अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी, ये हैं Durga Aarti की आसान आरती, यहां पढ़ें

Maa Durga Aarti : शारदीय नवरात्रि का आगाज हो चुका है. बड़े ही कई जगहों पर बड़े-बड़े पंडाल लग रहे हैं. पूरे नौ दिन माता जी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. चलिए जानते हैं इस पूरे नवरात्रि के दिन आसान दुर्गा आरती.

By Shweta Pandey | October 19, 2023 6:14 AM

Maa Durga Aarti : शारदीय नवरात्रि का आगाज हो चुका है. बड़े ही धूमधाम से माता रानी के भक्त इस पूरे नौ दिन को सेलिब्रेट कर रहे हैं. कई जगहों पर बड़े-बड़े पंडाल लग रहे हैं. पूरे नौ दिन माता जी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. 19 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है, और इस दिन देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. चलिए जानते हैं इस पूरे नवरात्रि के दिन आसान दुर्गा आरती.

दुर्गा आरती (Durga Aarti)

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

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मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको।

उज्जवल से दोऊ नैना चन्द्रवदन नीको॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे।

रक्त पुष्प गल माला कण्ठन पर साजे॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी।

सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख हारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी।

शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती।

धूम्रविलोचन नैना निशदिन मदमाती॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी।

आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ।

बाजत ताल मृदंगा अरु डमरुँ॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःखहर्ता सुख सम्पत्ति कर्ता॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी।

मनवांच्छित फल पावे सेवत नर नारी॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत अगर कपुर बात्ती।

श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

या अम्बे जी की आरती जो कोई नर गाये।

कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पाये॥

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥

ॐ जय अम्बे गौरी।

आसान दुर्गा आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से है बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

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माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता। पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली, दुखियों के दुखड़े निवारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना। हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, सतियों के सत को संवारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥

मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥

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