सोलह शृंगार के और भी हैं कई मायने, विवाहित स्त्री को क्या-क्या धारण करना चाहिए, जानें यहां पूरी लिस्ट

पुराणों में भी सोलह शृंगार का वर्णन है, जिनका वैज्ञानिक महत्व भी है. हालांकि बदलाव तो प्रकृति का नियम है. आज ज्यादातर कामकाजी स्त्रियां सुहाग की इन चिन्हों को धारण नहीं कर पातीं. इसे लेकर बड़े- बुजुर्ग ताना भी देते हैं कि ‘कौन विवाहित है और कौन कुंवारी इसका पता ही नहीं चलता.

By Prabhat Khabar News Desk | September 17, 2023 1:03 PM

रीता गुप्ता

हमारे देश में सुहागिन स्त्रियों के लिए शृंगार का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. ये माना जाता है कि हिंदू धर्म में अपनी पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें शृंगार करती हैं, साथ ही आज कल इनका वैज्ञानिक महत्व भी बताया जा रहा है. शृंगार सिर्फ पति के लिए ही नहीं, बल्कि खुद के बेहतर स्वास्थ्य और सकारात्मक मानसिक प्रभाव के लिए भी की जाती है. पुराणों में भी सोलह शृंगार का वर्णन है, जिनका वैज्ञानिक महत्व भी है. हालांकि बदलाव तो प्रकृति का नियम है. आज ज्यादातर कामकाजी स्त्रियां सुहाग की इन चिन्हों को धारण नहीं कर पातीं. इसे लेकर बड़े- बुजुर्ग ताना भी देते हैं कि ‘कौन विवाहित है और कौन कुंवारी इसका पता ही नहीं चलता.’ वहीं पति का साथ छूट जाना किसी स्त्री के लिए बेहद दुखदायी होता है, तिस पर रिवाजों के नाम पर उसको सारे शृंगार तजने पड़ते हैं. ये कैसा तरीका है, जो एक औरत से उसका व्यक्तित्व ही बदल देने को बाध्य कर देता है? शृंगार हर औरत का नैसर्गिक गुण है. यह उसके इच्छानुसार होनी चाहिए न कि वैवाहिक, विधवा या सधवा स्टैटस अनुसार.

हर विवाहित स्त्री को इन्हें धारण करनी ही चाहिए

  • बिंदी : भौंहों के बीच माथे पर लगायी गयी बिंदी महिला के पूरे रूप को उभार देती है. इससे जुड़ा  वैज्ञानिक महत्व है कि बिंदी लगाने के स्थान पर  तंत्रिका  बिंदु या आज्ञा चक्र होता है. यह एकाग्रता को बेहतर बनाता है और मानसिक संतुलन को बनाये रखता है.

  • सिंदूर : महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने की परंपरा को बेहद शुभ माना जाता है. इससे जुड़े वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इसमें मर्करी और चूना होता है, शरीर का तापमान ठंडा रखने में मददगार है. तनाव व अवसाद भी कम होता है.

  • काजल : इसका इस्तेमाल आंखों के आकार को बड़ा दिखाने के लिए किया जाता है. काजल आंखों को ठंडक पहुंचाता है, साथ ही हमारी आंखों को धूल के कणों से बचाता है. यह हमारी आंखों को सक्रिय और चमकदार बनाये रखता है. काजल लगाने से हम अपनी आंखों में लाल धब्बे कम कर सकते हैं.

  • मंगलसूत्र : मंगलसूत्र  काले मोतियों का  बना होता है, जो विवाह का  मुख्य प्रतीक चिन्ह है. मंगलसूत्र ब्लडप्रेशर  के स्तर को नियंत्रित कर रक्त परिसंचरण को नियमित करने में मददगार है.

  • मांग टीका : मांग  के बीचोबीच प्राय: सोने का मांग टीका पहना जाता है. मांग टीका  हमारे शरीर की गर्मी को नियंत्रित करता है.

  • नथ : नाक में पहनी जाने वाली नथ का सुहाग में विशेष स्थान है. इसका संबंध महिलाओं के गर्भाशय से होता है. नाक को बायीं ओर छिदवा कर उसमें नथ पहनती हैं, तो मासिक धर्म और प्रसव पीड़ा कम झेलनी पड़ती है.

  • झुमके : कानों में पहने जाने वाले झुमके अपने आप में खूबसूरती बढ़ा देते हैं. कानों के बाहरी हिस्से में एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर बिंदु होते हैं. झुमके मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं. इसका एक्यूप्रेशर प्रभाव भी है, जो किडनी और ब्लैडर को स्वस्थ रखता है.

  • चूड़ियां : इसे सोलह शृंगार में विशेष  महत्व  दिया गया है. चूड़ियां सौभाग्य और समृद्धि  का संकेत देती  हैं. चूड़ियों की आवाज अनुग्रह को बढ़ाती है, जबकि आयुर्वेद  के अनुसार चूड़ियां हाथ की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं.

  • बिछुआ : पैर की अंगुली में महिलाएं सुहाग के नाम की बिछिया पहनती हैं. जिस ऊंगली में इसे पहनते हैं, उससे जुडी नसों के जरिये ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और गर्भपात की संभावना कम हो जाती है.

  • कमरबंध : यह इस बात का प्रतीक है कि नव वधु अब अपने घर की स्वामिनी है. नाभि हमारे पूरे शरीर का ऊर्जा केंद्र है. किडनी, यूरिन, लिवर, यूटेरस- ये सब यहीं से नियंत्रित होती है. नाभि हमारे मानसिक शक्ति को भी नियंत्रित रखती है. अगर इनमें से कहीं पर भी दिक्कत आ रही है, तो कमरबंध पहनना चाहिए, वो भी नाभि से तीन उंगली ऊपर या नीचे.

  • इनके अलावा, 11. पायल, 12. अंगूठी, 13. मेहंदी, 14. बाजूबंद, 15. जुड़ाबंध एवं 16. शादी का जोड़ा सोलह शृंगार को पूरा करता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि हर विवाहित स्त्री को इन्हें धारण करनी ही चाहिए.

Also Read: Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज का पर्व कल, रिश्तों को बांधे रखते हैं ये त्योहार

Next Article

Exit mobile version