असम सिल्क
असम प्राचीन काल से ही उच्च गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन के लिए जाना जाता था. बुनाई का शिल्प रेशम के उत्पादन के साथ-साथ चलता है. मूगा रेशम असम के लिए स्थानिक रेशमकीट एंथेरिया एसामेंसिस का उत्पाद है .
बनारसी सिल्क
जब भी सिल्क की बात आती है, तो हमारे जहन में बनारसी सिल्क का नाम सबसे पहले आता है. कई लोग तो सिल्क का मतलब ही बनारसी सिल्क समझते हैं. हालांकि, बनारसी सिल्क में भी एक नहीं कई वैरायटीज आती हैं। इस बात का ज्ञान बहुत ही कम महिलाओं को होता है और जब वह बाजार में बनारसी सिल्क साड़ी खरीदने जाती हैं
बांधनी साड़ी
बांधनी साड़ी मुख्यत: राजस्थान की एक कला है. ये साड़ी कई सालों से फैशन में बनी हुई हैं. बता दें ‘बंधनी’ शब्द को संस्कृत के ‘बंदा’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘टू टाई’. बांधनी टाई और डाई टेक्सटाइल का ही एक प्रकार है, जो कपड़े को प्लीट्स और बाइंडिंग में पिंच करके तैयार किया जाता है.
भागलपुरी सिल्क साड़ी
भागलपुरी सिल्क साड़ी की पहचान बढ़ती जा रही है. अब अधिकांश महिलाएं बनारस और सूरत नहीं, बल्कि भागलपुरी सिल्क साड़ी पहनना चाहती हैं. नई-नई डिजाइन में खूबसूरत साड़ियां तैयार हो रही हैं. इस कारण महिलाओं में भागलपुरी साड़ी का क्रेज बढ़ा है. स्थानीय दुकानों में भी सिल्क की कई वेरायटी की साड़ियां बिक रही हैं.
कांथा साड़ी
कांथा भारतीय कढ़ाई की सबसे प्राचीन कला है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके समृद्ध इतिहास का पता आप पहले और दूसरी AD से लगा सकती हैं. इस कढ़ाई को करने का उद्देश्य यह था कि पुराने कपड़ों और मटेरियल को फिर से इस्तेमाल किया जा सके और उनसे कुछ नायाब बनाया जा सके. इसने महिलाओं की कल्पनाओं को मुक्त शासन दिया.
चंदेरी साड़ी
अगर आप प्लेन साड़ी पहनने की शौकीन हैं, तो कुछ इस तरह के केवल बॉर्डर वर्क वाली चंदेरी साड़ी पहन सकती हैं. इस तरह की साड़ी देखने में बेहद सोबर दिखाई देती है. साथ ही आप इस तरह की साड़ी को किसी भी छोटे-मोटे फंक्शन के लिए पहन सकती हैं. इस तरह की साड़ी को नया लुक देने के लिए आप चाहे तो स्लीवलेस ब्लाउज को वियर कर सकती हैं.