Importance of Sindoor: हिंदू धर्म में सिन्दूर को महिलाओं के लिए बहुत पवित्र माना जाता है. शादीशुदा महिलाओं के लिए क्योंकि सिन्दूर को सुहाग की निशानी माना जाता है. हिंदू धर्म में विवाह तभी संपन्न होता है जब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरता है. ऐसा माना जाता है कि सिन्दूर लगाने से सुहाग हमेशा सुरक्षित रहता है. शास्त्रों में सिन्दूर लगाने के कुछ नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं क्या है सिंदूर लगाने के सही तरीका?
ऐसा कहा जाता है कि विवाहित महिलाओं को पूजा के दौरान अपने माथे पर सिन्दूर जरूर लगाना चाहिए. हिन्दू धर्म के अनुसार महिलाओं को रविवार, सोमवार और शुक्रवार को अपने बाल धोने चाहिए और सिन्दूर लगाना चाहिए. पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करवा चौथ, वट सावित्री पूजा और तीज जैसे कई तरह के व्रत रखती हैं. ऐसे में इन व्रतों के दौरान सिन्दूर अवश्य लगाना चाहिए. यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत शुभ माना जाता है.
मान्यता के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को सिन्दूर लगाती थीं. इसलिए मां को सिन्दूर चढ़ाया जाता है. सिन्दूर लगाने से पहले मां गौरी को सिन्दूर अवश्य अर्पित करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार मां गौरा पर चढ़ाया गया सिन्दूर लगाने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
शास्त्रों के अनुसार जो महिलाएं अपनी मांग में लंबा सिन्दूर लगाती हैं उनके पति को बहुत सम्मान मिलता है. शादीशुदा महिलाओं को हमेशा नाक की सीध में सिन्दूर लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि टेढ़ा सिन्दूर लगाने से पति की किस्मत खराब हो सकती है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं का ब्रह्मरंध्र यानी मस्तिष्क का ऊपरी भाग बहुत संवेदनशील और कोमल होता है. यह वह जगह है जहां महिलाएं सिन्दूर लगाती हैं. सिन्दूर में मौजूद तत्व यहीं से शरीर में मौजूद विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करता है. यह बाहरी दुष्प्रभावों से भी बचाता है. सिन्दूर में पारा धातु की अधिकता होती है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़तीं. इससे महिलाओं की बढ़ती उम्र के लक्षण नजर नहीं आते हैं.