वाराणसी उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन और पवित्र शहर है. यह शहर नगर निगम के अंतर्गत आता है और गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है. वाराणसी को काशी भी कहा जाता है. इसे भारतीय धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. इसका इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे संस्कृति, शिक्षा, धर्म और कला का गहना माना जाता है. इस शहर को हिंदू धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आकर गंगा स्नान करते हैं और माता गंगा की पूजा अर्चना करते हैं. यहां प्रमुख धार्मिक स्थलों में काशी विश्वनाथ मंदिर एक है. आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और इसके पीछे की रोचक कहानी है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण भारतीय इतिहास में बहुत प्राचीन काल में हुआ था. वाराणसी को भारतीय धर्म के अध्यात्मिक केंद्रों में से एक माना जाता है और भगवान विश्वनाथ (भगवान शिव) के इस मंदिर को प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण पुरातन भारतीय संस्कृति के समय में हुआ था. मंदिर का निर्माण राजा कृष्णदेव राय (King Krishna Deva Raya) के समय (1509-1529 ईसा पूर्व) में हुआ था. राजा कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के महान राजा थे और उन्होंने भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य के विकास के लिए योगदान दिया था. इस मंदिर का निर्माण उनके शासनकाल में ही पूरा हुआ और उसके निर्माण के बाद से ही यह मंदिर भारतीय धर्म के अध्यात्मिक स्थलों में एक प्रमुख स्थान बन गया.काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण के बाद काशी को विश्वनाथ की नगरी और शिव के प्रतिष्ठित स्थान के रूप में जाना जाने लगा.
काशी विश्वनाथ मंदिर का आकार विशाल और भव्य है. यह मंदिर श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के स्थान पर स्थित है और इसका आकार विशेष रूप से प्राचीन भारतीय शिखर शैली में बनाया गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर का आकार लगभग 60 फुट ऊंचा है और यह 30 फुट लंबा और 20 फुट चौड़ा है. मंदिर के गोपुर (शिखर) की ऊंचाई भी इसके आकार को और विशाल बनाती है. मंदिर के गोपुर की ऊंचाई लगभग 150 फुट है. यह मंदिर भारतीय वास्तुकला में निर्मित है और प्राचीन काल की कला के श्रेष्ठ उदाहरणों में से एक माना जाता है. मंदिर के भीतर भगवान विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग को सजाने के लिए विशेष धातु, मुकुट, चांदी, रत्नों से बने विग्रहों का इस्तेमाल किया गया है जो उसकी विशेषता को और अधिक उज्जवल बनाते हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप ही अन्य कई छोटे-बड़े मंदिर भी स्थित हैं जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण के रूप में उपयोगी हैं. इसका आकार और संरचना भारतीय संस्कृति और धरोहर का प्रतीक है, जो इसे एक महान धार्मिक स्थल बनाता है.
आपको बता दें काशी विश्वनाथ मंदिर पर कई बार हुआ. मुग़ल शासकों के काल में भी काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण हुआ. उस समय इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की गई. जाहंगीर और औरंगजेब के शासनकाल में भी इस मंदिर पर मुग़ल सैन्यों ने हमला किया था और कई बार मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की गई. इसके अलावा14वीं शताब्दी के मध्य में दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने भी काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था. वे मंदिर को तोड़ने की कोशिश करते रहे और उसमें अशांति पैदा करने का प्रयास किया था. ब्रिटिश शासनकाल में भी काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण हुआ और उसे नष्ट करने की कोशिश की गई. ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर पर संघर्ष किया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रतीक माना जाता है.