Swastik For Diwali: हम सभी भारतीयों के लिए दिवाली का त्योहार बहुत ही खास होता है और इस त्यौहार के लिए हम अपने घरों की साफ सफाई लगभग 1 महीने पहले से करना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं सिर्फ साफ सफाई कर देना ही काफी नहीं है. आपको यह समझना होगा की दिवाली के पूजा के समय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए और उन्हें अपने घर आमंत्रण देने के लिए आपको कुछ खास बातों का ध्यान जरूर देना चाहिए. तो चलिए इस लेख में हम आपको बताते हैं कि घर की सजावट लगभग पूरी होने के बाद आपको जो सबसे जरूरी बात का ध्यान देना है. वह है स्वास्तिक बनाना जी हां आपको अपने घर में स्वास्तिक जरूर बनाना चाहिए यह शुभता का प्रतीक है. आप जहां पूजा करते हैं अगर आप वहां स्वास्तिक बनाकर पूजा करते हैं. तो मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है स्वास्तिक जहां सुख समृद्धि का प्रतीक है वही यह शुभ और लाभ को भी दर्शाता है तो चलिए आज जानते हैं कि किस विधि से और कहां-कहां स्वास्तिक बना है जिससे इस दिवाली मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद आपको मिलती रहे.
स्वास्तिक का आधार तैयार करें
एक स्वच्छ स्थान पर एक साफ कपड़ा या पूजन थाली रखें उसके ऊपर स्वास्तिक बनाएं या आप चाहे तो मंदिर के प्रांगण में भी साफ सफाई करके स्वास्तिक बना सकते हैं.
स्वास्तिक का आकार बनाएं
आप चाहे तो आटे का घोल बना ले. इसके अलावा आप फूलों और चावल का इस्तेमाल करके भी स्वास्तिक बना सकते हैं.
स्वास्तिक की रेखाएं
चावल, फूल या आटे के गोल के ऊपर हल्दी का पाउडर डालकर स्वास्तिक का आकार बनाएं.
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अक्षत का उपयोग
स्वास्तिक के चारों कोनों पर अक्षत रखें.
सिंदूर, रोली और चंदन
स्वास्तिक के चारों बाहों पर रोली से तिलक करें और चंदन का पाउडर छिड़कें.
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हल्दी
हल्दी का पाउडर भी स्वास्तिक के चारों ओर डालें, जिससे यह और भी शुभ प्रतीत हो.
दीप जलाएं
स्वास्तिक बनाने के बाद उसके पास एक दीपक जलाएं.
प्रार्थना
मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए प्रार्थना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का संकल्प लें.
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स्वास्तिक का महत्व
स्वास्तिक का अर्थ है ‘सुख’ और ‘समृद्धि’. यह एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, जो हमारे जीवन में खुशियों और समृद्धि को बढ़ाने में मदद करता है. जब हम स्वास्तिक का निर्माण करते हैं, तो हम अपने घर के वातावरण को शुभ और सकारात्मक बनाते हैं.
शुभता का प्रतीक
स्वास्तिक प्राचीन भारतीय संस्कृति में शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक है. यह ऊर्जा और समृद्धि का संचार करता है.
धन और समृद्धि की देवी
मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए स्वास्तिक बनाना आवश्यक है. यह देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद को आकर्षित करने में मदद करता है.
सुरक्षा और शांति
स्वास्तिक से घर का वातावरण शांत और सुरक्षित रहता है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है.
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मुख्य प्रवेश द्वार
स्वास्तिक को मुख्य दरवाजे के पास बनाना शुभ माना जाता है, जिससे देवी लक्ष्मी का स्वागत हो सके.
पूजा स्थल
पूजा करने के स्थान पर स्वास्तिक बनाना देवी-देवताओं की कृपा को आकर्षित करने का एक अच्छा तरीका है.
घर के कोनों में
घर के चारों कोनों में स्वास्तिक बनाना भी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है.
दीवाली की सजावट में
दिवाली पर अपने घर को सजाने के लिए स्वास्तिक का उपयोग करें, जिससे त्योहार की खुशी और समृद्धि का अनुभव हो सके.
दिवाली पर स्वास्तिक बनाने का क्या महत्व है?
दिवाली पर स्वास्तिक बनाना मां लक्ष्मी का स्वागत करने का एक शुभ प्रतीक है. यह घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता लाने में मदद करता है. स्वास्तिक का निर्माण चावल, अक्षत, रोली, चंदन और हल्दी जैसी शुभ सामग्रियों से किया जाता है, जिससे यह धार्मिकता और समर्पण को दर्शाता है.
स्वास्तिक बनाने में कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए?
स्वास्तिक बनाने के लिए मुख्य रूप से चावल,सिंदूर,अक्षत, रोली, चंदन और हल्दी का उपयोग किया जाता है। ये सभी सामग्री शुभता, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक मानी जाती हैं। इनका सही ढंग से उपयोग करके न केवल स्वास्तिक को सजाया जा सकता है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी किया जा सकता है