इसलिए खास है ये पंचशूल मंदिर, जानें कब करें इसका भ्रमण
Panchshul on top of baba baidyanath dham: बाबा बैजनाथ के मंदिर के अलावा यहां कुल 22 मंदिर है. मान्यता के अनुसार शिवलिंग की स्थापना हो जाने के पश्चात जब भगवान विश्वकर्मा ने मंदिर का निर्माण किया तो उस मंदिर की सुरक्षा के लिए रावण ने उस मंदिर के शीश पर पंचशूल लगाया था.
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बाबा बैजनाथ के मंदिर के अलावा यहां कुल 22 मंदिर है.
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12 ज्योतिर्लिंग में 11 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जहां पर बाबा माता शक्ति के साथ विराजमान नहीं है
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इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना पूर्ति ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है.
Panchshul on top of baba baidyanath dham: झारखंड के देवघर जिले में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग बाबा बैजनाथ का मंदिर स्थापित है. जहां हर वर्ष सावन के महीने में श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल उठा कर 110 किलोमीटर पैदल यात्रा करते हुए बाबा को श्रद्धा पूर्वक जल चढ़ाने आते हैं. सारे ज्योतिर्लिंग अपने में कुछ ना कुछ विशेष बातों को संजोए रखता है. मान्यता के अनुसार जब रावण देवों के देव महादेव के इस शिवलिंग को अपने साथ कैलाश से लंका लेकर जा रहा था उस बीच लघु शंका के दौरान यह शिवलिंग दुर्भाग्यवश इस स्थान पर स्थापित हो गया और यह भी मान्यता है कि भगवान शिव ने रावण से कहा था कि इस शिवलिंग को जिस स्थान पर रखा जाएगा चाहने के बाद भी उसे उस स्थान से कोई हिला नहीं पाएगा एक बार स्थापना हो जाने के बाद बाबा बैजनाथ का शिवलिंग यहां से रावण अपने साथ लंका नहीं ले जा पाया.
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मंदिर में लगा है पंचशूल
बाबा बैजनाथ के मंदिर के अलावा यहां कुल 22 मंदिर है. मंदिर के पुजारी सूरज कर्मी प्रभात खबर के साथ अपनी बात साझा करते हुए बतलाया की इस पंचशूल की कई सारी मान्यताएं हैं. मान्यता के अनुसार शिवलिंग की स्थापना हो जाने के पश्चात जब भगवान विश्वकर्मा ने मंदिर का निर्माण किया तो उस मंदिर की सुरक्षा के लिए रावण ने उस मंदिर के शीश पर पंचशूल लगाया था. यह पंचशूल मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है.
देवघर में शिव शक्ति के साथ है विराजमान
“बैधनाथ समूह लिंगम नास्ति ब्रह्मांड मंडले इदम तू कामना लिंगम सर्व कामना फलम प्रदम” मंदिर के पुजारी ने इस श्लोक पढ़ते हुए और उसका अर्थ समझाते हुए कहा कि पूरे देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल 1 ज्योतिर्लिंग बाबा बैजनाथ का यह मंदिर जहां भगवान शिव माता शक्ति के साथ विराजमान है इसके अलावा 12 ज्योतिर्लिंग में 11 ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं जहां पर बाबा माता शक्ति के साथ विराजमान नहीं है. इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को मनोकामना पूर्ति ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है.
रावण के महल में लगा था पंचशूल
लंका नरेश राक्षस राज रावण के सोने के महल में इस पंचशूल से सुरक्षा की जाती थी मान्यता के अनुसार रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को यह पंचशूल प्रदान किया था. यह पंचशूल एक सुरक्षा कवच की भांति कार्य करता है जिस स्थान में इस पंचशूल को स्थापित किया जाता है,उस स्थान में किसी भी प्रकार की आपदा का प्रभाव नहीं पड़ता है.
शरीर के पांच अशुद्धियों को दूर करता है यह पंचशूल
मंदिर के पुजारी ने बताया कि हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश यह पांच तत्व मिलकर एक शरीर का निर्माण करते हैं और मृत्यु के पश्चात इन्हीं पंचतत्व में विलीन भी हो जाते हैं. इसके साथ ही साथ मानव शरीर में पांच अशुद्धियां भी विराजमान है यह 5 अशुद्धियां काम क्रोध लोभ मोह ईर्ष्या है.मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति बाबा बैजनाथ के मंदिर प्रांगण में जाता है उस व्यक्ति पर इस पंचशूल का प्रभाव पड़ता है और यह पंचशूल मानव शरीर की पांच अशुद्धियों की नाश कर देता है.
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साल में एक बार उतारा जाता है पंचशूल
12 महीनों की इस साल में केवल एक बार शिवरात्रि के दिन इस पंचशूल को मंदिर के शीश से नीचे उतारा जाता है. उतारने के पश्चात इस पंचशूल की पूजा की जाती है, और फिर दोबारा से उस पंचशूल को उसी स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है
कुल 12 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से हैं
1. सोमनाथ :- श्री सोमनाथ सौराष्ट्र, (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में अवस्थित हैं. इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवम् निर्मित किया गया है. 1022 ई में इसकी समृद्धि को महमूद गजनवी के हमले से सर्वाधिक नुकसान पहुंचा था.
2. मल्लिकार्जुन:- आन्ध्र प्रदेश प्रान्त के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन अवस्थित हैं. इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं.
3. महाकालेश्वर :– श्री महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में अवस्थित हैं. उज्जैन को प्राचीनकाल में अवन्तिकापुरी कहते थे.
