Kedaranath Dham Yatra 2023: मानसून में ऐसे करें केदारनाथ मंदिर के दर्शन, Sawan माह का आनंद होगा दोगुना

Kedaranath Dham Yatra 2023: अगर आप भी इस सावन में ट्रैवलिंग का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको आज देश के ऐसे ही एक मंदिर केदारनाथ के बारे में बताने जा रहे हैं,जहां भोलेनाथ को खुश करने के लोग जमकर पूजा-पाठ करते हैं.

By Shaurya Punj | July 17, 2023 10:49 AM
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Kedaranath Dham Yatra 2023: सावन का महीना शुरू हो चुका है. लोग भोलेबाबा को खुश करने के लिए पूजा-पाठ और व्रत-उपवास रख रहे हैं. इसके अलावा कई लोग इस मौके पर मंदिरों में भोलेनाथ के दर्शन करने भी जा रहे हैं. अगर आप भी इस सावन में ट्रैवलिंग का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको आज देश के ऐसे ही एक मंदिर केदारनाथ के बारे में बताने जा रहे हैं,जहां भोलेनाथ को खुश करने के लोग जमकर पूजा-पाठ करते हैं. वैसे तो मानसून के महीने में उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में ट्रैवल करने को लेकर हिदायत दी जाती है पर फिर भी सावन के मौके पर देशभर से लोग इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं.

केदारनाथ, उत्तराखंड

जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि हिंदू धर्म के अनुनायियों के लिए केदारनाथ सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिदूं धर्म के उत्तरांचल के चार धाम और पंच केदार में गिना जाता है. केदारनाथ का मंदिर साढ़े तीन हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर बना एक विशाल मंदिर है. यह मंदिर अप्रैल महीने से नवंबर तक खुला रहता है और सर्दियों में यहाँ भयंकर बर्फ पड़ती है. भक्तों का कहना है कि सावन के महीने में यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

ऐसे करें केदारनाथ का सफर तय

ऐसा माना जाता है, चार धाम की यात्रा यमनोत्री से शुरू, फिर गंगोत्री, उसके बाद केदारनाथ यात्रा और अंत में बद्रीनाथ की यात्रा करने से ही हमारी यात्रा सफल होती है. केदारनाथ में नर नारायण मूर्ति के दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते है. उनके बाद ही हमें आने वाले जीवन की कामना करनी चाहिए इसलिए बद्रीनाथ से पहले केदारनाथ धाम जाना जरुरी है. मंदिर जाने का कुल रास्ता 21 km है. आपदा की वजह से ये रास्ता और बढ़ गया है. सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 5 km का रास्ता है, उससे आगे गौरीकुंड से केदारनाथ जाने का 16 km लंबा रास्ता है.

केदारनाथ धाम कैसे जाएं,कैसे पहुंचे

  • केदारनाथ धाम जाने के लिए आप बस, कार और दो पहिया गाड़ी किसी भी वाहन से जा सकते है. इन गाड़ियों से आप सिर्फ सोनप्रयाग तक ही जा सकते है, इससे आगे पैदल का रास्ता है. मंदिर पहुंचने के लिए सारी व्यवस्था की गयी है.

  • अगर आप पैदल नहीं जाना चाहते है, तो उसके लिए घोड़े – खच्चर और कंडी की व्यवस्था है आप इनकी मदद से आराम से मंदिर के दर्शन कर सकते है.

  • यदि आप ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की यात्रा बस या कार के द्वारा करते है, तो मदिर तक पहुंचने तक बीच में कितने स्टेशन आने है और कितनी दुरी पर है ये हम आपको बताएगे ताकि केदारनाथ पहुंचने में आपको कोई समस्या न आये.

  • ऋषिकेश से देवप्रयाग – 71 km

  • देवप्रयाग से श्रीनगर – 35 km

  • श्रीनगर से रुद्रप्रयाग – 32 km

  • रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी – 45 km

  • गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – 31 km

  • सोनप्रयाग से गौरीकुंड – 5 km

  • गौरीकुंड से केदारनाथ – 16 km

अब यहाँ हेलीकाप्टर की व्यवस्था हो गयी है, जो आपको सीधे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाएगा. अगर आप देहरादून से हेलीकॉप्टर में जाना चाहते है तो देहरादून से सीधे केदारनाथ मंदिर जा सकते है.

केदारनाथ के आस-पास घूमने की जगह

केदारनाथ अपने आप में एक स्वर्ग है अगर आप एक बार यहां आ गए तो जाने का मन नहीं करेगा. केदारनाथ धाम के साथ आप यहां आस-पास की कुछ जगहों का आनंद उठा सकते है आइये जानते है कौन से जगह है वो –

सोनप्रयाग

केदारनाथ से 18 km पहले सोनप्रयाग पड़ता है कहा जाता है कि यह भगवान शिव और पार्वती का विवाह स्थल है मंदाकिनी नदी और बासुकी नदी इस बिंदु पर एक साथ आती हैं यहां की सुन्दर पहाड़िया बर्फ से ढकी रहती है.

त्रियुगीनारायण

केदारनाथ से 15 कम पहले त्रियुगीनारायण मंदिर आता है हिन्दू धर्म में इस मंदिर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है कहा जाता है यह पर शिव और पार्वती माँ की शादी हुई थी शादी के इस समारोह को भगवान विष्णु ने देखा था भगवान ब्रह्मा भी शादी में मौजूद थे इसलिए आप यहाँ पर एक साथ विष्णु, शिव और पार्वती माँ की पूजा कर सकते है.

शंकराचार्य समाधि

यहां पर आपको शंकराचार्य का मंदिर है हिंदू धर्म के कई विचारधाराओं को एक साथ लाने और इसकी नींव बनाने का श्रेय दिया जाता है यहाँ पर आपको गर्म पानी वाला झरना मिलेगा जो हर मौसम में एक जैसा होता है.

इन जगहों के अलावा आप भैरव नाथ मंदिर,गौरीकुंडो, चोराबारी ताल, वासुकी तालो, ऊखीमठो, गुप्तकाशी और देवरिया ताल आदि धार्मिक स्थानों पर जाकर अपनी यात्रा को और यादगार बना सकते है.

डिसक्लेमर: खबर में दी गई सारी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से एकत्रित की गई है. अत: किसी भी डेस्टिनेशन में जाने से पहले खुद से जांच परख अवश्य करें और विशेषज्ञों की सलाह लें. prabhatkhabar.com ऊपर लिखे गए किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता. हमारी खबर किसी भी तरह के मादक पदार्थ के सेवन को बढ़ावा नहीं देती है.

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