Success and Inspiring Story: वास्तविक जीवन की सफलता की कहानियां हमेशा प्रेरणादायक होती हैं। बुरी से बुरी परिस्थितियों से उठकर सफलता के शिखर पर पहुंचने वाले आम लोग दूसरों को अपने जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं. आज हम आपको मोहम्मद अली शिहाब के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 21 परीक्षा पास की और एक चपरासी से एक शीर्ष स्तर का अधिकारी बनने के अपने सपने का लगातार पीछा किया.
शिहाब ने अपना अधिकांश वर्ष एक अनाथालय में बिताया. अपने पिता की मृत्यु के बाद, शिहाब की मां अपने चारों बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर सकती थी. इसीलिए जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तो उन्होंने अपने तीन बच्चों को कोझिकोड के कुट्टीकटोर में स्थित एक मुस्लिम अनाथालय में डाल दिया.
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पहले शिहाब अपने पिता के साथ बांस की टोकरियां और पान के पत्ते बेचा करता था. 12वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी करने के बाद शिहाब अनाथालय से घर लौट आया और दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों के माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रखी. साथ ही साथ उन्होंने सरकारी परीक्षाओं की तैयारी भी शुरू कर दी. इस दौरान उन्होंने एक परीक्षा पास की और चपरासी के पद पर चयनित हो गए. शिहाब 2004 में एक चपरासी के रूप में कार्यालय में शामिल हुए, लेकिन सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए अध्ययन करना जारी रखा क्योंकि उनका उद्देश्य उच्च पद पर एक अच्छी नौकरी प्राप्त करना था.
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चपरासी के रूप में चुने जाने से लेकर IAS अधिकारी बनने तक के अपने सफर के दौरान, शिहाब परीक्षा देते रहे और इस बीच उन्होंने 21 परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं. अंत में, उन्होंने 226 रैंकिंग के साथ सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और आधिकारिक रूप से 2011 में आईएएस अधिकारी के रूप में सरकारी कार्यालय में शामिल हुए.
महज सात साल के अंतराल में चपरासी से आईएएस अधिकारी बनने की शिहाब की यह यात्रा उन युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है, जो पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास नहीं कर पाने की उम्मीद छोड़ देते हैं. शिहाब इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि आखिर में कड़ी मेहनत का भुगतान कैसे होता है.