Story Behind Utterly-Butterly Amul Girl, Sylvester daCunha Passes Away: 1966 में अमूल गर्ल को जन्म देने वाले सिल्वेस्टर दाकुन्हा नहीं रहे. जिन्हें ‘फादर ऑफ अमूल गर्ल’ कहा जाता था, अब वो दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. अमूल गर्ल को घर-घर फेमस करने वाले सिल्वेस्टर दाकुन्हा (Sylvester daCunha) अब हमारे बीच नहीं रहे. 80 साल की उम्र में एड गुरु सिल्वेस्टर दाकुन्हा का निधन हो गया. हम आपको बताने वाले हैं कि सिल्वेस्टर दाकुन्हा ने अटर्ली बटर्ली गर्ल को फेमस कैसे किया.
बात सन 1966 की है. इस दौरान अमूल (Amul) ने ‘अमूल बटर’ के लिए एक ऐड कैंपेन डिजाइन करने का फ़ैसला किया. कंपनी ने इसके लिए एक विज्ञापन एजेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर सिल्वेस्टर दा कुन्हा (Sylvester da Cunha) से संपर्क किया. सिल्वेस्टर भी इस ऐड कैंपेन के लिए तैयार हो गए. अब उनके पास समस्या ये थी कि विज्ञापन किस तरह का होगा और इसमें किसे कास्ट किया जाये. आखिरकार फैसला लिया गया कि कि विज्ञापन बच्चों से सम्बंधित होगा ताकि हिंदुस्तान के घर-घर में जगह बनाई जा सके.
कहा जाता है कि अमूल के चेयरमैन डॉ. कुरियन ने दा कुन्हा और आर्ट डायरेक्टर फर्नांडीस के सामने यह प्रस्ताव रखा कि किसी शरारती बच्ची को अमूल का मैस्कॉट (लोगो) बनाना है. फिर क्या था, सिल्वेस्टर दा कुन्हा, डॉ. कुरियन और यूस्टेस फर्नांडीस की इस कोशिश ने इतिहास के पन्नों में ऐसी कहानी रची कि अमूल का नया जलवा बन गया. अटरली बटरली गर्ल के बारे में दा कुन्हा ने कभी कहा था कि आइडिया कुछ ऐसा था कि अमूल कैंपेन की बच्ची देश के हर रसोई घर और गृहणियों के दिलों पर राज करे, और हुआ भी ऐसा.
अमूल गर्ल अभियान शुरू होने के तीन साल बाद दोनों भाइयों गर्सन और सिल्वेस्टर ने अमूल गर्ल को अपने साथ लेकर 1969 में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस की शुरुआत की. इस कैम्पेन ने 2016 में 50 वर्ष पूरे किये थे. सिल्वेस्टर के बेटे राहुल, जो एक मशहूर एड एजेंसी चलाते हैं, ने आज तक इस कैम्पेन को जारी रखा है.