यह जान कर आप हैरान हो सकते हैं कि गोवा दो-चार दिन में घूमने लायक जगह बिल्कुल भी नहीं है. सच तो यह है कि यदि आप गोवा को सिर्फ ऊपर-ऊपर से एक पर्यटक की तरह भी देखना चाहें, तो हफ्ते भर का समय कम पड़ सकता है और यदि आप किसी यायावर की तरह गोवा को समझना चाहें, तो शायद एक महीने में भी आप तृप्त न हों. एक तरफ महाराष्ट्र और दूसरी तरफ कर्नाटक से घिरे गोवा के पश्चिम में हिलोरे लेता अरब सागर और पूर्व में सह्याद्रि पर्वतमाला इसे एक ऐसी अनोखी जगह का दर्जा देते हैं, जहां हर किस्म के सैलानी के लिए कुछ न कुछ है. यूं तो गोवा का नाम आते ही मौज-मस्ती से भरा खुलापन वाला माहौल ही पहले याद आता है, लेकिन यही गोवा अपने समृद्ध इतिहास और गौरवशाली सांस्कृतिक परंपराओं को भी संजोये हुए है. महाभारत, स्कंद पुराण और हरिवंश पुराण में भी गोवा का जिक्र मिलता है. कभी गोमांत, गोमांचल, गोपाकापट्टम, गोवा पुरी, गोवेम, गोमांतक आदि नामों से जाने गये भारत के इस सबसे छोटे राज्य की छटा निराली है.
आम भारतीय पर्यटक उत्तरी गोवा के रौनक भरे कलंगुट, बागा, अंजुना, केंडोलिम, मीरामार जैसे समुद्र तटों को पसंद करते हैं, तो वहीं हाई क्लास, विदेशी और शांति की तलाश में गोवा जाने वाले सैलानियों को दक्षिणी गोवा के बेंबोलिम, पालोलेम, अगोंडा, कोल्वा, बेतुल, माजोरदा जैसे बीच अच्छे लगते हैं. यहां के लगभग हर बीच पर किस्म-किस्म के वॉटर स्पोर्ट मौजूद हैं. गोवा कई खूबसूरत झरनों और झीलों के लिए भी जाना जाता है. यहां के बैक वॉटर चैनल भी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. गोवा का दूधसागर झरना तो सैलानियों की खास पसंद है. गोवा के कई इलाकों में किस्म-किस्म के मसालों की खेती होती है. यहां कई राष्ट्रीय पार्क भी हैं, जहां तरह-तरह के जानवर और पक्षी देखे जा सकते हैं. साल में एक बार कुछ समुद्र तटों पर कछुओं को जन्म लेते हुए भी देखा सकता है.
गोवा की समृद्ध ऐतिहासिक परंपरा की गवाही यहां पायी जाने वाली पाषाण युग में पत्थरों पर उकेरी गयी आकृतियां भी देती हैं. इसके अलावा कई किले और गुफाएं तो देखने लायक हैं ही. फोर्ट कॉरजुएम, फोर्ट रशोल, फोर्ट अगुआडा, फोर्ट चापोरा आदि के खंडहर भी यहां के भव्य इतिहास की निशानदेही करते हैं. साल 1510 से 1961 तक पुर्तगाली उपनिवेश रहे गोवा में पुर्तगाली वास्तुशिल्प के ढेरों भवन भी दर्शनीय हैं. गोवा में भव्य गिरिजाघरों के अलावा गोवा के कई मंदिर भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. राजधानी पणजी में स्थित भारतीय कस्टम और एक्साइज संग्रहालय अपने किस्म का अनोखा म्यूजियम है. यहां से करीब 27 किलोमीटर दूर नेवल एविऐशन म्यूजियम भारत का एकमात्र नौसैनिक संग्रहालय है. साथ ही, यहां क्रिश्चियन कला म्यूजियम, पुरातत्व संग्रहालय जैसे और भी कई म्यूजियम हैं. वेधशाला, साइंस सेंटर व तारामंडल के साथ-साथ पणजी के कला केंद्र समेत और भी कई खास जगहें हैं.
गोवा में कई तरह के क्रूज चलते हैं. सबसे मशहूर और लोकप्रिय पणजी में मांडवी नदी में शाम के समय चलने वाले डांस क्रूज हैं. चापोरा नदी में पूरे दिन के हाऊस बोट क्रूज का मजा लिया जा सकता है. आप चाहें तो प्राइवेट क्रूज भी ले सकते हैं. इनके अलावा मांडवी नदी पर तैरते कैसिनो क्रूज की अपनी अलग दुनिया तो है ही. गोवा में आयुर्वेद से जुड़े उपचार, मालिश, पंचकर्म आदि भी करवाये जा सकते हैं. यह स्थान अपनी उत्सवधर्मिता के लिए भी खासा मशहूर है. काइट-फेस्टिवल, जनजाति फेस्टिवल, म्यूजिक फेस्टिवल, जैज फेस्टिवल के अलावा सनबर्न फेस्टिवल बहुत प्रसिद्ध हैं. फिर जब भारत का अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह यहां नवंबर के अंत में होता है, तो पूरे गोवा में सिनेमाई गतिविधियां होने लगती हैं. क्रिसमस से लेकर नये साल तक गोवा में पर्यटकों की खासी धूम होती है। दुनियाभर में मशहूर कार्निवाल फरवरी-मार्च में होता है.
गोवा में पूरे साल गर्मी रहती है, सो यहां कभी भी जाया जा सकता है. जून से सितंबर तक बारिश में यहां का नजारा अलग ही होता है. इस दौरान रहने के ठिकाने कम दाम में मिल जाते हैं. वैसे अक्टूबर से मार्च यहां जाने के लिए ज्यादा मुफीद वक्त है. अप्रैल-मई में यहां बड़ी गर्मी पड़ती है. देश के कई प्रमुख शहरों से गोवा के वास्को-डा-गामा के लिए सीधी ट्रेन सुविधा है. कई ट्रेनें गोवा के करमली और मडगांव स्टेशन पर रूकती हैं. जहाज से जाना चाहें, डेबोलिम एयरपोर्ट राजधानी पणजी से करीब 29 किलोमीटर और नया बना नॉर्थ गोवा एयरपोर्ट करीब 35 किलोमीटर दूर है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. बाकी सड़क और समुद्री मार्ग तो हैं ही.
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यहां ठहरने के लिए गोवा टूरिज्म के होटलों के अलावा सस्ते से लेकर बहुत महंगे बजट के बेहिसाब होटल, लॉज, बंगले, पेईंग-गेस्ट सुविधाएं यहां मौजूद हैं. घूमने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी, लोकल बसें, वीमेन टैक्सी के अलावा आप खुद ड्राइव करना चाहें, तो स्कूटी, बाइक, कार, जीप आदि किराये पर मिल जाते हैं. स्थानीय हस्तशिल्प से बने सामान, रंगीन मुखौटे, लकड़ी के खिलौने, केले के पत्तों से बने आइटम, नारियल और अन्नानास के रेशों से बनी चीजें, रंग-बिरंगे कपड़े तो यहां से लिए ही जा सकते हैं. यहां मसाले, काली मिर्च, काजू, कॉफी, कोकम शर्बत भी उम्दा क्वालिटी के मिलते हैं. शंख, सीप, कौड़ी आदि से बने सस्ते और सुंदर सामान भी लिये जा सकते हैं. यहां के स्थानीय पकवानों का मजा जरूर लें.
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