Sant Ravidas Jayanti 2022: संत रविदास का जन्म हिन्दू कैलेंडर के आधार पर माघ माह (Magh Month) की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) को रविदास जयंती मनाते हैं. आइए जानते हैं संत रविदास के उपदेशों के बारे में. देशभर में आज (16 फरवरी) गुरु रविदास जी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाएगी.
रविदास जयंती 2022 तिथि 16 फरवरी 2022, बुधवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 15 फरवरी 2022 को रात 09:16 से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 16 फरवरी 2022 को रात 01:25 तक
1. व्यक्ति पद या जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता है, वह गुणों या कर्मों से बड़ा या छोटा होता है.
2. वे समाज में वर्ण व्यवस्था के विरोधी थे. उन्होंने कहा है कि सभी प्रभु की संतान हैं, किसी की कोई जात नहीं है.
3. भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है
4. ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन।
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।
5. कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें।
इस छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है
परंतु एक हाथी इतना विशालकाय
और ताकतवर होने के बाद भी ऐसा नहीं कर सकता।
6. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास
7. कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं
बल्कि अपने कर्म के कारण होता है।
व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।
8. मन चंगा तो कठौती में गंगा.
का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार।
रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।।
9. हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए
और
साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए,
क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य
10. रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच।।
11. मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है।
इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है