Seven Wonders of The World: दुनिया मे सात अजूबों की करना चाहते हैं सैर तो पहले जान लें ये बातें

Seven Wonders of The World: प्रकृति स्वयं भी दुनिया भर में कहीं ना कहीं कोई ना कोई अजूबा बनाती रहती है. आज हम दुनिया के ऐसे सात अजूबों के बारे में जानने जा रहे हैं जो मानव के द्वारा बनाए गए सबसे आश्चर्य में डाल देने वाले स्थान और इमारत है.

By Shaurya Punj | August 4, 2023 11:06 AM

Seven Wonders of The World: दुनिया के सात अजूबे का इतिहास बहुत ही प्राचीन है. प्राचीन समय से ही दुनिया भर में मौजूद अजीबोगरीब और आश्चर्य में डाल देने वाले चीजों की सूची पुराने समय से बनाई जा रही है. सबसे पहले इसका विचार ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस और विद्वान कल्लिमचुस को आज से करीब 2200 साल पहले आया था. प्रकृति स्वयं भी दुनिया भर में कहीं ना कहीं कोई ना कोई अजूबा बनाती रहती है लेकिन जब कोई इंसान या फिर इंसानों के समूह के द्वारा कोई ऐसी चीज बना दे जिसे देखकर लोग आश्चर्य में पड़ जाए ऐसे अजूबों को मानव निर्मित अजूबे माने जाते हैं और आज हम दुनिया के ऐसे सात अजूबों के बारे में जानने जा रहे हैं जो मानव के द्वारा बनाए गए सबसे आश्चर्य में डाल देने वाले स्थान और इमारत है.Seven Wonders of The World

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चीन की दीवार (The Great Wall of China)

चीन की दिवार सात अजूबे में से एक अजूबा है. इसका निर्माण 7 वीं शताब्दी से लेकर 1600 शताब्दी तक चीन के विभिन्न शासकों के द्वारा बाहरी आक्रमणों से बचने के लिए किया गया था. इसकी कुल लम्बाई 6400 किलोमीटर है. एवं ऊंचाई लगभग 35 फिट है. और ये चीन के पूर्वी हिस्से से लेकर पश्चिमी हिस्से तक फैली हुई है. इसे बनवाने की शुरुआत चीन के शासक किन शी हुआंग के द्वारा किया गया था. इस दीवार के निर्माण के पीछे अपने साम्राज्य की रक्षा करना था. ग्रेट वॉल ऑफ चाइना पृथ्वी पर सबसे लंबा कब्रिस्तान भी माना जाता है. बताया जाता है कि इसके निर्माण में 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. इसके बारे ऐसा कहा जाता है की इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. इसे बनाने में कुल 20 से 30 लाख तक लोगो ने अपनी जान गवाई थी. इसे साल 1970 में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. वर्ष 1987 में इसे युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया था. हर साल लगभग एक लाख पर्यटक इसे देखने आते है. चीन की दिवार मानव के इतिहास में अब तक सर्वश्रेष्ट मानव निर्मित ढांचा है.

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ताजमहल, भारत (Tajmahal)

ताजमहल भारत का इकलौती ऐसी धरोहर है, जो सात अजूबों में शामिल है. उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे यह स्थित है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में इसका निर्माण करवाया था. लोगों का ऐसा मानना है की शाहजहां ने 1631 में इसको बनाने का कार्य प्रारंभ किया था. इसका निर्माण सन 1632 ईस्वी से लेकर 1653 ईस्वी तक हुई. इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था. पूरी तरह सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया यह एक अनोखी कलाकृति एवं खूबसूरती का जबरदस्त नमूना है. इसकी ऊचाई 73 मीटर है. और इसके चारो ओर बाग बना हुआ है.

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क्राइस्ट द रिडीमर, ब्राजील (Christ the Redeemer)

ब्राजील का 125 फीट लंबी क्राइस्ट द रिडीमर दुनिया के सात अजूबों में से एक है. हेटर दा सिल्वा कोस्टा की डिजाइन पर इसका निर्माण ब्राजील में नहीं बल्कि फ्रांस में किया गया था. यह 98 फीट लम्बा, और इसका आधार 26 फीट मिलाकर ये कुल 124 फीट ऊँचा है. और इस प्रतिमा के बाँहों, हाथों की लम्बाई 92 फीट है. 635 मीट्रिक टन वजनी इस मूर्ति को मूर्तिकार Heitor da Silva Costa, Carlos Oswald, ने डिजाईन किया और फ्रेंच के Paul Landowski के द्वारा इसे बनाया गया था. इस मूर्ति का निर्माण साल 1926 में शुरू हुई और पांच वर्षों में साल 1931 में बनकर तैयार हो गयी.

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चिचेन इट्जा, मैक्सिको ( Chichén Itzá)

मैक्सिको का चिचेन इट्जा भी सात अजूबों में शामिल है. यह माया सभ्यता से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर है. इसे मैक्सिको का सबसे संरक्षित पुरातात्विक स्थल माना जाता है. इसका इतिहास 1200 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह कुल 5 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. पिरामिड के आकर का यह मंदिर 79 फीट ऊँचा है. चिचेन इत्ज़ा माया का सबसे बड़ा शहर है, इसकी जनसँख्या भी काफी है. इस मंदिर के ऊपर तक जाने के लिए हर दिशा में 91 सीढ़ी बनी है. जो की चारों ओर से कुल मिलाकर 365 सीढ़ी है. जो की कहा जाता है की ये सभी 365 सीढ़ी वर्ष के 365 दिनों का सिंबल है. इसे साल 1988 में युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया था.

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कालीजीयम, इटली (Colosseum)

इटली में स्थित कालीजीयम का निर्माण सम्राट टाइटस वेस्पेशियन ने करवाया था. कहा जाता है कि 70 ईसवी और 82 ईसवी के मध्य इसका निर्माण हुआ था. इसे बनाने में करीब 9 साल का वक्त लगा. इसमें 50 हजार से भी अधिक दर्शकों की बैठने की क्षमता थी. इसे रेत, कंक्रीट से बनाया गया था. इस स्टेडियम में पुराने खेल जैसे की घुडसवारी, और कई अनेक प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन हुआ करते थे. अब तो प्राकृतिक आपदा के कारण इसका काफी हिस्सा नष्ट हो चूका है. फिर भी ये जगह दुनिया के ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है. और इसे साल 1980 में युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया था.

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माचू पिच्चु (Machu Picchu)

दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पेरू देश में कुज़्को के नजदीक स्थित माचू पिच्चु भी दुनिया के सात अजूबे में शामिल है. यह ऐतिहासिक समुद्र ताल से 2430 मीटर ऊंचाई एंडीज पर्वत पर स्थित है. यहाँ पर इंका सभ्यता निवास किया करती थी. इसका निर्माण राजा पचाकूति ने 1400 ईस्वी के आस पास करवाया था. साल 1983 में यूनेस्को ने माचू पिच्चू को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया था. यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है.

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पेट्रा का पुराना शहर (Petra)

जॉर्डन देश में एक प्राचीन और पुरातात्विक शहर पेट्रा बसा हुआ है. यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है. पेट्रा दुनिया के सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है. इस शहर का निर्माण छठवीं शताब्दी से माना जाता है. यह कभी नाबातियान साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. इसका निर्माण तक़रीबन 312 BC में किया गया था. चट्टानों से काटकर इस शहर का इमारतों का निर्माण किया गया है. जो इसे बहुत ही खाश बनाती है. लाखों की संख्या में हर साल विदेशी पर्यटक इस नायाब खूबसूरती को देखने आते है में इसे साल 1985 में युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया था.

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