लाइव अपडेट
इस बार ऐसे करें घर पर ही पूजन
सावन मास में हरिद्वार, प्रयाग(संगम स्थल) या आस-पास जहां गंगा धारा हों, वहां से जलकर लाकर अभिषेक करने की परंपरा मान्यता है. इस बार कोरोना संकट के कारण यह अनुष्ठान संपन्न नहीं हो सकेगा.
सावन शिवरात्रि 2021 व्रत पारण का समय
सावन शिवरात्रि का व्रत 6 अगस्त को रखा जाएगा, जिसका पारण 7 अगस्त को होगा. व्रत पारण का शुभ समय 07 अगस्त को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 47 मिनट तक है.
सावन शिवरात्रि 2021 शुभ मुहूर्त
सावन शिवरात्रि को निशिता काल पूजा का समय देर रात 12 बजकर 06 मिनट से देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. इस साल सावन शिवरात्रि पूजा का कुल समय 43 मिनट है.
सावन शिवरात्रि महत्व
सावन की शिवरात्रि का व्रत और इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से अर्चक को शांति, रक्षा, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि व्रती के सभी पाप को नष्ट कर देती है. सावन की शिवरात्रि का व्रत रखने से कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलने की मान्यता है. वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है.
26 जुलाई से शुरू होगा सावन
सावन का प्रथम शिव वास 25 जुलाई को प्रात: 6 बजे तक है. उसी दिन भगवान शिव को जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाएगा. पहला सोमवार 26 जुलाई को है. 22 अगस्त को रक्षाबंधन का मुहूर्त सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक है.
सोमवार के व्रत से शनि दोष होता है खत्म
सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है.माना जाता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है. जिन पर शनि का दोष हो इनका शनि दोष खत्म हो जाता है.
मिलता है शिव का आर्शीवाद
सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैंऔर भक्तों के मनोरथ पूरा करते हैं. उन्हें धन-दौलत, मान-सम्मान एवं पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं.
सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि
सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अब धूप दीप से आरती करें.
सावन मास का महत्व
धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है. पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं. शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है.
शिव होते हैं प्रसन्न
सावन मास के सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि सावन सोमवार को विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
22 अगस्त को खत्म होगा सावन
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का प्रिय मास सावन का आरंभ आयुष्मान योग में 25 जुलाई रविवार से शुरू हो रहा है. सावन महीना शुभ और विशेष संयोग के साथ 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त को खत्म होगा.
शिव भगवान को शंख नहीं अर्पित करना चाहिए
महादेव की पूजा में शंख वर्जित माना जाता है. इस लिए शिव भगवान की पूजा करते समय शंख नहीं अर्पित करना चाहिए
भगवान शंकर को प्रिय है सफेद पुष्प
भगवान शंकर को आक का लाल और सफेद पुष्प बेहद प्रिय है. इस लिए इनकी पूजा करते समय ये फूल जरूर अर्पित करें.
भगवान शंकर को प्रिय है दूध
भगवान शंकर को दूध बेहद प्रिय है. इसलिए उनकी पूजा में दूध का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव को दूध चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है. सावन में दूध से रुद्राभिषेक भी किया जाता है. इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है.
सावन महीने के सोमवार
सावन महीने में सोमवार के दिन का खास महत्व होता है. इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं. सोमवार का पहला व्रत 26 जुलाई को है, जबकि इसका आखिरी सोमवार 16 अगस्त को है. सावन के हर सोमवार में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है.
कल से शुरू होगा सावन महीना
कल 25 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है. सावन महीना भगवान शिव को समर्पित है. सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को है. सावन का पहला सोमवार होने के कारण इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा करने का विधान है. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है.
सावन सोमवार 2021
सावन के सभी सोमवार महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन पहला और अंतिम सोमवार का विशेष महत्व होता है. सोमवार के व्रत में पूजन विधि और अनुशासन का विशेष ध्यान रखना चाहिए. तभी सावन सोमवार व्रत का पूरा लाभ प्राप्त होता है.
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
सावन मास व्रत नियम
सावन महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए. घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए.
सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है.
इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है. शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है.
शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें.
सावन माह की पूजा-विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं.
भगवान शिव को बेल पत्र और पुष्प अर्पित करें.
इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.
इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें.
भगवान शिव की पूजा सामग्री (Sawan Puja Samagri)
सावन में पुष्प, पांच प्रकार के फल, धूप, दीप, कपूर, रूई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, पूजा के बर्तन, शुद्ध देशी घी, पंच मेवा, मौली, जनेऊ, दक्षिणा, दही, पवित्र गंगा जल, कुशासन, शहद, आम्र मंजरी, चंदन, पंच रस, गाय का कच्चा दूध, इत्र, गंध रोली, मंदार पुष्प, मिष्ठान, जौ की बालें, बेर, तुलसी दल, ईख का रस, रत्न, मलयागिरी, शिव व मां पार्वती की 16 श्रृंगार की सामग्री व अन्य चीजों की जरूरत पड़ सकती है.
कितने दिन का होगा ये सावन माह (Sawan 2021 Start And End Date)
सावन माह की शुरुआत रविवार, 25 जुलाई 221 से हो रही है. पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है. इस बार सावन कुल 29 दिनों का है. जिसमें 4 सोमवार पड़ने वाले है. 22 अगस्त को सावन की अंतिम तिथि है. जिस दिन रक्षा बंधन भी पड़ रहा है.
सावन का महत्व
आपको बता दें कि 25 जुलाई से 22 अगस्त तक सावन का महीना पड़ रहा है. इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस दौरान भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान वे अपने भक्तों की सुनते है. उनके दुख-दर्द को समाप्त करते हैं.
Posted By: Sumit Kumar Verma