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Sher Shah Suri Tomb Tour: शेर शाह सूरी का मकबरा इसलिए है खास, कहा जाता है भारत का दूसरा ताजमहल

Sher Shah Suri Tomb Tour:  इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण शेर शाह सूरी का मकबरा सासाराम शहर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. इसे बोलचाल की भाषा में भारत का दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है. करीब 52 एकड़ में फैले सरोवर के बीच में स्थित यह मकबरा 122 फीट ऊंचा है.

By Shaurya Punj | July 31, 2023 9:24 AM

Sher Shah Suri Tomb:   भारत विविधता वाला देश है और विभिन्न संस्कृतियां इसकी खूबसूरती को बखूबी बयान करती हैं. इस देश में कई ऐसे मशहूर और पुराने मकबरे हैं, जिन्हें देखा जाना चाहिए.रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित शेरशाह सूरी का विशाल मकबरा देखने लायक है. इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण ये मकबरा शहर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. इसे बोलचाल की भाषा में भारत का दूसरा ताजमहल भी कहा जाता है. 52 एकड़ तलाब के बीचो-बीच स्थित शेरशाह सूरी का यह मकबरा विश्व के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक माना जाता है.

क्यों खास है शेर शाह सूरी का मकबरा

अपने ऐतिहासिक महत्व और बेजोड़ स्थापत्य कला के कारण यह देश की प्रसिद्ध पुरातात्विक धरोहरों में से एक है. यह देश के बेहतरीन स्मारकों में से एक है. वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान ने इस मकबरे का डिजाइन तैयार किया था. करीब 52 एकड़ में फैले सरोवर के बीच में स्थित यह मकबरा 122 फीट ऊंचा है. बीजापुर गुंबद के बाद शेरशाह सूरी के मकबरे का गुंबद दूसरे नंबर पर आता है.

कौन थे शेर शाह सूरी?

कहा जाता है कि शेर शाह सूरी का जन्म लगभग 1472 ईस्वी में हुआ था, जिन्हें बचपन में फरीद खांके नाम से पुकारा जाता था. हालांकि इसके जन्म वर्ष और जगह दोनों को लेकर मतभेद है कोई कहता है कि इनका जन्म 1486 ईस्वी में हुआ था. वह बहुत ही कुशल सैन्य, निर्भिक, बहादुर, बुद्धिमान व्यक्ति थे. उनके दादा का नाम इब्राहिम सूरी और पिता का नाम हसन खान सूरी, जो सुल्तान बहलोल लोदी के समय 1482 ईस्वी में अफगानिस्तान के सरगरी से रोजगार की तलाश में भारत आए थे.

भारत में उन्होंने महाबत खां सूरी व जमाल खां के यहां नौकरी की. फिर 1499 ई. में जमाल खां ने हसन खां को सासाराम (सासाराम) का जागीरदार बना दिया था. शेर शाह का बचपन यही बीता और वहां का जागीरदार भी बना था. फिर सन 1540 में हुमायूं को पराजित कर शेर शाह ने दिल्ली की गद्दी पर बैठ हिंदुस्तान पर लगभग 5 साल तक राज किया था.

शेर शाह सूरी मकबरे का इतिहास

शेर शाह सूरी एक पठान योद्धा था यानि वह पठान खानदान से ताल्लुक रखता था और मुगलों का बादशाह था. शेर शाह सूरी ने लगभग पांच साल 1540 से लेकर 1545 तक शासन किया था और साल 1545 में उनकी मृत्यु हो गई थी. अपनी हुकूमत के दौरान उन्होंने बिहार में शेरशाह सूरी नाम से एक मकबरा बनवाया था, जिसका वास्तुकार (बनाने वाला) अलीवाल खान है.

