Famous Shiv Mandir In Bihar Jharkhand: सावन का महीना शुरू हो चुका है. देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार के लोग भी सावन में फेमस और पवित्र शिव मंदिरों में दर्शन और जल अर्पित करने के लिए पहुंचते रहते हैं. झारखंड में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ का मंदिर स्थित है. इसके साथ बिहार और झारखंड में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जहां इस सावन में लोग जलाभिषेक करते हैं.
बाबा गरीब नाथ, मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर का गरीब नाथ मंदिर में हर साल सावन में लाखो श्रद्धालु कावड़ ले के आते है! बाबा के भक्त सोनपुर के पास पहलेजा घाट से दक्षिण वाहिनी गंगा का पवित्र गंगा जल ले के सोनपुर हाजीपुर के रास्ते 65 KM की यात्रा नंगे पाँव पूरी कर के बाबा को जल चढ़ाते है! यह बिहार की सबसे लम्बी दूरी की कावड़ यात्रा है!
बैद्यनाथ मंदिर (देवघर ), झारखंड
झारखंड का देवघर , जिसे बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है. यह बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है और इसी के साथ यह 51 शक्ति पीठों में से एक पीठ भी है. यही कारण है कि इस महादेव के शिवलिंग को कामना लिंग कहा जाता है क्योंकि यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा एक साथ होती है.
Famous Shiv Mandir In Bihar
हरिहर नाथ, सोनपुर
हरिहर नाथ, पावन नारायणी नदी के तट पे भगवान हरी और हर का एक पौराणिक मंदिर है! यहाँ पौराणिक कथा के अनुसार गज और ग्राह की लड़ाई हुए थी, जिसमे खुद भगवान् विष्णु ने आ के गज की सहायता की थी! बाबा गरीब नाथ कावड़ ले के जाने बाले श्रद्धालु हरिहर नाथ पे जल चढ़ाना नहीं भूलते!
ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर
बिहार के साथ-साथ झारखंड में मौजूद फेमस और पवित्र शिव मंदिर का नाम लिया जाता है तो उस लिस्ट में ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर का नाम जरूर शामिल रहता है.कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग सैकड़ों वर्ष पुराना है. मंदिर की पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर को स्वयं ब्रह्माजी ने स्थापित किया था. इसी कारण से इस शिवलिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है.
अजगैबीनाथ मंदिर, भागलपुर, सुल्तानगंज (बिहार)
अजगैबीनाथ मंदिर भगवान शिव के दुर्लभ प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है और भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में स्थित है. मंदिर का प्रांगण मनमोहित करने है वाला है और यहां के पत्थरों पर उत्कृष्ट नक्काशी एवं शिलालेख श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं.
पहाड़ी मंदिर, रांची
रांची के पहाड़ी मंदिर से कुछ अनूठी परंपराएं जुड़ी हैं.जैसे, यहां आदिवासी सबसे पहले नाग देवता की पूजा करते हैं.इसके बाद पहाड़ी बाबा का दर्शन करते हैं.झारखंड नागभूमि है.नाग भी शिव का ही अलंकार हैं.सावन के महीने में हर दिन मंदिर कांवड़ियों से पटा रहता है. महाशिवरात्रि, नागपंचमी या फिर सावन मास भक्त महादेव का दर्शन करने यहां पहुंचते हैं. इस पहाड़ी से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखते ही बनता है.
माधवेश्वर नाथ महादेव मंदिर, दरभंगा, बिहार
माधवेश्वर नाथ महादेव मंदिर की स्थापना दरभंगा के महाराजा माधव सिंह ने 350 वर्ष पूर्व करायी थी. इन्हीं के नाम पर मंदिर का नाम माधवेश्वर नाथ महादेव मंदिर पड़ा. मंदिर के ठीक सामने तालाब खुदवाया गया. विशेष दिन मंदिर के अगल-बगल पूजा सामग्री की कई दुकानें सज जाती है. शिवरात्री में तीन दिनों तक अखण्ड नामधुन, नरक निवारण चतुर्दशी में महादेव का श्रृंगार व प्रत्येक सोमवारी को विशेष शृंगार की यहां परंपरा है. मंदिर में सच्चे दिल से की गयी याचना भोले भंडारी पूरी करते हैं. इस विश्वास के साथ यहां लोग याचक बनकर आते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद लोग बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना नहीं भूलते.
बाबा गाजेश्वरनाथ धाम, साहिबगंज
बाबा गाजेश्वरनाथ धाम झारखंड के साहिबगंज जिले में है. पैराणिक कथा के अनुसार यहां राक्षसराज गजासुर ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने गजासुर को दर्शन दिये थे. इसलिये इसे गाजेश्वरनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं. इससे पहले श्रद्धालु फरक्का या राजमहल से गंगाजल लेते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी इसे खास बनाती है.