Jharkhand Tourist Destinations, How to visit Parasnath hills of Giridih: झारखंड का सबसे ऊँचा पर्वत और आकर्षित पर्यटन स्थल पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित हैं. माना जाता हैं कि झारखंड के इस पर्वत पर 24 जैन तीर्थकरो को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. शिखरजी पर्यटन स्थल समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं. शिखरजी घूमने के लिए पर्यटक बहुत अधिक संख्या में आते हैं. तो आइए हम आज आपको झारखंड के गिरिडीह जिले में पड़नेवाले पारसनाथ पहाड़ी की यात्रा पर ले चलते हैं.
जैन धर्मावलम्बियों से संबंधित तीर्थ स्थल
पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलम्बियों के लिए विश्व में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. यहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से सैलानी आते है. तलैटी से शिखर तक तकरीबन 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. ये यात्रा पैदल करना होता है. क्योंकि दुर्गम पहाड़ी पर वाहन जाने का साधन नहीं है. खड़ी ढ़ाल पर खड़ी सीढ़ी के माध्यम से पहाड़ी पर चढ़ना होता है. जो हमारे साहस और धैर्य की भी परीक्षा लेता है. कठिन राहों से गुजरने के कारण यह यात्रा काफी मनोरंजक भी लगता है. जो यात्री पैदल चलने में असमर्थ होते हैं वे डोली का सहारा लेते हैं. डोली दो व्यक्ति या चार व्यक्ति मिलकर उठाते हैं. इसके लिए उन्हें पांच से आठ हजार तक प्रति व्यक्ति शुल्क देना होता है. व्यक्ति के वजन के आधार पर डोली के प्रकार और दाम तय किए जाते हैं.
मधुबन तलैटी में 20 जैन तीर्थंकरों के मंदिर
यहां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों के मंदिर अवस्थित है. पारसनाथ की पहाड़ी पर 20 तीर्थंकरों सहित कई साधु संतों ने मोक्ष प्राप्त किया है. जैन धर्म शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ अर्थात भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी में, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने गिरनार पर्वत और 24 वें तीर्थंकर तथा अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने बिहार स्थित पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया. बाकी अन्य सभी 20 तीर्थंकरों ने इसी पूण्य पावन स्थली पारसनाथ की धरती पर ही मोक्ष प्राप्त किया है. उन्ही 20 तीर्थंकरों से संबंधित यहां मंदिरों का एक समूह है.
तीर्थंकर का अर्थ
तीर्थंकर का अर्थ सर्वोच्च जैन गुरु होता है. ऐसे दिव्य पुरुष जिसने अपने कठिन साधना, तप और ध्यान के बल पर इंद्रियों पर विजय पाई और लोगों को सही मार्ग पर चलने की नसीहत दी. उन्हें जैन धर्म में तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है. इस तरह जैन धर्म में भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक 24वें तीर्थंकर हुए हैं.
कैसे पहुंचें पारसनाथ तक
दिल्ली से पारसनाथ की दूरी लगभग 1216 किलोमीटर दूर है. दिल्ली से गिरिडीह हिल्स पहुँचने के लिए आपके पास कई रास्ते हैं. दिल्ली से पारसनाथ की दूरी 1216 किलोमीटर है. अगर आप रेलवे से गिरिडीह हिल्स जाना चाहते है तो आपको गिरिडीह हिल्स के लिए ट्रेन लेनी होगी. इसके लिए सबसे नजदीकी प्लेटफार्म गिरिडीह रेलवे स्टेशन है या फिर आप रांची, धनबाद, बोकारो के ज़रिये भी यहाँ पहुँच सकते हैं. वही एयरपोर्ट से पहुँचने के लिए आपको रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट जाना होगा जो रेलमार्ग से 148 किलोमीटर और सड़क मार्ग से 209 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. दूसरा महत्वपूर्ण एयरपोर्ट कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र एयरपोर्ट है. जो रेलमार्ग से 317 किलोमीटर और सड़क मार्ग से 340 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप बस द्वारा भी यहां पहुँच सकते हैं.
घूमने के लिए अच्छा है ये मौसम
घने जंगलो और महुआ के पेड़ों के लिए यह बेहद ही फेमस स्थान है. मानसून के समय इस जगह की खूबसूरती चरम पर होती है. यहां सबसे अधिक भीड़ कपल्स की होती है. इस हिल स्टेशन से झारखंड के सबसे ऊँचे पर्वत को निहारने का मौका भी मिलता है.
गिरिडीह का अर्थ क्या है
गिरिडीह (Giridih) का अर्थ है “गिरी” का अर्थ “पहाड़,पर्वत”और “डीह” का अर्थ है “क्षेत्र या फिर भूमि होता है यानि की गिरिडीह शब्द का शाब्दिक अर्थ निकलता है “पहाड़ों वाला क्षेत्र”
गिरिडीह का इतिहास
ब्रिटिश सरकार के शासनकाल के दौरान छोटानागपुर एजेंसी का हिस्सा बन गया था.यह गिरिडीह जिला का पूरा क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के आर्थिक रूप मे फायदेमंद मे ही था.जो मुगल साम्राज्य के रूप मे शामिल किया गया. गिरिडीह मे साम्राज्य का हिस्सा हज़ारीबाग,धनबाद, आदि इलाका मे साम्राज्य का हिस्सा था.मुगल साम्राज्य के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर अपनी पकड़ मजबूत बना लिया था.भारत का भविष्य को नए साम्राज्य शासको ने फिर से लिखना शुरू किया था.