घरों में बेवजह भी डरे रहते हैं बच्चे
बच्चों का बचपन ऐसा वक्त होता है जहां उन्हें माता-पिता की कभी प्यार की थपकी संभालती है तो कभी सख्त रवैया. लेकिन कभी – कभी माता-पिता द्वारा की जाने वाली गलतियों का असर बच्चों के कोमल मन पर पड़ता है. कई घरों में बच्चे बेवजह भी डरे रहते हैं. उन्हें कोई भी चीज जैसे कि एक गिलास घर में गिरने पर डर लगता है कि उनके माता- पिता की बड़ी डांट मिलने वाली है. दरअसल पैरेंट्स का यह व्यवहार उनके मूड का रिफलेक्शन होता है ऐसे में बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है वे सहमकर रहने लगते हैं
प्रोत्साहित करने की जगह कुछ और टिप्पणियाँ
क्या आप भी बच्चों की उपलब्धियों को हल्के में लेते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करने की जगह कुछ और टिप्पणियाँ करते हैं या फिर कई बड़ी उम्मीदें थोपने लगते हैं तो वास्तव में आपकी ये आदत बच्चों के जीवन को बर्बाद कर सकती हैं क्योंकि इससे उन्हें यह विश्वास हो जाता है कि वे हमेशा अपने माता-पिता के लिए निराशा का कारण बनते हैं
टॉक्सिक पैरेंटिंग के संकेत
टॉक्सिक पैरेंटिंग के संकेत के बारे में बात करें तो कई माता- पिता अपने बच्चे को हर समय ईमानदार होने के लिए मजबूर करते हैं अगर वे अपनी भावनाओं को साझा नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें दोषी भी महसूस कराते हैं अगर बच्चों में अपनी कुछ भावनाएं साझा कर दी तो कई बार पैरेंट्स उनकी बातों को अपने रिश्तेतारों से भी शेयर कर देते हैं जिनमें उन्हें कुछ गलत नहीं लगता. लेकिन बच्चा समझ जाता है कि उनकी बातें माता- पिता को उन्हें डांटने का एक मौका दे सकती है इसलिए वे कुछ भी बात बोलने से डरते हैं.
विषाक्त माहौल में बच्चों की परवरिश
विषाक्त माहौल में बच्चों की परवरिश में हर वक्त माता-पिता अपने बच्चे की असफलताओं और कमियों पर बात करते हैं और, ज्यादातर मामलों में, वे अपने बच्चे की उपस्थिति पर टिप्पणी करते हैं इससे अनजाने में माता-पिता अपने बच्चों में हीन भावना पैदा करते हैं जबकि अगर आप बच्चों को कुछ नया करने की स्वतंत्रता नहीं देंगे तो कुछ भी नया करने से डरेंगे.
बाहर जाने की अनुमति ना देना
आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अपने करियर में सफल हों लेकिन वे इसकी परवाह नहीं करते जैसे कि अगर करियर बनाने के लिए बच्चे को बाहर जाना जरूरी है लेकिन आप उसे बाहर जाने की अनुमति ना देते उन्हें ये समझना चाहिए कि सफल बच्चे माता-पिता के लिए बेहतर जीवन की गारंटी देते हैं
बच्चों को वस्तु समझने की भूल कभी न करें
कई बार माता- पिता बच्चों को कई निर्देश देते हैं यानी उनपर इतनी उम्मीदें थोपने लगते हैं कि वे उन्ही कदमों को उठाते हैं जो उन्हें कहा जाता है लेकिन जब वे असफल होते हैं तो आप खुद की जगह बच्चे को पूरी तरह दोषी बनाते हैं जो कि बहुत ही गलत है. बच्चों को वस्तु समझने की भूल कभी न करें.
बच्चों को बाहर जाने नहीं देना चाहते
कई माता-पिता अपने बच्चों को बाहर जाने और अपना जीवन जीने में मदद करते हैं.लेकिन कुछ माता-पिता कभी भी अपने बच्चों को जाने नहीं देना चाहते. वे हमेशा यह भी जताते हैं कि जहां वे रह रहे हैं वो घर, पैसा और खाना उनका है. ऐसे मामलों में बच्चों के किसी भी विचारों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और उनसे आज्ञाकारी बने रहने की उम्मीद की जाती है.
सहयोग की अपील करें लेकिन शोषण ना करें
कुछ माता- पिता अपने बच्चों से कई सारे काम करवाते रहते हैं. हर छोटी बात पर आवाज देना जैसे फ्रिज में आटा रख दो या सब्जियां ला दो. जब तक लाते रहें तब तक ठीक हैं लेकिन जब वो मना करते हैं तब आप गुस्सा जाते हैं ऐसे में बच्चे ये सोचते हैं कि क्या वास्तव में उनका काम कर सकते हैं लेकिन कोई भी इनकार नाराजगी का कारण बनता है ऐसे में बच्चे सोचने लगते हैं कि एक इनकार गुस्से में कैसे बदल जाता है इसलिए बच्चों से सहयोग की अपील करें लेकिन शोषण ना करें.
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