला है. यह पूरा महीना 30 दिनों का होता है, इस पूरे महीने रोज़े रखे जाते हैं. इस्लामी कैलेंडर में इस महीने को हिजरी कहा जाता है.

By Shaurya Punj | April 23, 2020 5:56 PM

रमज़ान का पाक महीना शुरू होने वाला है. यह पूरा महीना 30 दिनों का होता है, इस पूरे महीने रोज़े रखे जाते हैं. इस्लामी कैलेंडर में इस महीने को हिजरी कहा जाता है. मान्यता है कि हिजरी के इस पूरे महीने में कुरान पढ़ने से ज्यादा सबाब मिलता है. वहीं, रोज़े को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है. इस महीने मुसलमान ताक्वा को प्राप्त करने के लिए रोज़े रखते हैं. ताक्वा का अर्थ है अल्लाह को नापसंद काम ना कर उनकी पसंद के कार्यों को करना.

रमजान के पूरे महीने कुछ खास बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है. आइए जानते हैं कौन सी बातों को ध्‍यान में रखकर रोजे रखने चाहिए:

  • 1. इंसान रमजान की हर रात उससे अगले दिन के रोजे की नियत कर सकता है. बेहतर यही है कि रमजान के महीने की पहली रात को ही पूरे महीने के रोजे की नियत कर लें.

  • 2. अगर कोई रमजान के महीने में जानबूझ कर रमजान के रोजे के अलावा किसी और रोजे की नियत करे तो वो रोजा कुबूल नहीं होगा और ना ही वो रमजान के रोजे में शुमार होगा.

  • 3. बेहतर है कि आप रमजान का महीना शुय होने से पहले ही पूरे महीने की जरूरत का सामान खरीद लें, ताकि आपको रोजे की हालत में बाहर ना भटकना पड़े और आप ज्‍यादा से ज्‍यादा वक्‍त इबादत में बिता सकें.

  • 4. रमजान के महीने में इफ्तार के बाद ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीयें. दिनभर के रोजे के बाद शरीर में पानी की काफी कमी हो जाती है. मर्दों को कम से 2.5 लीटर और औरतों को कम से कम 2 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए.

  • 5. इफ्तार की शुरुआत हल्‍के खाने से करें. खजूर से इफ्तार करना बेहतर माना गया है. इफ्तार में पानी, सलाद, फल, जूस और सूप ज्‍यादा खाएं और पीएं. इससे शरीर में पानी की कमी पूरी होगी.

  • 6. सहरी में ज्‍यादा तला, मसालेदार, मीठा खाना न खाएं, क्‍यूंकि ऐसे खाने से प्‍यास ज्‍यादा लगती है. सहरी में ओटमील, दूध, ब्रेड और फल सेहत के लिए बेहतर होता है.

  • 7. रमजान के महीने में ज्‍यादा से ज्‍यादा इबादत करें, अल्‍लाह को राजी करना चाहिए क्‍यूंकि इस महीने में कर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है.

  • 8. रमजान में ज्‍यादा से ज्‍यादा कुरान की तिलावत, नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्‍लाह का जिक्र करके इबादत करें. रोजेदारों को इफ्तार कराना बहुत ही सवाब का काम माना गया है.

  • 9. अगर कोई शख्‍स सहरी के वक्‍त रोजे की नियत करे और सो जाए, फिर नींद मगरिब के बाद खुले तो उसका रोजा माना जाएगा, ये रोजा सही है.

  • 10. रमजान के महीने को तीन अशरों में बांटा गया है. पहले 10 दिन को पहला अशरा कहते हैं जो रहमत का है. दूसरा अशरा अगले 10 दिन को कहते हैं जो मगफिरत का है और तीसरा अशरा आखिरी 10 दिन को कहा जाता है जो कि जहन्‍नम से आजाती का है.

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