प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियां, बांस या फिर पीतल का सूप, दूध-जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली, 5 गन्ने, शकरकंदी और सुथनी
पान, सुपारी और हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप, नए वस्त्र जैसे सूट या साड़ी लेना ना भूलें.
छठ पूजा में ठेकुआ का प्रासद सबसे विशेष माना जा जाता है. इसे व्रती निर्जला आंटे और गुड़ से बनाया जाता है
छठ महापर्व में हर तरीके के फल फूल का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें गन्ना का खास महत्व होती है. इसे कोशी भरने के वक्त सबसे ज्यादा जरूरी होता है.
छठ का प्रसाद यानी ठेकुआ को बनाने के बाद इसे भगवान भास्कर को चढ़ाया जाता है. ठेकुए का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसके सेवन के कई फायदे बताएं गए हैं.
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय सभी फलों को साफ पानी में धोकर सूप और दउरा सजाया जाता है.
छठ पूजा के तीसरे दिन भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य दिया जाता है, इसके लिए व्रती सूर्यास्त से पहले गंगा किनारे या नदी तालाब या पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर की उपासना करती है और अर्घ्य देते हैं.
भगवान भास्कर को वैसे सबी फल चढ़ाया जाता है , जिनमें केले के अलावा, गन्ना, नारियल, सेव केला आदी. लेकिन केले का पूरा घौद छठ पूजा में चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है
छठ महापर्व में इस्तेमाल की जाने वाली सभी फल.
गंगा किनारे या नदी किनारे संध्या होने का व्रती इंतजार करती है. इस वक्त दउरा, सूप के पास एक दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है.
छठ घाट की पहले से साफ-सफाई कराई जाती है ताकि व्रती को छठ पूजा के दिन किसी तरह की कोई परेशानी न हो. और इस दिन घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है.