Sitar For Mental Health : सितार के तारों से मानसिक सेहत सुधारने की कोशिश में एक सितार वादक
सदी के महान सितारवादक पंडित रविशंकर के सबसे कम उम्र के शिष्य रह चुके ऋषभ रिखीराम शर्मा भारत के एक युवा सितारवादक और संगीत निर्माता हैं और भारतीय शास्त्रीय संगीत को आधुनिक नवाचारों के साथ जोड़ते हैं. सितार को मानसिक सेहत सुधारने के माध्यम के तौर पर देखने और आगे बढ़ाने के उनके प्रयास उन्हें एक अलहदा व्यक्तित्व के तौर पर पेश करते हैं...
Sitar For Mental Health : ‘मैं मानसिक स्वास्थ्य के लिए सितार को दुनिया भर में ले जाने की योजना बना रहा हूं- जिसकी शुरुआत अमेरिका, ब्रिटेन और पेरिस से होगी. मैं सितार फॉर मेटल हेल्थ टेप पर भी काम कर रहा हूं, जिसमें कई राग होंगे और एक एल्बम भी होगा, जो इस साल के अंत में आयेगा.’ आपने भविष्य के लिए क्या योजना बनायी है? द टेलीग्राफ ऑनलाइन को मार्च 2024 में दिये गये इस सवाल के जवाब में भारत के युवा सितार वादक ऋषभ रिखीराम शर्मा ने यह बात कही थी. यह इस साक्षात्कार में उनसे पूछा गया अंतिम प्रश्न था, पर असल में पंडित रविशंकर के सबसे कम उम्र के शिष्य रह चुके इस युवा सितार वादक के बारे में बात करने का यही प्रारंभ भी है.
व्हाइट हाउस में कर चुके हैं एकल सितार वादन
संगीत वाद्ययंत्र निर्माताओं के परिवार में पले-बढ़े 26 वर्षीय ऋषभ रिखीराम शर्मा एक ऐसे सितार वादक और संगीतकार हैं, जिनके सितार वीडियो आपने निश्चित रूप से अपने इंस्टाग्राम फीड पर देखे होंगे. आप अगर इंस्टाग्राम में थोड़ा बहुत समय बिताते हैं और संगीत के भी कदरदान हैं, तो आपने ऋषभ रिखीराम शर्मा rishabsmusic की क्लिपिंग जरूर सुनी होंगी. हो सकता है कि उनके यूट्यूब चैनल में आपने उन्हें सुना हो. ऋषभ का इंस्टाग्राम पेज बताता है कि वह 2022 में व्हाइट हाउस में आयोजित पहली दिवाली समारोह में राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रथम महिला जिल बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के सामने एकल सितार वादन प्रस्तुत करने का सम्मान हासिल कर चुके हैं. ऋषभ पहले सितारवादक हैं, जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में दिवाली कार्यक्रम के लिए व्हाइट हाउस में एकल प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया.
मुश्किल से मिला पहला सितार, बाद में बने पंडित रविशंकर के शिष्य
रिखीराम परिवार में जन्मे ऋषभ का बचपन संगीतमय था. रिखी राम म्यूजिक कंपनी शॉप की स्थापना स्वर्गीय रिखीराम शर्मा ने दिल्ली में की थी. इस शॉप को भारत और विदेशों में संगीत के दिग्गजों का संरक्षण प्राप्त है. बेशक ऋषभ के आस-पास का माहौल संगीतमय था लेकिन उनकी सितार तक पहुंच आसान नहीं थी. उनके पिता ने उन्हें सितार छूने की इजाजत तभी दी, जब वह आश्वस्त हो गये कि ऋषभ इस वाद्य यंत्र का सम्मान करेंगे. ऋषभ की सितार वादन प्रतिभा को निखारने में पंडित रविशंकर की भूमिका बेहद अहम है, जिन्होने अपने अंतिम दिनों में अपने सबसे कम आयु के और आखिरी शिष्य के रूप में उन्हें स्वीकार किया. दरअसल अपनी पहली प्रस्तुति में ही ऋषभ पंडित रविशंकर का ध्यान खींचने में सफल रहे थे. इससे पहले ऋषभ के पिता संजय शर्मा ही उनके पहले गुरु थे, जिन्होंने कुछ वर्षों के अटूट समर्पण और प्रतिबद्धता के बाद ऋषभी को पहली बार 2011 में मंच पर प्रस्तुति का मौका दिया था.
संगीत से कर रहे हैं मानसिक सेहत सुधारने का प्रयास
गूगल पर मौजूद सितार वादक ऋषभ की वेबसाइट सितार फॉर मेंटल हेल्थ की पहली पंक्ति कहती है- ऋषभ रिखीराम शर्मा और उनके प्रतिभाशाली साथियों द्वारा बुने गये संगीत को महसूस कीजिए, यह संगीत गहरे उपचार और अपार खुशी का ताना-बाना बनाता है. ऋषभ ने बीते कुछ महीनों में दुनिया भर में ‘सितार फॉर मेंटल हेल्थ’ टूर पर भारत, अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिका में कई शो किये हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों दर्शक हैं. अपनी संगीत उपलब्धियों के अलावा, ऋषभ मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के भी मुखर समर्थक हैं और चिंता और अवसाद से संबंधित अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात करते हैं. अपने एक साक्षात्कार में वह बताते हैं कि कोविड के दौरान कैसे उनकी मानसिक सेहत प्रभावित हुई और वह कैसे उससे उबरे. उनका मानना है कि संगीत में उपचार करने की शक्ति है और उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य संगठनों के लिए जागरूकता और धन जुटाने के लिए अपने मंच का उपयोग किया है.
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