दिल्ली की जामा मस्जिद का असली नाम क्या है? जानिए इतिहास और खासियत

दिल्ली में अनेक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे कि इंडिया गेटर, कुतुब मीनार, राष्ट्रीय संधि स्मारक, हुमायूं का मकबरा, राष्ट्रीय संग्रहालय, राज घाट, चांदनी चौक, पुराना किला, राज घाट, लोटस मंदिर आदि. आज हम आपको बताएंगे जामा मस्जिद के बारे में.

By Shweta Pandey | July 20, 2023 5:03 PM

दिल्ली भारत की राजधानी है. भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है. दिल्ली के इतिहास काफी प्राचीन है. इसे बारहवीं सदी में तुगलक शासक गयासुद्दीन तुगलक शासक गयासुद्दीन तुगलक ने अपनी राजधानी बनाया था. इसके बाद मुग़ल सम्राट शाहजहां ने दिल्ली को अपनी दूसरी राजधानी बनाया और “शाहजहांबाद” नाम से जाना जाने लगा, जिसे बाद में “दिल्ली” कहा जाने लगा. यहां अनेक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे कि इंडिया गेटर, कुतुब मीनार, राष्ट्रीय संधि स्मारक, हुमायूं का मकबरा, राष्ट्रीय संग्रहालय, राज घाट, चांदनी चौक, पुराना किला, राज घाट, लोटस मंदिर आदि. इन स्थलों को देखने के लिए दिल्ली पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा स्थान है. आज हम आपको बताएंगे जामा मस्जिद के बारे में.

जामा मस्जिद कहां है

जामा मस्जिद (Jama Masjid) दिल्ली में स्थित है. यह दिल्ली के पुराने शहर (Old Delhi) के इलाके में वाजिराबाद रोड (Wazirabad Road) पर है. यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और दिल्ली के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है. इस मस्जिद का निर्माण मुग़ल शासक शाहजहां द्वारा 1650 ई. में किया गया था और इसका निर्माण संगमरमर और लाल पत्थर से किया गया था. इसका विशाल गुम्बद (गोंबद) और सुंदर शैली के लिए यह विख्यात है. मस्जिद में एक मशहूर मीनार भी है, जिससे आप दिल्ली का अद्भुत नजारा देख सकते हैं. यहां रोज़ाना मुसलमानों के लाखों श्रद्धालु नमाज़ पढ़ने आते हैं और इसे दिल्ली का धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल माना जाता है. इसका नाम विश्वविख्यात शाहजहां के नाम पर रखा गया था, जो इसे बनवाने वाले थे.

जामा मस्जिद कितने समय में बना था

जामा मस्जिद के निर्माण में कुल मिलाकर 6 साल का समय लगा था. इसका निर्माण मुग़ल शासक शाहजहां द्वारा 1650 ई. में शुरू हुआ था और 1656 ई. में पूरा हुआ. इसके निर्माण में लगभग 5,000 मज़दूरों ने काम किया था और इसे बनाने के लिए 1 मिलियन खर्च हुए थे. जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और उत्तर भारत के मुग़ल शासकों द्वारा बनाए गए प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है.

जामा मस्जिद की खासियत

जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और इसे भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है. आइए जानते हैं इसकी खासियत के बारे में.

गुंबद और मीनार: जामा मस्जिद के निर्माण में उच्च गुम्बद (गोंबद) और चार मीनार हैं, जो मस्जिद की शानदार दृश्यशोभा को बढ़ाते हैं. गुम्बद की ऊंचाई लगभग 40 मीटर है और यह दिल्ली के सर्वोच्च बिंदु में से ऊंची है. मीनारों से आप दिल्ली का अद्भुत नजारा देख सकते हैं.

विशालता और सुंदरता: जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और इसकी विशालता और सुंदरता इसे विशेष बनाती है. इसे संगमरमर और लाल पत्थर से निर्मित किया गया है और इसकी मशहूर भवनशैली भी इसे अलग बनाती है.

 सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व: जामा मस्जिद दिल्ली के पुराने शहर में स्थित है और भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण प्रतीक है. इसका निर्माण मुग़ल शासक शाहजहां द्वारा किया गया था और इसके विशाल गुम्बद और मीनारों से इसका ऐतिहासिक महत्व भी बढ़ाता है.

धार्मिक स्थल: जामा मस्जिद में प्रतिदिन मुसलमान समुदाय के लाखों श्रद्धालु नमाज़ पढ़ने आते हैं. यह दिल्ली का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है और मस्जिद के नजदीक एक बाज़ार (Chawri Bazar) है, जो दिल्ली के बाजारों में भारतीय एवं अन्य वस्तुओं का विक्रय करने के लिए जाना जाता है.

जामा मस्जिद का असली नाम

आपको बताते चलें जामा मस्जिद का असली “मस्जिद-ए-जहान्नुमा” (Masjid-e-Jahan Numa) है. यह अरबी भाषा में “दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद” का मतलब होता है. यह नाम मस्जिद के विशाल आकार और भव्यता को दर्शाने के लिए रखा गया है. हालांकि इसे सामान्यतः “जामा मस्जिद” के नाम से जाना जाता है.

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जामा मस्जिद का समय

दिल्ली की जामा मस्जिद का समय समान्यतः सुबह से लेकर शाम तक होता है. मस्जिद में प्रतिदिन पांच बार नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसके लिए विशेष समय निर्धारित किया गया है.

पहली नमाज़ – सुबह (Fajr) सूर्योदय से थोड़े समय पहले होती है.

दूसरी नमाज़ – धुहा (Dhuhr) सूर्योदय के बाद आधी दिन के बाद होती है.

तीसरी नमाज़ – असर (Asr) धुप के कुछ वक्त बाद होती है.

चौथी नमाज़ – मग़रिब (Maghrib) सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है.

पांचवीं नमाज़ – ईशा (Isha) सूर्यास्त के कुछ समय बाद होती है और रात को होती है.

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