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Ajanta Caves Tour: करना चाहते हैं अजंता की गुफाओं का दर्शन, तो जानें यूनेस्को की विश्व धरोहर कैसे पहुंचे

Ajanta  Caves Tour: अजंता गुफाएं अजंता नामक गांव के पास ही स्थित हैं, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में हैं. अजंता गुफाये Ajanta Caves सन 1983 से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है. इस लोकप्रिय यूनेस्को विश्व विरासत स्थल में चट्टानों को काटकर 30 बौद्ध कंदराएं बनाई गई हैं.

World Heritage Site, Ajanta  Caves:  महाराष्ट्र, भारत में स्थित पाषाण कट स्थापत्य गुफाएं हैं. यह स्थल द्वितीय शताब्दी ई.पू. का हैं. यहां बौद्ध धर्म से सम्बंधित चित्रण एवं शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं. इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं. यह गुफाएं अजंता नामक गांव के पास ही स्थित हैं, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में हैं. अजंता गुफाये Ajanta Caves सन 1983 से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है.”

इस गुफा में क्या है खास

इस लोकप्रिय यूनेस्को विश्व विरासत स्थल में चट्टानों को काटकर 30 बौद्ध कंदराएं बनाई गई हैं और यह औरंगाबाद जिला मुख्यालय से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इन गुफाओं में गौतम बुद्ध के जीवन पर आधारित चित्र बनाए गए हैं जिसे देखने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं.

अजंता गुफाओं इतिहास

पूर्व में, शिक्षाविदों ने गुफाओं को तीन समूहों में बांटा था, किन्तु साक्ष्यों को देखते हुए और शोधों के चलते उसे नकार दिया गया. उस सिद्धांत के अनुसार 200 ई.पू से 200 ई. तक एक समूह, द्वितीय समूह छठी शताब्दी का और तृतीय समूह सातवीं शताब्दी का माना जाता था.

आंग्ल-भारतीयों द्वारा विहारों हेतु प्रयुक्त अभिव्यंजन गुफा-मंदिर अनुपयुक्त माना गया. अजंता एक प्रकार का महाविद्यालय मठ था. ह्वेन त्सांग बताता है, कि दिन्नाग, एक प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक, तत्वज्ञ, जो कि तर्कशास्त्र पर कई ग्रन्थों का लेखक था, यहां रहता था.

यह अभी अन्य साक्ष्यों से प्रमाणित होना शेष है. अपने चरम पर, विहार सैंकड़ों को समायोजित करने की सामर्थ्य रखते थे. यहां शिक्षक और छात्र एक साथ रहते थे.

यह अति दुःखद है, कि कोई भी वाकाटक चरं की गुफा पूर्ण नहीं है. यह इस कारण हुआ, कि शासक वाकाटक वंश एकाएक शक्ति- विहीन हो गया, जिससे उसकी प्रजा भी संकट में आ गयी. इसी कारण सभी गतिविधियां बाधित होकर एकाएक रुक गयीं. यह समय अजंता का अंतिम काल रहा.

अजंता के चित्रोंऔर नक्शों से भारत में प्राचीनता बनी हुई है. अजंता और एल्लोरा की गुफाये भारत की प्राचीन और ख़ूबसूरत गुफाओ में से एक है. इन गुफाओ में की चित्रे अपने को पुराने दौर में लेके जाती है.

अजंता की गुफा का खुलने का समय

औरंगाबाद जिला में स्थित अजंता की गुफा को विजिट करने जा रहे हैं, तो यहां पर जाने का समय के बारे में भी जान लेना चाहिए. अजंता की गुफा को आप सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा यह अजंता की गुफा प्रत्येक सोमवार को बंद रहती है.

अजंता की गुफा का प्रवेश शुल्क

अजंता की गुफा प्राकृतिक चिन्ह एवं पुराने समय के नक्काशी प्रेमी द्वारा भी काफी ज्यादा पसंद एवं विजिट किया जाता है. अजंता गुफा में प्रवेश करने के लिए आपको प्रवेश शुल्क के रूप में कुछ चार्ज भी देने पढ़ेंगे. इस गुफा में प्रवेश करने के लिए अगर आप भारतीय हैं, तो प्रवेश शुल्क के रूप में ₹10 का चार्ज देना होगा वही अगर आप एक भारतीय के अलावा अन्य नागरिक है, तो आपको प्रवेश शुल्क के रूप में ₹250 देने होंगे. इन सबके अलावा अगर आप अपने साथ कैमरा ले जाना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए ₹25 का अलग से चार्ज देना होगा.

अजंता की गुफा कैसे पहुँचे ?

महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिला में स्थित अजंता की गुफा औरंगाबाद से तकरीबन 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर वैसे आप अपने यहां से किसी भी माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं. अगर आप यहां पर हवाई जहाज के माध्यम से पहुंचने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बता दें कि इस अजंता की गुफा के नजदीकी मुख्य हवाई अड्डा औरंगाबाद में स्थित है.

इसके अलावा इस अजंता की गुफा का नजदीकी रेलवे स्टेशन औरंगाबाद या जलगांव है. आप अपने यहां से इन रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा पर पहुंचने के उपरांत यहां पर चलने वाले स्थानीय परिवहन की मदद लेकर अजंता की गुफा को आसानी से विजिट कर सकते हैं. रही यहां पर सड़क मार्ग से आने की बात तो यह अजंता की गुफा औरंगाबाद और जलगांव से सड़क मार्ग के माध्यम द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. इस तरह आप अजंता की गुफा की ट्रिप आसानी से पूरा कर सकते हैं.

किसी भी डेस्टिनेशन में जाने से पहले खुद से जांच परख अवश्य करें और विशेषज्ञों की सलाह लें. 

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