Sawan Fasting: सावन में मांस मछली क्यों नहीं खाना चाहिए, जानिए धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

Sawan Fasting: सावन का महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति का समय होता है. इस दौरान मांस और मछली का सेवन नहीं करने की परंपरा है, जो धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. इस लेख में हम सावन में मांस-मछली त्यागने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों को विस्तार से समझते हैं

By Rinki Singh | July 20, 2024 8:46 PM

Sawan Fasting: सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह महीना भगवान शिव की भक्ति का समय होता है और इस दौरान भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं. सावन के दौरान मांस और मछली का सेवन नहीं करने की परंपरा है. यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. आइए, इस लेख में हम इस परंपरा के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को विस्तार से समझते हैं.

भगवान शिव की भक्ति

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस महीने में शिव भक्त उपवास रखते हैं और मांस-मछली का त्याग करते हैं.

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शुद्धता और पवित्रता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मांस और मछली को तामसिक भोजन माना जाता है, जो शुद्धता और पवित्रता को प्रभावित कर सकता है.

आहार का नियंत्रण

सावन में व्रत और उपवास का विशेष महत्व होता है. मांस और मछली का त्याग करने से आहार का नियंत्रण होता है, जो आत्मसंयम को बढ़ावा देता है.

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वातावरण और जलवायु

सावन का महीना वातावरण और जलवायु के परिवर्तन का समय होता है. इस समय में मांस-मछली का त्याग करके शरीर को इन परिवर्तनों के अनुकूल बनाया जा सकता है.

अहिंसा का पालन

मांसाहार में हिंसा निहित होती है. सावन के महीने में अहिंसा का पालन करते हुए मांस और मछली का त्याग किया जाता है.

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बीमारियों से बचाव

मांस-मछली का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. सावन में मांस-मछली का त्याग करके इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
शरीर की सफाई

धार्मिक रीति-रिवाज

सावन के महीने में कई धार्मिक रीति-रिवाज और परंपराएँ होती हैं, जिनमें मांस-मछली का त्याग शामिल होता है.

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मानसिक शांति

मांस-मछली का त्याग करने से मानसिक शांति मिलती है, जिससे ध्यान और पूजा में मन लगता है.

मानसून और स्वास्थ्य

सावन का महीना मानसून का समय होता है. इस समय में जलवायु परिवर्तन के कारण मांस और मछली जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

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पाचन क्रिया

मानसून के दौरान पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है. मांस और मछली भारी भोजन होते हैं, जिन्हें पचाने में कठिनाई हो सकती है.

संक्रमण से बचाव

मानसून के समय में मांस और मछली में बैक्टीरिया और वायरस का खतरा अधिक होता है. सावन में मांस-मछली का त्याग करके संक्रमण से बचा जा सकता है.

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