अलीवाल खान ने लाल बलुआ पत्थर से इस मकबरे का निर्माण किया था. यह मकबरा भारतीय-इस्लामिक शैली में निर्मित किया गया है, जो झील के बीचो-बीच स्थित है. इस मकबरे की यही खूबसूरती लोगों को काफी आकर्षित करती है. इसलिए लोग दूर-दूर से इस मकबरे को देखने आते हैं.

कैसी है वास्तुकला?

हज़ारों लोग इस मकबरे की खूबसूरती को दूर-दूर से निहारने आते रहते हैं. अगर हम इसकी खूबसूरती के साथ वास्तुकला की बात करें, तो यह मकबरा तीन मंजिला बना हुआ है और यह ऊपर से कंगूरेदार मुंडेर से घिरा है. मकबरे के अंदर दक्षिण-पूर्वी दिशा के गलियारे से सीढ़ियां भी बनाई गई हैं ताकि आसानी से ऊपर नीचे किया जा सके. इसके अलावा, मकबरे के मुख्य गुम्बद के चारों ओर अष्टभुज के किनारों पर आठ स्तंभ वाले गुम्बद बनाए गए हैं. दीवारों और गुम्बद के भीतरी भाग को कुरान के शिलालेखों से भी उकेरा गया है. साथ ही, उन्हें सुंदर और रुचिपूर्ण पुष्प डिजाइनों से भी सजाया गया है.

अगर हम इस मकबरे की ऊंचाई की बात करें तो इस मकबरे की ऊंचाई चबूतरे के ऊपर से कुल 120 फीट है और पानी से इसकी ऊंचाई लगभग 150 फीट है. साथ ही, इस मकबरे की नक्काशी व शिल्पकला पर्यटकों को अफगान स्थापत्य कलाकी जानकारी देती है।

कैसे पहुंचें सासाराम

रेल- शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम शहर के पास है. पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जंक्‍शन और गया जंक्‍शन रेलखंड पर सासाराम एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है. दिल्ली-कोलकाता के बीच चलने वाली ज्यादातर ट्रेन सासाराम होते हुए जाती हैं. स्टेशन से ऑटो या रिक्शा से मकबरा तक जा सकते हैं.

सड़क- सासाराम नेशनल हाइवे 2 (जीटी रोड) पर स्थित है. यहां से आप वाराणसी, दिल्ली, कोलकाता और पटना आसानी से जा सकते हैं.

हवाई मार्ग- सासाराम का नजदीकी हवाई अड्डा गया और वाराणसी है. गया करीब 100 किलोमीटर, वाराणसी 120 किलोमीटर और पटना करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर है. सासाराम के लोग पटना से ज्यादा वाराणसी से जुड़े रहते हैं.

कब पहुंचे सासाराम-

बिहार में गर्मी ज्यादा पड़ती है और बरसात में बाढ़ का मौसम रहता है इसलिए यहां सितंबर से अप्रैल के बीच आना बेहतर रहता है. वैसे कैमूर हिल्स पर बरसात के समय काफी रोमांचक माहौल रहता है. अगर आपको बारिश से प्यार है तो बरसात में भी यहां आ सकते हैं.

खुलने का समय- सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

कब पहुंचे सासाराम

बिहार में गर्मी ज्यादा पड़ती है और बरसात में बाढ़ का मौसम रहता है इसलिए यहां सितंबर से अप्रैल के बीच आना बेहतर रहता है. वैसे कैमूर हिल्स पर बरसात के समय काफी रोमांचक माहौल रहता है. अगर आपको बारिश से प्यार है तो बरसात में भी यहां आ सकते हैं.

खुलने का समय- सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

सासाराम के आसपास दर्शनीय स्थल

शेरशाह सूरी का मकबरा के साथ ही रोहतास जिले में कई दर्शनीय पर्यटक स्थल हैं. आप यहां माँ ताराचंडी का मंदिर, रोहतास गढ़ का किला, इन्द्रपुरी डैम, पायलट बाबा का मंदिर, गुप्ता धाम, कैमूर हिल्स और मांझार कुंड भी देख सकते हैं.

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