ओडिशा के गुप्तेश्वर मंदिर में स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग, सावन में हर सोमवार को होता है रुद्राभिषेक
ओडिशा के बीरमित्रपुर में भी ऐसा ही एक महादेव मंदिर है. इस मंदिर का नाम है गुप्तेश्वर मंदिर. गुप्तेश्वर मंदिर की स्थापना करीब 70 साल पहले हुई. ऐसा माना जाता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है. प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में इस मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ जुटती है.
सावन का महीना भगवान भोले शंकर को बेहद प्रिय है. यही वजह है कि बाबा के भक्त सावन में कांवर उठाकर उनके दर पर जाते हैं और शिवशंकर का जलाभिषेक करते हैं. इसके पीछे कई मान्यताएं हैं. कई कहानियां हैं. अपने देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. इन ज्योतिर्लिंगों के अलावा अलग-अलग राज्यों में भी कई प्रसिद्ध शिवलिंग हैं, जहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है.
70 साल पहले हुई थी गुप्तेश्वर मंदिर की स्थापना
ओडिशा के बीरमित्रपुर में भी ऐसा ही एक महादेव मंदिर है. इस मंदिर का नाम है गुप्तेश्वर मंदिर. गुप्तेश्वर मंदिर की स्थापना करीब 70 साल पहले हुई. ऐसा माना जाता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है. प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में इस मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ जुटती है. खासकर सावन के सोमवार को यहां पर भक्तों का तांता सुबह से लेकर शाम तक लगा रहता है.
पड़ोसी राज्यों से भी लोग आते हैं जलाभिषेक करने
वहीं, शाम के समय बाबा का रुद्राभिषेक आकर्षण का केंद्र होता है. इस मंदिर में सावन के सोमवारों में भोले बाबा का जलाभिषेक करने बिरमित्रपुर समेत सुंदरगढ़ जिले के अलग-अलग स्थानो के अलावा पड़ोसी झारखंड राज्य के सीमावर्ती अंचलों से भी भक्त जुटते हैं. इसके लिये मंदिर कमेटी की ओर से भी समुचित व्यवस्था हाेती है.
पुजारी विंध्याचल पांडे की अगुवाई में होते हैं धार्मिक अनुष्ठान
इस मंदिर के पुजारी विध्यांचल पांडे विगत तीन दशक से मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं. उनकी अगुवाई में यहां पर सावन के महीनों में विविध धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है. उनसे पहले उनके पिता चंद्रदेव पांडे मंदिर की देखभाल किया करते थे. वहीं सावन के महीने में बिरमित्रपुर से होकर विभिन्न शैव पीठों तक कांवर लेकर जाने वाले भक्तों के आराम के साथ उनके अल्पाहार की व्यवस्था भी मंदिर कमेटी तथा स्थानीय स्वयंसेवियों की ओर से की जाती है.