4. ॐकारेश्वर:- मालवा क्षेत्र में श्रीॐकारेश्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है. उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहाँ से यह स्थान 10 मील दूर है. यहाँ ॐकारेश्वर और अमलेश्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, परन्तु ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं. श्रीॐकारेश्वर लिंग को स्वयम्भू समझा जाता है.
5. केदारनाथ:- श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रृंगपर स्थित हैं. शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं. यह स्थान हरिद्वार से 150 मील और ऋषिकेश से 132 मील दूर उत्तरांचल राज्य में है.
6. भीमशंकर:- श्री भीमशंकर का स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर, मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर माना जाता है और कुछ लोगों की कल्पना है कि सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है, परन्तु शिवपुराण के एक से अधिक उल्लेख एवं कथा के अनुसार भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का उपलिंग सह्याद्रि पर्वत पर है तथा मूल भीमशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप जिले में गुवाहाटीके पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर प्रमाणित होता है. (कुछ लोग मानते हैं कि नैनीताल जिले के उज्जनक नामक स्थान में स्थित विशाल शिवमंदिर भीमशंकर का स्थान है.)
7. काशी विश्वनाथ :- वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी के श्रीविश्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं. गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग के दर्शन हिन्दुओं के लिए अति पवित्र माने जाते हैं.
8. त्र्यम्बकेश्वर :- श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रान्त के नासिक जिले में पंचवटी से 18 मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है. इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम भी है.
9. वैद्यनाथ :- झारखंड की राजधानी रांची से 240 किलोमीटर दूर देवघर जिले में स्थित बाबा का ये मंदिर एक मात्र एसा मंदिर है जहां बाबा माता पार्वती के साथ विराजमान है .
10. नागेश्वर :- श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग बड़ौदा क्षेत्रांतर्गत गोमती द्वारका से ईशानकोण में बारह-तेरह मील की दूरी पर हैं. निजाम हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग को ही कोई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं. कुछ लोगों के मत से अल्मोड़ा से 17 मील उत्तर-पूर्व में यागेश (जागेश्वर) शिवलिंग ही नागेश ज्योतिर्लिंग है.
11.रामेश्वर :- श्रीरामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रान्त के रामनाड जिले में है. यहाँ लंका विजय के पश्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी. ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्वर या श्रीरामलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है.
12. घुश्मेश्वर :- श्रीघुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर भी कहते हैं. इनका स्थान महाराष्ट्र प्रान्त में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गाँव के पास है.
फ्लाइट से देवघर कैसे जाएं
देवघर में ही देवघर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जो देवघर शहर से मात्र 9-10 किमी. की दूरी पर स्थित है. अगर आप फ्लाइट के माध्यम से देवघर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप अपने शहर से देवघर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए फ्लाइट पकड़ सकते हैं. देवघर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से देवघर जाने के लिए आपको टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी. देवघर जाने के बाद आप बाबा बैद्यनाथ के दर्शन कर सकते हैं.
ट्रेन से देवघर कैसे जाएं
देवघर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन देवघर जंक्शन है, जो देवघर शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. देवघर जंक्शन भारत के नहीं, बल्कि झारखंड के ही कुछ पड़ोसी शहरों से रेलवे मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. अगर आप झारखंड के निवासी हैं, तो आपको देवघर जाने के लिए झारखंड के भी सभी शहरों से डायरेक्ट ट्रेन की सुविधा नहीं मिलेगी, इसलिए ट्रेन के माध्यम से देवघर जाने के लिए आप धनबाद, रांची या बोकारो के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं, जहां से देवघर के लिए ट्रेन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
बस से देवघर कैसे पहुंचे
देवघर के लिए झारखंड के प्रमुख शहर रांची, धनबाद एवं बोकारो के साथ-साथ झारखंड के अन्य शहरों से भी देवघर के लिए बस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा भी आपको बिहार एवं उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख शहरों से देवघर के लिए बस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. यानी कि अगर आप बस के माध्यम से देवघर जा रहे हैं और आपके शहर से देवघर के लिए बस की सुविधा ना मिले तो आप अपने शहर से रांची, धनबाद या बोकारो के लिए बस पकड़ सकते हैं और वहां से दूसरी बस के माध्यम से देवघर जा सकते हैं.
बाइक और कार से देवघर कैसे जाएं
दोस्तों आप भी समझ सकते हैं कि अगर आप अपनी बाइक एवं कार के माध्यम से देवघर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप बिना किसी चीज का इंतजार किए देवघर पहुंच सकते हैं. आप चाहें तो अपनी बाइक एवं कार के अलावा प्राइवेट टैक्सी कार या बस के माध्यम से भी देवघर जा सकते हैं. देवघर में आपको सभी जरूरी चीजें मिल जाएंगी, लेकिन अगर आप छोटी से छोटी चीज देवघर में ढूंढेंगे तो आपको देवघर में नहीं मिलेगी. इसके लिए आपको रांची, धनबाद या बोकारो में ही अपनी जरूरत की सभी सामानों का शॉपिंग करना पड़ेगा.
वैद्यनाथ मंदिर के आसपास अन्य धार्मिक स्थल
बैजनाथ धाम के आसपास के प्रमुख धार्मिक स्थल की बात करें तो चित्रकूट पर्वत, नौलखा मंदिर, बासुकीनाथ ज्योतिर्लिंग, आदि हैं आप वैद्यनाथ धाम के ट्रिप के दौरान इन धार्मिक स्थलों को भी विजिट अवश्य करें.
रिपोर्ट- वैभव विक्रम