Sawan 2024: सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने दुनिया भर के भक्त भगवान शिव को हर संभव तरीके से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. चाहे शिवलिंग पर दूध और बेल पत्र चढ़ाना हो या सावन के अंत तक हर सोमवार को व्रत रखना हो, लोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. भारत में, लोग आमतौर पर भगवान शिव की पूजा केवल उनकी तस्वीर के बजाय शिवलिंग के रूप में भी करते हैं. सावन के महीने में, भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली चीजें यहां दी गई हैं और उन कारणों के बारे में भी बतलाया गया है कि आखिर क्यों ये चीजें भगवान शिव को चढ़ाई जाती है.
पंचामृत
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, पंचामृत 5 सामग्रियों का मिश्रण है. जिन्हें प्रकृति में बहुत शुद्ध माना जाता है. इसे दूध, दही, शहद, घी और चीनी से बनाया जाता है और इनमें से प्रत्येक सामग्री का अपना महत्व है. दूध पवित्रता का प्रतीक है, दही स्वास्थ्य के लिए, शहद मधुर संबंधों के लिए, घी अच्छे पोषण के लिए और चीनी जीवन में आनंद के लिए अच्छा माना जाता है.
क्यों चढ़ातें हैं?
पंचामृत को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है और जब इसे भगवान शिव को चढ़ाया जाता है तो यह समग्र कल्याण की कामना करता है.
दूध
भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले सबसे आम प्रसादों में से एक है दूध.ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर इसका ठंडा प्रभाव पड़ता है, जिसे भगवान शिव के उग्र रूप को ठंडा करने के तरीके के रूप में देखा जाता है.
क्यों चढ़ातें हैं?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ही थे जिन्होंने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पिया था और ठंडा दूध चढ़ाना कृतज्ञता और भक्ति का एक संकेत है, जो उनके जलते हुए गले को शांत करने में मदद करेगा.
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दही
दही या योगर्ट एक और चीज है, जिसे लोग सावन के महीने में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. दूध की तरह दही को भी अपने ठंडे गुणों के बहुत शुद्ध माना जाता है.
क्यों चढ़ातें हैं?
माना जाता है कि भगवान शिव को दही चढ़ाने से भक्त का मन और आत्मा शुद्ध होती है, जिससे उनकी प्रार्थना भगवान शिव तक पहुंचती है. दही बेहतर स्वास्थ्य का भी प्रतीक है, इसलिए शिवलिंग पर दही चढ़ाने से समय के साथ बेहतर स्वास्थ्य पाने में मदद मिलती है.
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बेल पत्र
बेल पत्र या बेल के पेड़ के पत्तों का उपयोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए किया जाता है. यह ध्यान रखना चाहिए कि भक्तों को भगवान शिव की पूजा करते समय कभी भी तुलसी के पत्तों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है.
क्यों चढ़ातें हैं?
बेल का पत्ता या बेल पत्र भगवान शिव की पूजा और उन्हें अर्पित करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. यह तीन पत्तों वाला पत्र है जो भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतीक भी माना जाता है. माना जाता है कि बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और इससे भक्त के दिल और आत्मा को शुद्ध करने में भी मदद मिलती है.
चंदन
भगवान शिव को चंदन सबसे ज्यादा पसंद है, इसलिए सावन के दौरान कई भक्त शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाते हैं.
क्यों चढ़ातें हैं?
चंदन सुखदायक, बहुत सुगंधित और शांत करने वाले गुणों से भरपूर होता है. माना जाता है कि शिवलिंग पर चंदन का लेप या पाउडर चढ़ाने से भगवान शिव की तीव्र ऊर्जा पर शांत प्रभाव पड़ता है.
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घी
घी को पवित्रता और पोषण का प्रतीक माना जाता है.
क्यों चढ़ातें हैं?
माना जाता है कि शिवलिंग पर घी चढ़ाने से वातावरण और भक्त का हृदय शुद्ध होता है, जिससे उनकी प्रार्थना अधिक शक्तिशाली बनती है. घर में किए जाने वाले हवन में भी घी का इस्तेमाल किया जाता है और इसका अर्पण नकारात्मक ऊर्जाओं को जलाने और उस स्थान में सकारात्मक कंपन और ऊर्जा के आह्वान का प्रतीक होता है.