Bihar Tourism: नेपाल से मात्र 56 किमी दूर है मां सीता का यह पावन धाम

Bihar Tourism: बिहार का सीतामढ़ी वह जगह है जहां माता सीता का जन्म हुआ था. राजा जनक को हल चलाते वक्त धरती से देवी सीता बालिका के रूप में मिली थी. तो चलिए आज आपको बताते हैं सीतामढ़ी के इतिहास और महत्व के बारे में.

By Rupali Das | June 23, 2024 11:20 AM

Bihar Tourism: बिहार राज्य वो जगह है,जो विभिन्न धर्मों के आस्था और आध्यात्म का केंद्र है. यहां लोग देश-विदेश से अपने धर्म, इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने आते हैं. अलग-अलग धर्मों के प्रमुख धार्मिक केंद्रों से सुसज्जित बिहार विविधता में एकता का प्रतीक है. यहां लोग बड़ी संख्या में घूमने और ध्यान-साधना के लिए आते हैं. बिहार में मौजूद सीतामढ़ी हिंदू धर्म के लोगों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है. इसका कारण है कि सीतामढ़ी वो जगह है,जहां माता सीता धरती से अवतरित हुई थी. मां सीता हिंदू समाज के लोगों कि आराध्य देवी हैं. यहां कई मंदिर,मठ,कुंड,संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र इसे पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करते हैं. तो अगर आप बिहार में ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण पर निकले हैं तो सीतामढ़ी जरूर जाएं.

Bihar Tourism: जानें कहां है यह पावन भूमि

बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिले में स्थित है सांस्कृतिक मिथिला क्षेत्र का प्रमुख शहर, “सीतामढ़ी”. इस जगह की व्याख्यान पौराणिक ग्रंथों और काव्यों में भी माता सीता के जन्म स्थान के रूप में है. राजधानी पटना से इस जगह की दूरी करीब 133 किमी है. आप ट्रेन, बस और हवाई मार्ग से भी सीतामढ़ी आ सकते हैं. इसका निकटतम एयरपोर्ट जनकपुर एयरपोर्ट, नेपाल है, जिससे इस जगह की दूरी मात्र 56 किमी है. सीतामढ़ी हिंदू धर्म का पवित्र धाम है. सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से जानकी मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है.

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Bihar Tourism: धरती से प्रकट हुई थी माता सीता

सीतामढ़ी त्रेतायुग का वह शहर है, जहां राजा जनक के हल चलाते वक्त धरती से मां सीता का जन्म हुआ था. यह स्थान त्रेतायुग में राजा जनक के राज्य मिथिला के क्षेत्र में आता था, जहां एक बार दुर्भिक्ष की स्थिति उत्पन्न होने पर पुरोहितों की सलाह पर मिथिला नरेश जनक अपने क्षेत्र की सीमा पर हल चलाने गए. जब राजा जनक ने सीतामढ़ी के पुनौरा नामक स्थान पर खेत में हल जोता, उस समय धरती से सीता माता का जन्म हुआ. माता सीता का जन्मस्थान होने के कारण, इस जगह को पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और बाद में सीतामढ़ी के नाम से जाना जाने लगा. राजा जनक ने भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के बाद सीता, माता की जन्मस्थली पर उन दोनों की प्रतिमा लगवाई थी. सीतामढ़ी में मौजूद जानकी स्थान मंदिर, पुनौरा कुंड और सीतामढ़ी संग्रहालय शहर में पर्यटन का मुख्य केंद्र है. सीतामढ़ी संग्रहालय वह जगह है , जहां इस जगह के इतिहास और संस्कृति से जुड़ी वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है. पुनौरा कुंड पौराणिक काल का वही स्थान है जहां देवी सीता बालिका रूप में मिथिला नरेश को धरती के नीचे से मिली थी. सीतामढ़ी में आकर्षण का सबसे मुख्य केंद्र है, जानकी स्थान मंदिर जहां भगवान श्री राम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित हैं. जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह धार्मिक केंद्र हिंदू धर्म में विश्वास और आस्था रखने वाले लोगों के लिए अत्यंत पवित्र जगह है. सीतामढ़ी का इतिहास और महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है.

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