Loading election data...

Jagannath Rath Yatra: जानिए क्यों पुरी में पूजी जाती है भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति

Jagannath Rath Yatra: हिंदू धर्म के चार पवित्र धामों में से एक है, पुरी का जगन्नाथपुर मंदिर. भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर में स्थापित अनोखी मूर्तियों का निर्माण किया था. इस मंदिर से संबंधित कई ऐसी बातें हैं जो इसे रहस्यमय बनाती हैं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं आखिर क्यों विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर में भगवान की अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है.

By Rupali Das | July 7, 2024 8:43 AM
an image

Jagannath Rath Yatra: ओडिशा के पुरी जिले में मौजूद है भगवान श्री कृष्ण के अवतार प्रभु जगन्नाथ का अनोखा मंदिर. यह मंदिर कई मायनो में खास और रहस्यमय है. इससे जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो लोगों को यहां खींच लाती है. यह भारत का बहुत बड़ा पर्यटन स्थल भी है, जिसमें न केवल देश बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. चूंकि जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध है, इस कारण हर वर्ष निकलने वाले भव्य रथ यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पुरी पहुंचते हैं. जगन्नाथ मंदिर की वास्तु कला से लेकर इस मंदिर में स्थापित मूर्ति तक अनोखी है. हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा मुख्य मंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की अनोखी मूर्ति गर्भ गृह से बाहर निकलकर रथ पर सवार होती है और मौसी बाड़ी तक जाती है. इस दौरान भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी प्रभु के साथ रहते हैं. यहां स्थापित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति काष्ठ से बनी हुई और अधूरी है. मंदिर में इन्हीं अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है. ऐसे में जानिए आखिर क्या राज है की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती है.

Also Read: Jagannath Rath Yatra 2024: पुरी में आज निकलेगी जगन्नाथ रथयात्रा, 11 बजे होगी रथों की पूजा, जानें कब से कब तक खींचें जाएंगे रथ

Jagannath Rath Yatra: क्या है मूर्ति का रहस्य

Jagannath temple puri

पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध चार धामों में से एक है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा इंद्रद्युमन ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था. इसमें स्थापित होने वाली मूर्तियों को बनाने का काम राजा ने भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था. विश्वकर्मा जी ने मूर्ति बनाने से पहले राजा के सामने शर्त रखी थी कि विश्वकर्मा जी दरवाजा बंद करके मूर्तियां बनाएंगे और इस दौरान कोई भी कक्ष के अंदर नहीं आएगा. अगर किसी भी कारण से मूर्ति बनने से पहले कोई कक्ष के अंदर आता है तो वे मूर्तियों को पूरा नहीं करेंगे. राजा इंद्रद्युमन ने भगवान विश्वकर्मा की शर्त मान ली और मूर्ति बनाने का काम शुरू हो गया. हर रोज राजा कक्ष के बाहर आकर मूर्ति बनने की आवाज सुना करते थे, एक रोज राजा को अंदर से कोई आवाज नहीं आई. ऐसे में राजा को लगा शायद विश्वकर्मा जी मूर्ति बनाना छोड़कर चले गए हैं, इसलिए राजा ने द्वार खोल दिया. इस बात से नाराज भगवान विश्वकर्मा वहां से अंतर्धान हो गए. इस वक्त मूर्ति के हाथ-पैर नहीं बने थे. इस कारण मूर्तियां अधूरी ही रह गई. यही राज है कि आज भी प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अधूरी मूर्तियों के रूप में स्थापित हैं.

Also Read: Jagannath Rath Yatra 2024 : प्रकृति, धर्म और कला से परिपूर्ण है नीलांचल तीर्थ

Jagannath Rath Yatra: क्यों महत्वपूर्ण है यह मंदिर

पौराणिक कहानियों और ग्रंथों के मुताबिक पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ माना जाता है. यहां स्थापित भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा में एक ब्रह्म पदार्थ है, जिसे भगवान श्री कृष्णा का हृदय माना जाता है. इस कारण कहा जाता है भगवान कृष्ण स्वयं मंदिर में विराजमान हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि प्रभु जगन्नाथ के दर्शन करने से लोगों के सारे पाप धुल जाते हैं और उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है.

Also Read: Jagannath Rath Yatra 2024: गुंडिचा माता मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारी, यहां ठहरते है जगन्नाथ

Exit mobile version