Idukki Tour: जंगलों से भरी सुंदर वादियों का लेना चाहते हैं आनंद, तो एक बार जरूर जायें इडुक्की

अंग्रेजों के राज में इस जिले का स्वरूप बदल गया था. रबर और रागी के बागानों की जगह चाय और कॉफी ने ले ली. गर्मियां बिताने के लिए राजसी और आधुनिक घर बनाए गए. आज भी भव्य बंगले इडुक्की को एक पहचान देते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2023 2:53 PM

सुमन बाजपेयी

इडुक्की केरल में एक बेहद आकर्षक जगह है, और इसका नाम मलयालम शब्द ‘इडुक्कू’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है एक घाटी. इडुक्की केरल का पूरी तरह से जमीन से घिरा एक जिला है. इडुक्की एक ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी रिजॉर्ट है जो अपने जंगलों, वन्यजीव अभयारण्यों, रबर और चाय के बागानों और खूबसूरत बंगलों के लिए लोकप्रिय है. 16वीं शताब्दी में पूंजर साम्राज्य की स्थापना करने वाले पूंजर राजा द्वारा शासित इडुक्की सपनों में देखे दृश्यों को साकार करता है. तीन मुख्य नदियों— पेरियार, थलयार, और थोडुपुझायार— और उनकी सहायक नदियों से घिरा इडुक्की एक गैर-तटीय क्षेत्र है, और केरल का दूसरा सबसे बड़ा जिला है. अंग्रेजों के राज में इस जिले का स्वरूप बदल गया था.

रबर और रागी के बागानों की जगह चाय और कॉफी ने ले ली. गर्मियां बिताने के लिए राजसी और आधुनिक घर बनाए गए. आज भी भव्य बंगले इडुक्की को एक पहचान देते हैं. इडुक्की मुख्य रूप से अपने विशाल, आर्च बांध के लिए प्रसिद्ध है. पेरियार नदी पर बना 650 फीट लंबा और 550 फीट ऊंचा चार दशक पुराना इडुक्की बांध कुरुवन और कुरुथी पहाड़ियों के बीच खड़ा है. यह महाद्वीप के सबसे ऊंचे आर्च बांधों में से एक है. प्रवासी पक्षी यहां खिंचे चले आते हैं क्योंकि यह सबसे अधिक पर्णपाती जंगल से घिरा क्षेत्र है. इडुक्की के एक छोटे-से शहर थेक्कडी का सौंदर्य उन पक्षियों को ही नहीं, बल्कि पर्यटकों को भी यहां आने को बाध्य करता है.

यहां अभी भी औपनिवेशिक युग के निशान देखने को मिलते हैं. लेकिन अब कहीं-कहीं पेड़ों के ठूंठ दिखाई देते हैं. मुल्लापेरियार बांध का जल स्तर बढ़ने से पहले, घने जंगल को जलमग्न करने से पहले, झील से निकले ये लकड़ी के ठूंठ मोटी छतरियां थीं जो प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए निवास स्थान के रूप में काम करती थीं. नाव की सवारी करते हुए थेक्कडी के राजसी आकर्षण का अनुभव होता है. मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरि वुड कबूतर, या एक नीले पंख वाले तोते को इन ठूंठों पर आराम करते हुए देखने का मौका भी मिल सकता है. घूमते हाथियों, पहाड़ियों और मसालों के बागानों के साथ, थेक्कडी स्वयं को तनावमुक्त करने के लिए एक आदर्श जगह है.

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पूरे जिले में फैले, थेक्कडी का प्रसिद्ध पेरियार वन भारत में सबसे अच्छे और सबसे अधिक देखे जाने वाले वन्यजीव अभयारण्यों में से एक हैं. 680 किलोमीटर में फैला अभयारण्य दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों सहित वनस्पतियों और जीवों की हजारों विभिन्न प्रजातियों का घर है. घाटी का नाम एक महत्वपूर्ण नदी, पेरियार नदी से लिया गया है, जो अभयारण्य के सुदूर जंगलों से निकलती है. 244 किलोमीटर लंबी यह नदी राज्य की सबसे लंबी नदी है. यह केरल के कई शहरों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करती है. नदी पर बना बांध राज्य के विद्युत उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा उत्पन्न करता है. पेरियार नदी को ‘केरल की जीवन रेखा’ का नाम दिया गया है. पेरियार वन्यजीव अभयारण्य का भ्रमण का असली आनंद नाव पर बैठकर ही लिया जा सकता है. यह देश के पुराने बाघ अभ्यारण्यों में से एक है. ढलान, धुंध भरी पहाड़ियां और हरे-भरे विस्तार इस अभयारण्य को सुशोभित करते हैं. यहां घास की 171 से अधिक प्रजातियां उगती हैं और उनमें औषधीय गुण भी हैं.

मेरा अगला पड़ाव था मुन्नार. पहाड़ी नदियों के संगम पर स्थित मुन्नार आपको उस युग में ले जाता है, जब हमें लगता था कि सपनों के आशियाने का अर्थ है उसके आसपास पहाड़ हों, नदियां हों, लहराते नारियल के पेड़ हों, हरियाली का एक ऐसा समां हो, जहां विभिन्न प्रकार के पक्षी मंडरा रहे हों. मुन्नार इडुक्की के सबसे लोकप्रिय हनीमून स्थलों में से एक है.

कैसे पहुंचें

इडुक्की के लिए सरकारी और निजी बसें चलती हैं. निकटतम रेलवे स्टेशन थेनी में है और निकटतम हवाई अड्डा कोच्चि में है.

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