Jageshwar Temple Tour: Sawan में करें जागेश्नर धाम के दर्शन, ऐसे तय करें सफर
Jageshwar Temple Tour: धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा जिले में कई पौराणिक और एतिहासिक मंदिर हैं. इसमें पौराणिक जागेश्वर धाम विश्व में प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है. मंदिरों के समूह और ज्योतिर्लिंगों आदि के लिए जागेश्वर का नाम इतिहास में दर्ज है.
Jageshwar Temple Tour: सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस पावन महीने में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन और विशेष पूजा-अर्चना के लिए देश के अलग अलग मंदिर में आते हैं. धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा जिले में कई पौराणिक और एतिहासिक मंदिर हैं. इसमें पौराणिक जागेश्वर धाम विश्व में प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है. मंदिरों के समूह और ज्योतिर्लिंगों आदि के लिए जागेश्वर का नाम इतिहास में दर्ज है.
कैसा है जागेश्वर धाम
जागेश्वर धाम, उत्तरांचल के जंगल के ऊंचे इलाकों में जागेश्वर या नागेश के रूप में शिव का निवास है. यहां का पूरा शहर शिव मंदिरों को समर्पित है. यहां के ऊंचे -ऊंचे देवदार के पेड़ देखने में वास्तव में खूबसूरत लगते हैं साथ ही गहरे हरे रंग की पोषक पहने नज़र आते हैं. उत्तराखंड का हिमालयी राज्य माप से परे सुंदर है और फिर भी अपनी अधिक लोकप्रिय बहन, हिमाचल प्रदेश की तुलना में पर्यटकों को लुभाता है. जबकि ऋषिकेश, नैनीताल और मसूरी जैसे गंतव्य हमेशा सुर्खियों में रहे हैं, राज्य में अभी भी खजाने के अप्रकट होने की प्रतीक्षा है.
लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा यहीं से हुई थी शुरू
जागेश्वर धाम का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण में मिलता है. मान्यता है कि यह पहला मंदिर है जहां लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा शुरू हुई थी. यह भी कहा जाता है कि यहां सप्तऋषियों ने तपस्या की थी. मान्यता है कि भगवान राम के पुत्रों लव-कुश ने भी यहां यज्ञ किया था और देवताओं को आमंत्रित किया था. जागेश्वर मंदिर परिसर में 124 मंदिरों का समूह है. जिनका निर्माण बड़ी-बड़ी शिलाओं से किया गया है.
सदियों पुराना मंदिर
उत्तराखंड में स्थित जागेश्वर धाम एक एक ऐसा धाम भी है जिसका नाम तो प्रसिद्ध है लेकिन इसका रहस्य कोई भी नहीं जानता है. भगवान शिव का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है. उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर का पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख किया गया है जिसका वर्णन शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है.
केदारनाथ जाने से पहले जागेश्वर आये थे शंकराचार्य
शंकराचार्य ने केदारनाथ जाने से पहले जागेश्वर धाम में भगवान शिव के दर्शन किए और कई मंदिरों का जीर्णोद्धार और स्थापना की थी. शिव के इस प्रसिद्ध धाम को आठवें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शिव ने अनादिकाल तक तपस्या की थी.
कैसे पहुंचे जागेश्वर
जागेश्वर पहुंचने के लिए बस, ट्रेन आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं. दिल्ली से जागेश्वर आने के लिए पहले 270 किमी हल्द्वानी तक ट्रेन या बस से आना होगा. इसके बाद हल्द्वानी से जागेश्वर लगभग 120 किमी बस या टैक्सी से यात्रा करनी होगी.
अल्मोड़ा के दर्शनीय स्थल
अल्मोड़ा हिल स्टेशन
अल्मोड़ा भारत के उत्तराखंड राज्य का एक शहर है . अल्मोड़ा की आकर्षक सुंदरता जैसे कि हिमालय का दृश्य, पहाड़ों की वादियां को देखकर आप लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है अगर देखा जाए तो अल्मोड़ा खाने के अलग-अलग व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है।
अल्मोड़ा का दुनागिरि मंदिर
मां दूनागिरी मंदिर हिंदुओं का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित है।वैष्णो देवी के बाद अल्मोड़ा में “दूनागिरी” दूसरी वैष्णो शक्तिपीठ . दूनागिरी मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहां भक्ति करते हैं तो उनकी मुराद जरूर पूरी होती है . यदि आपको अल्मोड़ा घूमने का सौभाग्य मिले हो आप इस मंदिर एक बार जरूर जाइए दर्शन करने के लिए .
अल्मोड़ा का कसार देवी मंदिर
अल्मोड़ा पर्यटन स्थलों में सबसे पसंदीदा कसार देवी मंदिर है .अल्मोड़ा में एक छोटा सा गाँव है जो अपने प्रतिष्ठित कासर देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। इस मंदिर परिसर में जीपीएस 8 ( GPS -8) पॉइंट मार्क किए गए हैं . यह पॉइंट अमेरिका के नासा के वैज्ञानिकों द्वारा मंदिर के मुख्य द्वार के लेफ्ट साइड मार्क किया गया है .
अल्मोड़ा का नंदादेवी मंदिर
नंदा देवी मंदिर का इतिहास दोस्तों 1000 साल से अधिक पुराना है .यह मंदिर समर्पित है चंद वंश को ,इस नंदा देवी मंदिर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर महीने में मेला का आयोजन किया जाता है . नंदा देवी दुर्गा का अवतार है .यह मंदिर शहर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है .
अल्मोड़ा में जलना हिमालय की सुंदरता
जलना एक छोटा सा पहाड़ी शहर है.जो यात्रियों को कुछ एकांत स्थान प्रदान करता है.जालना अल्मोड़ा से 30 किमी दूर स्थित है.जालना 1,675 मीटर की ऊंचाई पर है.यह स्थिति हिमालयन रेंज की मनोरम दृष्टि प्रदान करती है.